Raksha Bandhan 2025: भारतीय संस्कृति में पर्व-त्योहार न केवल आनंद और उल्लास का माध्यम हैं, बल्कि वे पारिवारिक मूल्यों, परंपराओं और रिश्तों को भी मजबूती प्रदान करते हैं। इन्हीं पर्वों में रक्षाबंधन का विशेष स्थान है, जो भाई-बहन के पवित्र प्रेम और कर्तव्यों का प्रतीक है।
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह पर्व बहन द्वारा भाई की कलाई पर रक्षा-सूत्र (राखी) बाँधने और भाई द्वारा बहन की रक्षा का वचन देने की परंपरा पर आधारित है। रक्षाबंधन न केवल पारिवारिक संबंधों को सुदृढ़ करता है, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक गौरव को भी उजागर करता है।
धार्मिक ग्रंथों में रक्षाबंधन का महत्व
- रक्षाबंधन से जुड़ी कई धार्मिक और ऐतिहासिक कथाएँ भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाती हैं।
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण को हाथ में चोट लगी थी और रक्त बह रहा था, तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके हाथ पर बाँधा था। इस रक्षा-सूत्र के बदले श्रीकृष्ण ने चीरहरण के समय द्रौपदी की रक्षा की थी। - एक अन्य ऐतिहासिक प्रसंग में मेवाड़ की रानी कर्मावती ने मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर चित्तौड़ की रक्षा हेतु सहायता मांगी थी, जिसे हुमायूं ने राखी की लाज रखते हुए स्वीकार किया और सहायता दी।
- पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवताओं और राक्षसों के युद्ध में पराजय से दुखी इंद्रदेव ने ब्रह्मणों से रक्षा-सूत्र बंधवाया था, जिसके प्रभाव से उन्हें विजय प्राप्त हुई। तब से यह पर्व और भी व्यापक रूप से मनाया जाने लगा।
- यह पर्व यम और यमुना की कथा से भी जुड़ा है, जिसमें यमराज को उनकी बहन यमुना ने राखी बाँधी थी और अमरत्व का वरदान माँगा था। यमराज ने कहा कि जो भाई अपनी बहन से राखी बंधवाएगा, वह दीर्घायु होगा और कष्टों से मुक्त रहेगा।
इस बार रक्षाबंधन पर बन रहे हैं विशेष योग
इस वर्ष रक्षाबंधन का पावन पर्व 9 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन सौभाग्य योग, शोभन योग और स्वार्थ सिद्ध योग जैसे अत्यंत शुभ संयोग बन रहे हैं, जो त्योहार को और अधिक फलदायी बना देंगे। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस बार भद्रा काल की छाया नहीं रहेगी, जिससे पूरे दिन राखी बांधने का शुभ अवसर रहेगा।
ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:22 से 5:04 बजे तक तथा अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:17 से 12:53 बजे तक रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार चार वर्षों के बाद रक्षाबंधन पर ऐसा दुर्लभ और प्रभावकारी संयोग बन रहा है।
रक्षा-सूत्र में बंधे रिश्ते की मजबूती
रक्षाबंधन केवल एक रिवाज नहीं, बल्कि एक भावनात्मक बंधन है, जो भाई-बहन के रिश्ते को स्नेह, विश्वास और समर्पण की डोर से जोड़े रखता है। यह पर्व आने वाली पीढ़ियों को भी रिश्तों की अहमियत का बोध कराता है।
लेखक: अखिलेश चन्द्र चमोला, वरिष्ठ हिन्दी अध्यापक, राजकीय इंटर कॉलेज सुमाडी।