Uttarakhand News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के डुंडा ब्लॉक से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहाँ धौंतरी उपतहसील के अंतर्गत डुंडा ब्लॉक स्थित राजकीय इंटर कॉलेज कमद में स्कूल के नए भवन में बैठते ही कुछ छात्राएं चीखने-चिल्लाने लगी। उनकी अजीब हरकतों को देखकर शिक्षक और स्टाफ घबरा गए। स्थिति को गंभीरता को देखते हुए शिक्षकों द्वारा सभी छात्राओं को कक्षाओं से बाहर निकालकर मैदान में लाया गया। वहां पर भी वो जोर-जोर से चीखने- चिल्लाने लगी। इसी बीच इसकी सूचना बच्चों के परिजनों को दी गयी। उसके बाद छात्राओं को पीएचसी धौंतरी ले जाया गया।
जानकारी के मुताबिक राजकीय इंटर कॉलेज कमद में कक्षा 9 से कक्षा 12 तक के छात्र-छात्राओं को विद्यालय के नए भवन की कक्षाओं में बिठाया गया। लेकिन नए भवन में बैठते ही कक्षा 12वीं की कुछ छात्रायें कक्षा में ही चीखने लगी और अजीव सा बर्ताव करने लगी। बुधवार को एक दो बच्चे ही बेहोश हो रहे थे। लेकिन आज स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों की चिंता उस समय बढ़ गई। ज़ब एक साथ करीब 10 बालिकाएं बेहोश हो गई।
स्कूल से मिली जानकारी के अनुसार गुरूवार को कक्षा 12वीं की कुछ छात्रायें अचानक कक्षा में ही चीखने लगी और अजीव सा बर्ताव करने लगी। इस पर शिक्षकों ने उन्हें अलग कमरे में बैठाया तो वहां भी जोर-जोर से चिल्लाते हुए कांपने लगी और बेहोश हो गई। इतना ही नही सभी बालिकाऐं एक-एक कर नाचने भी लग गई। इसके बाद स्कूल प्रवंधन ने इसकी सूचना अभिभावकों को दी। जिसके बाद अभिभावक विद्यालय पहुंचे और उन्होंने छात्राओं को मनाने की कोशिश की। लेकिन वे चीखती रही। जिस पर अभिभावकों ने विद्यालय प्रशासन पर नाराजगी जताई।
अभिभावकों का कहना है कि यह घटनाऐं विद्यालय मे एक सप्ताह से हो रही हैं। लेकिन विद्यालय प्रशासन इसे दबाने पर लगा है। अभिभावकों ने कहा कि विद्यालय के नए भवन में बिना पूजा पाठ किए ही कक्षा 12वीं की कक्षायें संचालित की जा रही है। तब से ही छात्रायें बीमार पड़ रही है। गुरूवार को स्कूल प्रबंधन और ग्रामीणों ने सभी छात्राओं को उपचार के लिए धौंतरी अस्पताल पहुंचाया। जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें घर भेज दिया। बताया गया कि कुछ छात्राएं वाहन में बैठते वक्त भी चीख रही थी। अभिभावक इसे दैवीय प्रकोप बता रहे थे, जबकि शिक्षा विभाग ने इसे मास हिस्टीरिया बताया।
उत्तरकाशी डीएम अभिषेक रुहेला ने बताया कि छात्राओं के चीखने-चिल्लाने के बाद बेहोश होने की सूचना मिली है। जिला अस्पताल से एक डॉक्टरों की टीम को धौंतरी रवाना कर दिया है। अभी कारणों का पता नहीं चल पाया है कि अचानक छात्राएं चीख क्यों रही हैं?
बतादें कि इससे पहले भी उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। गत वर्ष जुलाई 2022 में बागेश्वर जिले में इस तरह का पहला मामला रैखोली विद्यालय में आया था। उसके बाद इसी जिले के सनेती इंटर कॉलेज और खातीगांव के विद्यालय में इसी तरह के मामले सामने आये थे। जिसके बाद मनोचिकित्सक के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कई दिन तक स्कूल के साथ गांव में जाकर छात्राओं की काउंसलिंग की थी। उसके बाद उस क्षेत्र में मास हिस्टीरिया के मामले थम गए थे। इसके अलावा गत वर्ष दिसम्बर में चंपावत का अटल उत्कृष्ट जीआईसी स्कूल में भी कुछ इसी तरह की घटना सामने आई थी। जिसने एक-एक कर 29 छात्राएं और 3 छात्र बेहोश हो गए थे।
मास हिस्टीरिया क्या होता है
हिस्टीरिया आमतौर पर मनोविकार या मनोवैज्ञानिक समस्या है। इसमें कई बार किसी एक व्यक्ति की असामान्य हरकत की साथ के अन्य लोग नकल करते हैं। इसमें व्यक्ति भीतर ही भीतर घुट रहा होता है और अपना दर्द किसी को बता नहीं पाता। पहाड़ में ऐसे मामलों में ज्यादातर देव डांगर और झाड़फूंक का सहारा लिया जाता है। ऐसे मरीज दूसरे को झूमते देखते हैं, तो वे भी उसकी नकल करने लगते हैं। मोटे तौर पर इसे ही मास हिस्टीरिया कहते हैं। ये समस्या ज्यादातर मन की बात को न कह पाने की वजह से सामने आती है। मानसिक तनाव के कारण भी किशोरियां मास हिस्टीरिया की चपेट में आ जाती हैं। एक अध्ययन के अनुसार मासिक धर्म में अनियमितता भी इसका कारण है। नकारात्मक सोच से इस तरह की दिक्कतें सामने आती हैं। इससे बचने के लिए सकारात्मक और वैज्ञानिक सोच रखनी होगी। आठ घंटे की भरपूर नींद लेनी होगी। मास हिस्टीरिया से बचाव में योग और प्राणायाम भी कारगर रहता है। मस्तिष्क पर दबाव देने से बचना चाहिए।इसके लक्षण पेट या सिर दर्द, बालों को नोंचना, हाथ पांव पटकना, इधर-उधर भागना, रोना, चिल्लाना, गुस्सा करना, उदास रहना, थोड़ी देर के लिए बेहोश होकर अकड़ जाना, भूख और नींद में कमी आना हैं।