देहरादून: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता ( UCC) के तहत अब तक दो लाख से अधिक विवाहों का पंजीकरण किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने बताया कि विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया को अब पहले की तुलना में अधिक सरल, पारदर्शी और सुलभ बनाया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के नागरिक भी अपने वैवाहिक अधिकारों से वंचित न रहें। इसी के तहत सरकार ने निर्णय लिया है कि 26 जुलाई 2025 तक विवाह पंजीकरण शुल्क पूरी तरह से निःशुल्क रहेगा।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “अब तक दो लाख से अधिक विवाहों का UCC के अंतर्गत पंजीकृत होना देवभूमि की जनता के विश्वास और सक्रिय सहभागिता का प्रमाण है।” उन्होंने प्रदेशवासियों से अपने विवाह का समय पर ऑनलाइन पंजीकरण कराने की अपील की, जिससे वे इस सामाजिक बदलाव का हिस्सा बन सकें।
प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद इसमें किए गए प्रविधान लगातार धरातल पर उतर रहे हैं। इसमें 27 मार्च, 2010 के बाद हुए विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है। इस कड़ी में अब तक 1,93,609 विवाह पंजीकृत किए जा चुके हैं। साथ ही लिव इन रिलेशन के तहत 35 जोड़े भी रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। विवाह विच्छेद के 210 प्रकरण पंजीकृत किए गए हैं। वहीं, वसीयत संबंधी 1087 प्रकरण पंजीकृत किए जा चुके हैं। समान नागरिक संहिता के तहत विवाह रजिस्ट्रेशन के लिए 250 रुपये का शुल्क निर्धारित है।
प्रदेश में अब 26 जुलाई तक विवाह रजिस्ट्रेशन निशुल्क कर दिया गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी एक वीडियो में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सरकार ने एक नई सामाजिक चेतना व न्यायपूर्ण व्यवस्था की नींव रखी है। इसमें विवाह रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी है।
सरकार का संकल्प है कोई भी नागरिक आर्थिक कारणों से अपने वैवाहिक अधिकारों से वंचित न रह जाए, इसी उद्देश्य से 26 जुलाई 2025 तक विवाह रजिस्ट्रेशन शुल्क पूरी तरह निशुल्क किया गया है। अब तक दो लाख से अधिक विवाह का रजिस्ट्रेशन हो चुका है।
उन्होंने सभी से अपील की कि जिनका विवाह इस कानून के लागू होने से पहले हो चुका है, वे भी आगे बढ़कर अपने विवाह का रजिस्ट्रेशन अवश्य कराएं ताकि उनका विवाह सुरक्षित और प्रामाणिक हो सके।