Pauri news: उत्तराखंड की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर अक्सर सवालिया निशान लगते रहते है। राज्य ने 24 सालों में 10 मुख्यमंत्रियों के चेहरे देख लिए हैं, लेकिन आज भी स्वास्थ्य सेवाएं सुधर नहीं पाई हैं। स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बेहतर करने के दावे होते हैं पर धरातल पर आज भी कमोबेश वही हाल है। राज्य की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का एक डराने वाला मामला सामने आया है। पौड़ी गढ़वाल के एक गांव मे बीमार पड़े एक 24 साल के युवक को इलाज के लिए उत्तराखंड के चार अस्पतालों ने एक के बाद एक ऐसा रेफर किया कि उसकी जान चली गई। कहीं डॉक्टर नहीं थे, कहीं नहीं थी इलाज की सुविधा। नाराज परिजनों ने जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
जानकारी के मुताबिक पौड़ी गढ़वाल के विकासखंड नैनीडांडा के देवलधर गांव निवासी 24 वर्षीय अमित रावत कुछ दिनों पहले दिल्ली से अपने गांव में पूजा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आया था। अमित दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करता था। बीते 22 मई की रात को गांव में अमित की तबीयत खराब हो गई। अमित के भाई संजय रावत ने बताया कि अमित के एक हाथ और एक पांव ने अचानक काम करना बंद कर दिया था। जिसके बाद ग्रामीणों के सहयोग से अमित को चारपाई पर रखकर दो किमी की चढ़ाई चढ़कर सड़क पर लाए। यहां से 108 के माध्यम से अमित को उपचार के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धुमाकोट ले गए। लेकिन वहां पहुंचकर पता चला कि दो माह से अस्पताल में डॉक्टर ही नहीं है। वहां से परिजन उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नैनीडांडा ले गए। यहां डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार के बाद अमित को सीएचसी रामनगर रेफर कर दिया।
रामनगर में सीटी स्कैन किए जाने के बाद डॉक्टरों ने मरीज को न्यूरो सर्जन से जांच कराने के लिए मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी रेफर किया। हल्द्वानी पहुँचने पर वहां के डाक्टरों ने न्यूरो फिजीशियन नहीं होने की बात कहकर उसे दिल्ली रेफर किया। कुलदीप रावत ने बताया कि दिल्ली ले जाते समय अमित ने आधे रास्ते में दम तोड़ दिया। उन्होंने कहा कि पहाड़ में लचर स्वास्थ्य सेवा के चलते हमने असमय अपना भाई खो दिया है। पहाड़ के गांवों में ग्रामीणों को भगवान भरोसे छोड़ा गया है। यह घटना उसका बड़ा प्रमाण है। उन्होंने कहा कि डीएम और सीएमओ पौड़ी से मामले की शिकायत कर कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है।
प्रभारी सीएमओ डॉक्टर पारुल गोयल ने बताया कि प्रभारी चिकित्साधिकारी नैनीडांडा डॉ आशुतोष त्रिपाठी का स्पष्टीकरण तलब कर एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा गया है। प्रभारी सीएमओ ने कहा कि संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर मामले में कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि इन स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों की समस्या का जल्द निदान कर दिया जाएगा।
उत्तराखंड स्वास्थ्य महानिदेशक ने मांगी रिपोर्ट:
उत्तराखंड स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ। विनीता शाह ने बताया कि उनके संज्ञान में यह मामला आया है और पौड़ी की सीएमओ से उन्होंने इस पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है। यह मामला न्यूरो से जुड़ा हुआ है, क्योंकि प्रदेश ही नहीं पूरे देश में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है और यही कारण है कि उसे एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल रेफर किया गया है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को इस पूरे मामले की रिपोर्ट जल्द से जल्द भेजने के लिए कहा गया है। रिपोर्ट मिलने के बाद ही कोई एक्शन लिया जाएगा।
लापरवाही करने वाले को नहीं बख्शेंगे:
स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि अगर मामले में किसी की भी लापरवाही सामने आएगी, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि हमारे प्रदेश में जैसे ही डॉक्टर पीजी करके आ रहे हैं, हम उनकी तैनाती कर रहे हैं। फिलहाल प्रदेश में शत-प्रतिशत एमबीबीएस डॉक्टर तैनात हैं और स्वास्थ्य विभाग लगातार बेहतर करने का प्रयास कर रहा है।