Digital arrest: मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया के दौर में जैसे-जैसे लोग हाईटेक होते जा रहे हैं। वैसे-वैसे साइबर फ्रॉड के नए-नए मामले सामने आ रहे हैं। तकनीकी सुविधा लोगों को जितना आराम और आधुनिकता दे रही है। उतने ही खतरे भी बढ़ गए हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी (AI) का इस्तेमाल करके साइबर ठग गंभीर अपराधों में फंसाने का डर दिखा रहे हैं और लोगों के बैंक खातों को खाली कर रहे हैं।

आजकल साइबर ठगों ने साइबर फ्रॉड का एक बिलकुल नया तरीका इजाद किया है। जिसे Digital arrest कहते हैं। जिसमें आरोपी इंवेस्टीगेशन एजेंसियों के नाम पर लाखों की ठगी कर रहे हैं। इस हथियार के जरिए साइबर ठग आजकल आम लोगों को निशाना बना रहे है। डिजिटल अरेस्ट में साइबर अपराधियों के झांसे में पढ़े-लिखे लोग ज्यादा आ रहे हैं। जन जागरूकता के बाद भी लोग साइबर अपराधियों के झांसे में आकर अपना जमा पूंजी गंवा रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट से जुड़े कई मामले अब तक सामने आ चुके है लेकिन इसमें अभी तक किसी तरह की कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।

साइबर ठग कैसे आपको बनाते हैं ठगी का शिकार

डिजिटल अरेस्ट में ठग द्वारा एनसीबी, ईडी, सीबीआई, एनआईए जैसी अन्य इंवेस्टीगेशन एजेंसी अधिकारी के नाम से बदल-बदल कर कॉल आते हैं। ज्यादातर मामलों में व्हाट्सएप वीडियो कॉल आते हैं। जिसमें आपके नाम से पार्सल पकड़ा जाने की बात कहकर पार्सल में नशीले पदार्थ होने का दावा किया जाता है। फिर उनके द्वारा आपको कोर्ट फीस या जमानत देने के नाम और केस से नाम हटाने के नाम पर पैसे मांगे जाते हैं। ऐसे में वीडियो कॉल पर पुलिस अधिकारी से बात भी कराई जाती है। जिसमें आपको वीडियो कॉल पर फर्जी नोटिस दिखाया जाता है। जिसमें कहा जाता है कि आप डिजिटल अरेस्ट हुए हैं। आपको घर में ही रहना पड़ेगा। खुद को कमरे में बंद करके सभी सवालों के जवाब पूछे जाते हैं और कैमरे में सामने ही बैठने को कहा जाता है। धमकाया भी जाता है कि अगर कोई कमरे के अंदर आया तो दोनों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

सामने वाले व्यक्ति को इतना डराया जाता है कि वह न चाहते हुए भी वह अपने बैंक अकांउट की पूरी जानकारी दे देता है। आगे कहा जाता है कि आपको गलत फंसा दिया गया है। आप जांच पूरी होने तक पूरा पैसा आरबीआई में जमा कर दीजिए। जांच पूरी होने के बाद आपको पूरा पैसा वापस मिल जाएगा। इस दौरान आपको कार्रवाई के नाम पर डराकर घर के अंदर रहने को कहा जाता है और इसी तरह पैसे जमा कर लिया जाता है।

हल्द्वानी के इंजीनियर से ठगे एक लाख रुपये

डिजिटल अरेस्ट का ऐसे ही एक मामला उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर से सामने आया है। जहां साइबर ठगों ने खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट किया और उससे एक लाख रुपए ठग लिए।

दरअसल, इंजीनियर को ड्रग्स का नाम लेकर डराया और कहा कि उसके नाम से ताइवान जा रहे कोरियर में ड्रग्स बरामद हुई है। इसके बाद डरे सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने जलसाजों के झांसे में आकर एक लाख रुपये गंवा दिए। इस मामले में साइबर पुलिस स्टेशन ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

जानकारी के मुताबिक हल्द्वानी के मुखानी थाना क्षेत्र लामाचौड़ निवासी निखिलेश गुणवंत पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। पुलिस को दिए शिकायती पत्र में उन्होंने कहा कि बीती एक अप्रैल को उनके पास फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया और कहा कि ताइवान जा रहे एक कोरियर में निखिलेश का आधार कार्ड लगा है। पूछताछ के लिए जालसाज ने निखिलेश को मुंबई बुलाया, लेकन निखिलेश ने असहमति जताई।

इस पर जालसाजों ने कहा कि अगर आपको मुंबई आने से बचाना है तो हमारे कहने के अनुसार चलो। इसके बाद आरोपियों ने स्काइप एप से वीडियो कॉल की। वीडियो कॉल पर आरोपी ने पहले तो निखिलेश से कमरे के दरवाजे बंद करवाए और इसके बाद पारिवारिक, व्यवसायिक और साथ ही बैंक खातों की जानकारी मांगी। आखिर में आरोपियों ने निखिलेश से ही उसके हाथ बंधवा दिए, जिसे आरोपियों की भाषा में डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है। फिर अरेस्ट वारंट की धमकी देकर एक लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए।

रकम मिलने के बाद जालसाजों ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर को वीडियो कॉल पर ही हाथ बांधकर बैठने को बोला और मोबाइल आदि इस्तेमाल न करने की चेतावनी दी। यही नहीं इस मामले को किसी से नहीं बताने को कहा। कमरे में डरे-सहमे निखिलेश को देखकर परिजनों ने बात पूछी तो पूरा मामला सामने आया। इसके बाद परिवार वालों को ठगी का एहसास हुआ। पूरे मामले में परिवार वाले मुखानी थाने पहुंचे मामला दर्ज कराया है, जिसके बाद मामले को साइबर सेल ट्रांसफर किया गया है।

बचने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

  • अंजान नंबर से आने वाले किसी भी फोन कॉल पर व्यक्तिगत, व्यवसायिक और पारिवारिक जानकारी न दें।
  • विदेशी कूरियर में आपके आधार कार्ड के लगे होने या किसी तरह के मामले में संलिप्तता की धमकी मिले तो डरें नहीं।
  • वीडियो कॉल पर कतई न जुड़ें, तुरंत नंबर ब्लॉक कर साइबर पुलिस या स्थानीय पुलिस थाने में शिकायत करें।
  • +92 से शुरु होने वाले अनजान नंबरों से फोन न उठाएं। ज्यादातर ये कॉल व्हाट्सएप या टेलीग्राम पर ही आते हैं।
  • किसी के कहने पर डरे नहीं। कभी भी अपनी गोपनीय जानकारी न दे, विशेष रूप से अपने बैंकिंग डिटेल्स किसी अनजान को देने से बचें।
  • अपना पैसा किसी भी अंजान आदमी के खाते में ट्रांसफर न करें। अगर आपके साथ कोई फ्रॉड हुआ है तो इसे नजदीकी पुलिस थाने में या www।cybercrime।gov।in या Cyber Crime Help Line के टोल फ्री नम्बर 1930 पर कॉल करें।