NIT Uttarakhand : एनआईटी उत्तराखंड के स्थाई परिसर का निर्माणकार्य एक बार फिर से चर्चाओं में है। NIT के स्थायी कैंपस निर्माण का कार्य दो गांवों के विवाद के कारण प्रभावित हो रहा है। निर्माणकार्य को लेकर सुमाड़ी और चमराड़ा गांव आमने सामने आ गये हैं।
सुमाड़ी गांव के ग्रामीणों ने भूमि पूजन स्थल से निर्माण कार्य शुरू करने की मांग को लेकर कार्य बाधित किया है। वहीं चमराड़ा गांव के ग्रामीण निर्माण कार्य बंद होने से आक्रोशित हैं। स्थायी परिसर निर्माण कहां हो इसे लेकर दोनों गांव के ग्रामीण अब एक दूसरे के आमने-सामने आ गये हैं। इधर एनआईटी प्रशासन ने स्पष्ट किया कि अंतिम सर्वे के आधार पर ही स्थायी परिसर का निर्माण होगा।
बता दें साल 2009 में स्वीकृत हुए एनआईटी उत्तराखंड के स्थायी परिसर का कार्य वर्ष 2014 में शुरू होना था। तब तकनीकी दिक्कतों के कारण काम शुरू नहीं हो पाया था। अब 10 साल बाद स्थायी परिसर निर्माण का कार्य शुरू हो गया है। चमराड़ा बैंड के समीप से एनआईटी के स्थायी परिसर निर्माण का कार्य शुरू किया गया है। यहां एनआईटी का प्रवेश द्वार प्रस्तावित है। सुमाड़ी गांव के ग्रामीणों ने एक सप्ताह पूर्व यहां पहुंचकर निर्माण कार्य को प्रशासन के साथ वार्ता होने तक बंद करवा दिया। बृहस्पतिवार को चमराड़ा, खालू, नयालगढ़ के ग्रामीणों ने तहसील पहुंचकर कार्य शुरू किये जाने को लेकर धरना दिया।
एनआईटी संघर्ष समिति सुमाड़ी के सचिव विपुल जोशी ने कहा पूर्व में जिस स्थान पर दो बार शिलान्यास हुआ है वहां से वर्तमान निर्माण स्थल की दूरी करीब 4.5 किलोमीटर है, जबकि पूर्व में शिलान्यास वाली जगह पर एनआईटी के परिसर निर्माण के लिए 772 पेड़ों का पातन किया जा चुका है। एनआईटी स्थाई परिसर का कैंपस सुमाड़ी की तरफ से इसी स्थान पर बनाया जाये। एनआईटी निर्माण के लिए सबसे अधिक भूमि सुमाड़ी गांव ने दान दी है। जब तक एनआईटी, एनबीसी समेत जिला प्रशासन के साथ गांव के ग्रामीणों की वार्ता नहीं होती है निर्माण कार्य का विरोध किया जायेगा।
क्षेत्रीय एकता एनआईटी संर्घष समिति चमराड़ा के सचिव सुरजीत सिंह ने कहा एनआईटी कैंपस का निर्माण अधिग्रहित भूमि के अंदर ही हो रहा है। ऐसे में विरोध करने का कोई औचित्य नहीं बनता है। कुछ लोग अपने निजी स्वार्थ के चलते निर्माण कार्य को प्रभावित कर रहे हैं। प्रशासन को चाहिए कि यहां के प्रभावितों व स्थानीय लोगों को योग्यता अनुसार रोजगार उपलब्ध कराये।
एनआईटी उत्तराखंड के कुलसचिव एचएम आजाद ने कहा उन्हें ग्रामीणों के विरोध की जानकारी नहीं है। पहाड़ के हर हिस्से में भवन बनाना संभव नहीं है। एनआईटी स्थायी कैंपस जहां बनने लायक होगा वहीं बनेगा। भूमि का सर्वे करने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू किया गया है।
वहीं, इस मामले पर कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने कहा एनआईटी स्थायी परिसर के लिए पैसा जारी हो चुका है। निर्माण कार्य में किसी तरह की दिक्कत नहीं आयेगी। उन्होंने कहा बहुत जल्द ही एनआईटी उत्तराखंड के पास अपना स्थायी परिसर होगा।