Fraud exposed in Uttarakhand Postal Department recruitment

Fraud in Uttarakhand Postal Department recruitment: भारतीय पोस्ट ऑफिस के उत्तराखंड डाक विभाग में कुछ समय पहले हुई भर्ती में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। इन्हें हिंदी तक लिखनी नहीं आती वह भी यहां डाक सेवक बन गए हैं। स्थानीय युवाओं ने भर्ती प्रक्रिया को लेकर नाराजगी जताई है।

गौरतलब है कि भारतीय डाक विभाग की ओर से उत्तराखंड के लिए ब्रांच पोस्ट मास्टर और असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर के 1238 पदों पर भर्ती निकाली गई थी। मेरिट के आधार पर हुई इस भर्ती में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। इस भर्ती में अधिकतर अभ्यर्थी पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के हैं, जबकि उत्तराखंड के स्थानीय युवाओं को मेरिट लिस्ट में जगह नहीं मिली। जांच के दौरान पाया गया कि कई ऐसे अभ्यर्थियों का चयन हुआ है जिन्हें हिंदी का सामान्य ज्ञान भी नहीं है, फिर भी वे डाक सेवक पद पर नियुक्त किए गए हैं।

फर्जी चयन का खुलासा

अब तक विभाग की शुरुआती जांच में छह अभ्यर्थियों के दस्तावेज संदिग्ध पाए गए हैं, जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। डाक विभाग ने इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए सभी चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की जांच का आदेश दिया है। डाक विभाग के मुताबिक, अगर आगे भी किसी अभ्यर्थी की जानकारी फर्जी पाई गई तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

हिंदी लिखनी नहीं आती फिर भी हो गया चयन

भर्ती प्रक्रिया में यह बात सामने आई है कि ऐसे कई अभ्यर्थियों का चयन हुआ है जिन्हें हिंदी पढ़नी-लिखनी तक नहीं आती। उदाहरण के तौर पर हरियाणा बोर्ड से 10वीं पास एक अभ्यर्थी को हिंदी सहित सभी विषयों में ए++ ग्रेड दिए गए हैं, जबकि उसे हिंदी के सामान्य शब्द लिखने तक नहीं आते। इस फर्जीवाड़े पर जब उत्तराखंड डाक विभाग के इंस्पेक्टर ने हरियाणा बोर्ड के अधिकारियों से मुलाकात कर जानकारी मांगी, तो बोर्ड ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि छात्र को उसकी अकादमिक पृष्ठभूमि के आधार पर अंक दिए गए हैं।

फर्जी दस्तावेजों से ली पोस्ट ऑफिस में नौकरी

सोशल मीडिया पर तमाम वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें दिखाया गया है कि चयनित युवाओं को हिंदी लिखनी नहीं आती है। बावजूद इसके उनका चयन ग्रामीण डाक सेवक के लिए हो गया, जिसके चलते इस पूरे मामले पर रीजनल पोस्ट ऑफिस जल्द ही पोस्ट ऑफिस डायरेक्टरेट को पत्र लिखने जा रहा है। ताकि इस मामले पर कोई कड़ा एक्शन लिया जा सके।

मेरिट लिस्ट में धांधली

डाक सेवक पद के लिए बनने वाली मेरिट लिस्ट को बोर्ड परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर तैयार की जाती है। इसी के चलते बाहरी राज्यों के कई अभ्यर्थियों ने मेरिट में जगह बनाई, जबकि उत्तराखंड के स्थानीय युवाओं को इसका कारण नुकसान हुआ। उनके अंक कम होने की वजह से वह मेरिट लिस्ट में जगह नहीं बना पाए। इस घटना से राज्य के युवाओं में रोष है। अभ्यर्थी यह सवाल उठा रहे हैं कि हिंदी न जानने वाले बाहरी अभ्यर्थियों का चयन कैसे हो गया, जबकि उन्हें नजर अंदाज किया गया।

गिरफ्तार हो चुके हैं फर्जीवाड़ा गैंग के 13 सदस्य

यह मामला तब और गंभीर हो गया जब हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस ने मेरठ के एक गैंग का पर्दाफाश किया, जो डाक विभाग की भर्ती परीक्षा के फर्जीवाड़े में शामिल था। इस गैंग के 13 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। जांच में खुलासा हुआ कि ये गिरोह उत्तराखंड के चयनित अभ्यर्थियों से भी जुड़ा हो सकता है। उत्तराखंड में चयनित होने वाले कई अभ्यर्थियों के दस्तावेज संदिग्ध पाए गए हैं और आशंका जताई जा रही है कि इस फर्जीवाड़े में बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है।

