Pitru Paksha

Pitru Paksha (Shradh) 2024 Start Date: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष को पितरों को प्रसन्न और संतुष्ट करने वाला पर्व माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार  पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से होती है। परंतु लोगों की जिज्ञासा रहती है कि हमारे पितरों का श्राद्ध किस दिन होगा. पितृपक्ष 2024 की तिथियों को लेकर लोगों में मतभेद की स्थिति बन रही रही है। कोई 17 से तो कोई 18 सितंबर को पूर्णिमा पर महालया से इसकी शुरुआत मान रहा है। हालाँकि वैदिक पंचांग अनुसार इस बार पितृ पक्ष का आरंभ 17 सितंबर से हो रहा है और 2 अक्टूबर तक चलेगा।

आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने बताया कि पहली तिथि अर्थात पूर्णिमा के दिन उन पूर्वजों के सम्मान में श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु किसी भी महीने की पूर्णिमा के दिन हुई थी। यह वह समय होता है ,जब पूर्वजों की आत्माएं प्रसाद और प्रार्थनाओं के प्रति सबसे अधिक ग्रहणशील होती हैं। श्राद्ध पक्ष वास्तव में पितरों को याद करके उनके प्रति श्रद्धा भाव प्रदर्शित करने का अवसर है। पितरों का श्राद्ध करने से जन्म कुंडली में व्याप्त पितृदोष से भी हमेशा के लिए छुटकारा मिलता है।

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर को प्रातः 11:44 से शुरू हो रही है और इसका समापन 18 सितंबर को  प्रातः 08:04 पर हो रहा है। ऐसे में भाद्रपद पूर्णिमा व्रत 17 सितंबर को होगा और उदयातिथि के आधार पर भाद्रपद पूर्णिमा का स्नान और दान 18 सितंबर को होगा. परंतु श्राद्ध दिन में 11 बजे के बाद करना ही शुभ होता है, ऐसे में 17 सितंबर को पूर्णिमा तिथि में पहला श्राद्ध हो पाएगा, क्योंकि 18 सितंबर को सुबह 08:04 बजे पूर्णिमा तिथि खत्म हो जा रही है। इस प्रकार पितृ पक्ष का प्रारंभ 17 सितंबर दिन मंगलवार से ही शास्त्र सम्मत है, इसमें किसी को भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है।

पितृ पक्ष का महत्व

पितृ पक्ष हिंदुओं के लिए अपने पूर्वजों को सम्मान देने और परिवार की भलाई और समृद्धि के लिए उनका आशीर्वाद लेने का समय है। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि के दौरान अनुष्ठान करने और प्रसाद चढ़ाने से पूर्वजों की आत्माओं को शांति और मुक्ति मिलती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि वे अपने वंशजों को खुशी और सफलता का आशीर्वाद देते हैं।

23 को एक साथ दो श्राद्ध, 28 को कोई श्राद्ध नहीं

17 सितंबर से शुरू हो रहे पितृपक्ष में पंचमी तक श्राद्ध सिलसिलेवार होंगे। जबकि 23 सितंबर को पष्ठी और सप्तमी का श्राद्ध एक साथ होगा। इसके अलावा 28 को कोई श्राद्ध नहीं होगा। एक अक्तूबर को चतुर्थी का श्राद्ध होगा। दो अक्तूबर को सर्वपितृ अमावस्या और पितरों का विसर्जन होगा।

श्राद्ध 2024 की सभी प्रमुख तिथियां

  1. प्रोषठपदी\ पूर्णिमा का श्राद्ध : 17 सितंबर मंगलवार
  2. प्रतिपदा का श्राद्ध : 18 सितंबर बुधवार
  3. द्वितीया का श्राद्ध : 19 सितंबर गुरुवार
  4. तृतीतया का श्राद्ध : 20 सितंबर शु्क्रवार
  5. चतुर्थी का श्राद्ध : 21 सितंबर शनिवार
  6. पंचमी का श्राद्ध : 22 सितंबर रविवार
  7. षष्ठी का श्राद्ध और सप्तमी का श्राद्ध : 23 सितंबर सोमवार
  8. अष्टमी का श्राद्ध : 24 सितंबर मंगलवार
  9. नवमी का श्राद्ध : 25 सितंबर बुधवार
  10. दशमी का श्राद्ध : 26 सितंबर गुरुवार
  11. एकादशी का श्राद्ध : 27 सितंबर शुक्रवार
  12. द्वादशी का श्राद्ध : 29 सितंबर रविवार
  13. त्रयोदशी का श्राद्ध : 30 सितंबर सोमवार
  14. चतुर्दशी का श्राद्ध : 1 अक्टूबर मंगलवार
  15. सर्व पितृ अमावस्या : 2 अक्टूबर बुधवार, सर्व पितृ अमावस्या के साथ पितृपक्ष का विसर्जन हो जाएगा।

तीन अक्तूबर से नवरात्र, 12 को विजयदशमी

ज्योतिष डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि पितरों का विसर्जन होने के बाद तीन अक्तूबर को दुर्गाष्टमी और दुर्गा पूजन के साथ नवरात्र शुरू हो जाएंगे। दस अक्तूबर को अष्टमी और 11 को नवमी होगी। 12 अक्तूबर को विजयादशमी होगी। आश्विन शुक्ल पक्ष के शुभ अवसर पर नवरात्र का आयोजन होता है।