पौड़ी गढ़वाल: हस्तशिल्प में माहिर पौड़ी गढ़वाल के शिक्षक पंकज सुंद्रियाल की एक और कलाकृति सामने आई है। इसबार उन्होंने अपनी अनोखी हस्तकला के माध्यम से माचिस की करीब 20 हजार तिल्लियों से पैठाणी गांव की तलहटी में बसे काली नयार और पश्चिमी नयार के संगम पर स्थित राहु मंदिर की प्रतिकृति बनाई है। यह मंदिर हाल ही में बहुत चर्चा में रहा जब पौड़ी गढ़वाल के भूतपूर्व व वर्तमान जिलाधिकारी ने दौरा किया।
शिक्षक पंकज सुंद्रियाल इससे पहले डेढ़ लाख माचिस की तिल्लियों से अयोध्या के राममंदिर की प्रतिकृति बना चुके हैं। इसके अलावा वे माचिस की तिल्लियों से केदारनाथ धाम, ताजमहल, चर्च ऑफ नार्वे, कॉर्नर टावर ऑफ चाइना बना चुके हैं। शिक्षक पंकज को इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में भी जगह मिल चुकी है।
राजकीय प्राथमिक विद्यालय अणसारी थापला, एकेश्वर ब्लॉक, पौड़ी गढ़वाल के शिक्षक पंकज सुन्दरियाल ने पैठाणी स्थित राहु मंदिर की प्रतिकृति बनाने को लेकर कहा कि जब उन्होंने अपना शैक्षिक सफर शुरू किया तो नियुक्ति पश्चात पहले दर्शन इसी मंदिर मे किये और उनके के मन में विचार कौंधा कि क्यों न माचिस की तिल्लियों से इस मंदिर को बनाया जाए। लेकिन उस समय वे ताजमहल का सृजन कर रहे थे। उसके बाद उन्होंने बोरगंड चर्च नार्वे, कार्नर टावर आफ़ चाइना, केदारनाथ धाम मंदिर, श्रीराम मंदिर अयोध्या, श्री महासू देवता मंदिर बनाये। करीब 13 साल बाद विभागीय स्थानांतरण होने के पश्चात फिर से उनके मन में राहु मंदिर पैठाणी की प्रतिकृति बनाने का विचार आया। जिसके बाद बीते आठ माह में श्री राहु मंदिर पैठाणी का निर्माण कार्य शुरू किया, लेकिन उनका यह सफर आसान नहीं था, क्योंकि इस मंदिर के गुम्बद ऊपर से गोलाई लिए हुए है, ऊपरी हिस्सा भी वृत्ताकार आकृति का है। बताया कि बहुत प्रयत्न के बाद यह बन ही गया।
पंकज सुन्दरियाल बताते हैं कि अब वे श्री बद्रीनाथ मंदिर बना रहे है। शिक्षक का कहना है कि आज एआई की दुनिया में हस्त-शिल्प की वैल्यू बढ रही है, यह क्षेत्र रोजगार से भरा है बस कठोर परिश्रम, धैर्य और लगातार काम करते रहना ही सफलता की कुंजी है। शिक्षक पंकज कहते है अब वो एक कृति कंकड़-पत्थर से भी बनाकर लोगों को दिखायेंगे जिससे युवा प्रेरणा ले और सकारात्मक जीवन जी सकेंगे।
माचिस की तीलियों से मंदिर बनाने का विचार कैसे आया मन में
शिक्षक पंकज ने बताया कि उन्होंने तिल्लियों से काम करना 2001 मे तब शुरू किया था जब वे निराशा में डूब गए थे। वे बताते हैं कि बेरोजगारी और अधिक शिक्षित होने में कभी कभी परेशानी हो जाती है, क्योंकि आप छोटा काम नही कर सकते। लेकिन पंकज ने गणित विषय में निष्णात, बीएड, पीजी डिप्लोमा इन टूरिज्म, पीजी डिप्लोमा इन यौगिक साइंस करने के उपरांत पौड़ी बस अड्डे में दुकान शुरू की। जिसमें फोटोग्राफी, फ़ोटोस्टेट, ट्रांसपोर्ट, व फूलों का काम किया। जिसमें उन्होंने अच्छा मुनाफा कमाया।
उन्होंने बताया कि लोगों की दुकान न चलने से बंद होती है, जबकि उनकी ज्यादा चलने के बावजूद भी बंद हो गयी। दरसल उनके पिताजी उनके इस काम से खुश नहीं थे। इसलिए उन्होंने दुकान छोड़कर दूसरा काम करने की सलाह दी। स्कूलों में घूमने को कहा, लेकिन किसी ने नौकरी नहीं दी।
इस बीच ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों की संख्या बढ़ने लगी, समस्या यह थी कि बच्चे शाम को ही आते थे और उन्हें दिनभर खाली बैठना पड़ता था। हाथ काम मांग रहे थे तो एक दिन टेबल पर फेवीकोल माचिस की डिब्बी पर गिर गया बस फिर क्या था। अगले दिन सुबह वे लक्ष्मीनारायण मंदिर पौड़ी में दर्शन करने के बाद माचिस के पाकेट और फेवीकोल ले आये और मन मंजिल की आधारशिला रखने लगे। एक ऐसा काम जिसमें आप अकेले हैं, क्योंकि इससे पहले बहुत लोगों के साथ उन्होंने काम किया था, जिसमें लोगों ने उन्हें धोखा दिया, इसलिए ऐंसा कार्य जिसे वो अकेले और अकेले ही गढ़ते हैं।