विभागीय जांच के आदेश

डाक विभाग ने फिलहाल चमोली और अल्मोड़ा से चयनित तीन-तीन अभ्यर्थियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि सभी चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की गहन जांच की जाएगी। विभाग ने कहा कि किसी भी गलत अभ्यर्थी का चयन नहीं होने दिया जाएगा। उत्तराखंड डाक सेवाएं के निदेशक अनसूया प्रसाद चमोला ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

पिछले साल भी 23 युवाओं पर हुई थी कार्रवाई:

पोस्ट ऑफिस में फर्जी दस्तावेज के आधार पर चयनित युवाओं का ये कोई पहला मामला नहीं है, बल्कि साल 2023 में भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। साल 2023 में निकाली गई भर्ती के दौरान चयनित युवाओं में से 36 युवाओं पर कार्रवाई की गई थी। साथ ही 5 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई थी।

ऐसे में अब साल 2024 में भी फर्जी दस्तावेज के आधार पर नौकरी पाने का मामला सामने आया है, जिसके चलते उत्तराखंड रीजनल पोस्ट ऑफिस ने प्रदेश के सभी सातों डिवीजन से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है। दरअसल, साल 2023 के दौरान उत्तराखंड रीजनल ऑफिस की ओर से 1448 पदों पर भर्ती के लिए हेड ऑफिस को पत्र भेजा गया था। ऐसे में साल 2023 के दौरान तीन चरणों शेड्यूल 1, स्पेशल साइकिल और शेड्यूल 2 के तहत भर्ती की गई।

तीनों शेड्यूल के तहत 36 अभ्यर्थियों के फर्जी दस्तावेज का मामला सामने आया था। ऐसे में 18 लोगों को टर्मिनेट और 20 लोगों की ज्वाइनिंग कैंसल की गई थी। साथ ही पांच के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था, जिन 18 लोगों को टर्मिनेट किया गया था, उनमें 13 अभ्यर्थी अल्मोड़ा डिवीजन और 3 अभ्यर्थी नैनीताल डिविजन में ज्वाइन कर चुके थे। इसके साथ ही जिन 20 लोगों की ज्वाइनिंग रद्द की गई, उनमें देहरादून डिवीजन के 7, नैनीताल डिवीजन के 7 और टिहरी डिवीजन के 6 कर्मचारी थी। पिछले कुछ सालों से अभ्यर्थियों के फर्जी दस्तावेज का मामले सामने आने पर सीबीआई की टीम ने भारतीय पोस्ट ऑफिस में उत्तराखंड रीजनल कार्यालय पहुंचकर अभ्यर्थियों की जानकारी ली थी।

इस दौरान उत्तराखंड रीजनल पोस्ट ऑफिस कार्यालय ने 2021 से 2023 तक बतौर ग्रामीण डाक सेवक ज्वाइन कर चुके 1455 अभ्यर्थियों की सूची सीबीआई को सौंपी थी। ऐसे में सीबीआई अपने स्तर से ज्वाइन कर चुके इन सभी डाक सेवकों के दस्तावेजों की जांच कर रही है। हालांकि, साल 2024 में तीन शेड्यूल के तहत कुल 1,238 पदों की भर्ती के पत्र हेड पोस्ट ऑफिस को भेजा गया था, जिन पदों के लिए युवाओं का चयन किया जा चुका है। ऐसे में इन सभी युवाओं के चयन से पहले उनके दस्तावेजों की जांच की जा रही है। शुरुआती जांच में चमोली और अल्मोड़ा डिवीजन से तीन-तीन अभ्यर्थियों को पकड़ा गया है, जो फर्जी तरीके से भर्ती में चयनित हुए थे। लिहाजा, इन सभी 6 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।

स्थानीय युवाओं में रोष

राज्य के स्थानीय युवाओं में इस भर्ती प्रक्रिया को लेकर आक्रोश है। वे सवाल उठा रहे हैं कि कैसे बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी गई जबकि वह अयोग्य साबित हो रहे हैं। स्थानीय युवाओं का कहना है कि अगर भर्ती प्रक्रिया पारदर्शी होती तो मेरिट में उनके नाम भी आते। डाक विभाग ने आगे की जांच में तेजी लाते हुए सभी चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्य में फर्जीवाड़े से किसी भी अयोग्य व्यक्ति का चयन नहीं हो।