देहरादून : दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से पुस्तकालय के सभागार में प्रख्यात स्वाधीनता सेनानी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ. भक्तदर्शन द्वारा लिखित व विनसर पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक “गढ़वाल की दिवंगत विभूतिया” के तीसरे परिवर्धित संस्करण का मंगलवार को लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर उपस्थित मुख्य वक्ता प्रो. सुनील कुमार, पूर्व अध्यक्ष इतिहास विभाग हेमवतीनन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. एम.पी. जोशी, पूर्व अध्यक्ष इतिहास विभाग कुमाऊं विश्वविद्यालय ने की। पद्मश्री कल्याण सिंह रावत, भक्तदर्शन जी की सुपुत्री श्रीमती मीरा चौहान और सामाजिक इतिहासकार डॉ. योगेश धस्माना ने भक्तदर्शन जी के जीवन आदर्शों और समाज निर्माणम उनकी महति भूमिका से अवगत कराया।
पुस्तक लोकार्पण के बाद हुई चर्चा में वक्ताओं ने कहा कि एक कुशल राजनेता, पत्रकार, सम्पादक और साहित्यसेवी के रूप में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।
प्रो. सुनील कुमार ने कहा कि भक्तदर्शन जी का सार्वजनिक जीवन 1930 से प्रारम्भ होकर 1990 तक सतत् रूप से पहाड़ को गौरवान्वित करने वाला रहा है। उनकी पुस्तक गढ़वाल की दिवगंत विभूतियां स्थानीय इतिहास और स्वाधीनत आन्दोलन में जनभागीदारी की कहानी को भी सशक्त रूप से व्यक्त करती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. एम.पी. जोशी ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों का यह दायित्व होना चाहिए कि वह पहाड़ की दिवगंत एवं आदर्श व्यक्तिवों के द्वारा किए गए योगदान को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए उन पर शोध कार्य करवाएं। पद्मश्री कल्याण सिंह रावत का कहना था कि पहाड़ की सामाजिक सांस्कृतिक और राजनीतिक विभूतियों को स्कूल / कालेज के पाठ्यक्रमों में शामिल किए जाने की पहल की जानी चाहिए।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए इस पुस्तक के तीसरे संस्करण के संपादक डॉ. योगेश धस्माना ने भक्तदर्शन जी के जीवन आदशों पर प्रकाश डाला। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर डॉ. भक्तदर्शन के योगदा को रेखांकित करते हुए दक्षिण भारत में हिन्दी को विकसित करने में उनके योगदान पर कई महत्व जानकारियां प्रदान की।
कार्यक्रम में भक्तदर्शन की सुपुत्री मीरा चौहान, वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत, दिनेश शास्त्री ब्रिगेडियर भारत भूषण, बीजू नेगी, कर्नल ललित चमोली, निकोलस हॉफलैण्ड, प्रो. बी.के. जोशी, कर्नल डी एस बरतवाल, सुन्दर सिंह बिष्ट, धीरेन्द्र नेगी सहित पुस्तकालय के युवा पाठक साहित्यकार, लेखक व अन्य गणमान्य उपस्थित रहे। इस अवसर पर पुस्तक के प्रकाशक कीर्ति नवानी द्वारा अतिथियों को पुस्तकें भेंट की गई।
कार्यक्रम के अन्त में दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया।