पौड़ी: जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान चडीगांव में 6 दिवसीय शिल्प कला प्रशिक्षण एवं दीवार चित्रकला कार्यशाला माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत 30 कला शिक्षकों और 29 डीएलएड प्रशिक्षुओं की कार्यशाला सम्पन्न हुई। सन्दर्भदाताऔं के माध्यम से उनके द्वारा अनेक विधाओं में कार्डबोर्ड पर पहाड़ी शैली के घर और मंदिर के निर्माण किया गया। चीड़ के फल छ्यूंता की पंखुड़ियां और हार्ड बोर्ड की सहायता से विभिन्न प्रकार की आकृतियां, फूल,शो पी स आदि का निर्माण किया गया। रिंगाल व बांस की सूखी डंडियों को काटकर रंग भरकर आभूषण बनाऐ गये। पेपर मेसी, कागज की लुगड़ी के द्वारा अनेक प्रकार के मुखोटा बनाकर उनमें रंग भर कर आकर्षक बनाया गया।
इस अवधि में डीएलएड प्रशिक्षण द्वारा अलग-अलग समूह में दीवार पर अनेक प्रकार के चित्रांकन किए गए। जिसमें ऐपण, स्टोन पैन्टिग, दीवार चित्रकलाएं, भित्ति कलाएं, कैनवास पेंटिंग, का निर्माण किया गया। इस प्रशिक्षण में संदर्भ दाता के रूप में अरविंद नेगी, शैलेंद्र नेगी और शिवानी के मार्दर्शन में यह प्रशिक्षण और कार्यशाला संपन्न हुई। साथ ही कार्यक्रम समन्वयक अनुजा मैथानी ने कार्यशाला के विषय में विस्तार से अवगत कराया और कौशल कार्यक्रम के माध्यम से किस प्रकार से हम बेकार पड़ी वस्तुओं का उपयोग करें, अपने समय का सदुपयोग करने को लेकर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि कार्यशाला में उपस्थित अध्यापकों और डीएलएड प्रशिक्षण के द्वारा बहुत ही शानदार उपलब्धि रही। एक ओर जहां अध्यापकों ने अपने कला कौशल का प्रदर्शन किया, वहीं डीएलएड प्रशिक्षकों को इस कार्यशाला में बहुत कुछ सीखने का अवसर प्राप्त हुआ।
डायट के प्राचार्य स्वराज सिंह तोमर ने इस कार्यशाला को बहुत ही सफल बताया। कला के अध्यापकों ने जो अपने अपने हुनर और विद्या का प्रदर्शन किया और डीएलएड प्रशिक्षुओं को जो सीखने का अवसर प्राप्त हुआ, वह बहुत ही लाभकारी है। डायट की दीवारों को जहां उन्होंने सजाया वही भविष्य में डीएलएड प्रशिक्षुओं भविष्य में अपने विद्यालय में जाकर इस प्रकार के पैन्टिग कर सकेंगे और बच्चों को सिखा सकेंगे। जो उस विद्यालय के लिए बहुत ही लाभकारी होगा।
इस अवसर पर डीएलएड सेवा पूर्व विभाग विभाग कीअध्यक्ष संगीता डोभाल, कार्य अनुभव विभाग की विभाग अध्यक्ष नीलिमा शर्मा कार्यक्रम समन्वयक अनुजा मैथानी, विनय किमोठी और डॉक्टर जगमोहन पुण्डीर ने अपने विचार व्यक्त किये, संदर्भ दाता अरविंद नेगी, शैलेंद्र नेगी और शिवानी कठैत ने इस कार्यशाला को बहुत ही उपयोगी बताया और कहा कि भविष्य में इस प्रकार की कार्यशाली होती रहनी चाहिए।