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पौड़ी: राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा उत्तराखंड के आह्वान पर पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर रविवार को करवाचौथ पर महिला कर्मचारियों ने ओपीएस के नाम मेहंदी लगाई गई। पूरे प्रदेश की महिलाएं सरकार से यह मांग कर रही हैं कि तत्काल सरकार एन पी एस और यू पी एस को समाप्त कर ओ पी एस को बहाल करें।

राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने बताया कि भारत सरकार ने 2004 में और राज्य सरकार ने 1 अक्टूबर 2005 को पूरे देश में ओपीएस योजना को बंद कर एनपीएस योजना लागू की गई थी। उस समय कर्मचारियों के लिए एनपीएस एक अच्छी योजना बताई गई व बड़े बड़े सपने दिखाए गए। परन्तु जब आज कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो उन्हें मात्र सात सौ से सोलह सौ रुपए तक पेंशन दी जा रही है जो कि कर्मचारियों के साथ बहुत बड़ा धोका किया गया है। इसीलिए आज सभी कर्मचारियों द्वारा एन पी एस का विरोध किया जा रहा है। और आज महिलाओं द्वारा अपने हाथ में ओ पी एस लिख कर एन पी एस का विरोध किया गया है।इसी के क्रम में अब चार नवंबर को देहरादून में सचिवालय घेराव कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा लगातार ओ पी एस बहाली के लिए लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांग को सरकार के सम्मुख करने का प्रयास करता आ रहा है परन्तु सरकार अभी भी ओ पी एस बहाली पर को कार्यवाही नही कर रही है।

प्रदेश प्रभारी प्रदेश बिक्रम सिंह रावत अध्यक्ष जयदीप सिंह रावत व कार्यकारी अध्यक्ष डाक्टर मनोज अवस्थी ने कहा कि सांसद विधायक एक दिन भी सांसद विधायक बनते हैं तो उन्हें आजीवन पेंशन दी जाती है और हमारे कर्मचारी साठ साल की उम्र तक नौकरी करते हैं तो उनकी पेंशन सरकार ने बंद कर दी है यह दोहरा मापदंड ठीक नहीं है इसलिए सरकार को शीघ्र ही ओ पी एस योजना बहाल कर देनी चाहिए।

प्रदेश सह प्रभारी जसपाल सिंह गुसांई संयुक्त सचिव अभिषेक नवानी प्रदेश समन्वयक लक्ष्मण सिंह सजवाण, शंकर भट्ट, नरेश भट्ट, डॉ, बृज मोहन रावत, मांगेराम आर्य ने कहा कि पेंशन हमारा हक है जिसमें कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि पेंशन सरकार कोई खैरात में नहीं दे रही है बल्कि यह कर्मचारी का अधिकार है क्योंकि कि वह साठ साल तक जन सेवा के कार्य करता है। इसलिए उसके बुढ़ापे का सहारा है और सामाजिक सुरक्षा संरक्षण देना सरकार का कर्तव्य है।

आज के कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष बबिता रानी एवं मातृशक्ति ने विशेष योगदान दिया है जिसमें रश्मि गौड़, शशि चौधरी, निर्मला राणा, मंजू असवाल, मंजू नेगी, कमलेश चंद्रिका शाह, नीलम नेगी, पुनम धूलिया, ललिता जोशी, सरस्वती सकलानी, रिंकी टम्टा, अनीता बिष्ट, नजनीन खान, रनिता प्रसाद विश्वकर्मा, सीमा पुण्डीर, नीलम पाल, नीलम रावत, सीमा पुंडीर, नीलम पाल, नीलम रावत, सुनीता कपरवाल, मंजू पुरोहित, अलका रावत, अनीता बिष्ट, मीनाक्षी सती, अनीता नेगी, सुनीता, मंजू पुरोहित, मीनाक्षी सती, अलका रावत, अनीता बिष्ट, अनीता नेगी, यमुना रावत, जीवंती नेगी, सुनीता गुसाई, आरती, शान्ति, सीमा, सबिता सेमवाल, बबीता रावत, अंजना उनियाल, मंजू खत्री, ज्योति नौटियाल, उषा पोखरियाल, आरती सिंह, नेहा बंगवाल, पूनम खंतवाल, पूनम रावत, लुबना बल्दिया, अम्बिका आदि नेतृत्व करने वाली महिलाओं ने अपनी भूमिका निभाई है।

कार्यक्रम को सफल बनाने में अभिषेक नवानी, पूरन फर्शवान, सौरव नौटियाल, राजीव उनियाल, राकेश रावत, विवेक सैनी, केदार फर्स्वाण, माखन लाल शाह, विजय कुमार, दीपक मियां, अजीत नेगी, मनोज कुमार आदि ने सहयोग प्रदान किया है।