Village head and area panchayat chief will become administrator

Uttarakhand News: उत्तराखंड सरकार ने पंचायतों के कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासकों की नियुक्ति को लेकर बड़ा फैसला लिया है। हरिद्वार जिले को छोड़कर राज्य के अन्य जिलों में निवर्तमान ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत प्रमुख प्रशासक के रूप में नियुक्त किए जाएंगे। इस निर्णय के तहत, राज्य के 7478 निवर्तमान ग्राम प्रधानों और 95 ब्लॉकों के क्षेत्र पंचायत प्रमुखों को प्रशासक बनाया जाएगा।

राज्य सरकार ने पंचायतों के कार्यकाल समाप्त होने के बाद छह महीने के भीतर या नई पंचायत के गठन तक, जो भी पहले हो, प्रशासकों की नियुक्ति का आदेश जारी किए हैं। जिलाधिकारियों को इस प्रक्रिया के लिए अधिकृत किया गया है। आदेश के अनुसार, हरिद्वार जिले को छोड़कर अन्य सभी जिलों में ग्राम पंचायतों के निवर्तमान प्रधान प्रशासक की भूमिका निभाएंगे। इसी तरह, क्षेत्र पंचायतों में निवर्तमान क्षेत्र पंचायत प्रमुख प्रशासक बनाए जाएंगे।

7478 निवर्तमान ग्राम प्रधान बनेंगे प्रशासक

प्रदेश के हरिद्वार जिले के 318 ग्राम प्रधानों को छोड़कर राज्य के 7478 निवर्तमान ग्राम प्रधानों को प्रशासक बनाया जाएगा। इसमें अल्मोड़ा जिले में 1160, नैनीताल में 479, बागेश्वर में 402, पिथौरागढ़ में 686, चंपावत में 313, ऊधमसिंह नगर में 375, पौड़ी में 1173, टिहरी में 1035, चमोली में 610, रुद्रप्रयाग में 336, उत्तरकाशी में 506 और देहरादून जिले में 401 निवर्तमान ग्राम प्रधान प्रशासक बनेंगे। इसी तरह राज्य के 95 ब्लॉकों में से हरिद्वार को छोड़कर अन्य में क्षेत्र पंचायत प्रमुख प्रशासक बनेंगे।

प्रधान संगठन ने बताया ऐतिहासिक फैसला

निवर्तमान ग्राम प्रधानों को ही प्रशासक के रूप में नियुक्त किए जाने को प्रधान संगठन ने सरकार का ऐतिहासिक फैसला बताया है। ग्राम प्रधान संगठन के अध्यक्ष भास्कर सम्मल ने प्रधानों की ओर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विभागीय मंत्री सतपाल महाराज का आभार जताया। कहा, निवर्तमान ग्राम प्रधान प्रशासक के रूप में अपनी जिम्मेदारी पर खरा उतरेंगे। सरकार ने यह फैसला पंचायत राज एक्ट के तहत लिया है। इससे लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई ग्रामपंचायत को मजबूती मिलेगी।

प्रशासकों की नियुक्ति के जरिए यह सुनिश्चित किया गया है कि जब तक नई पंचायतें नहीं बनती, तब तक गांवों में विकास कार्य और प्रशासनिक कामकाज में कोई बाधा न आए।प्रशासक के रूप में निवर्तमान प्रधानों को गांव के विकास कार्यों और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को संभालना होगा। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि निवर्तमान प्रधानों को प्रशासक बनाना निष्पक्षता पर सवाल खड़ा कर सकता है, खासकर यदि वे फिर से चुनाव लड़ने की योजना बनाते हैं।