World Suicide Prevention Day: विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर मेडिकल कॉलेज के एचएनबी बेस अस्पताल श्रीनगर में बुधवार को एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से एक विशेष अभियान की भी शुरुआत की गई, जो पूरे पखवाड़े तक चलेगा।अभियान के अंतर्गत मनोरोग विभाग की ओपीडी में एक विशेष काउंटर स्थापित किया गया है, जहां मानसिक स्वास्थ्य संबंधी किसी भी जिज्ञासा या जानकारी को व्यक्तिगत रूप से सुरक्षित वातावरण में साझा किया जा सकेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ. राकेश रावत ने की। उन्होंने आत्महत्या रोकथाम के महत्व पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि अस्पताल में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुदृढ़ बनाया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक मरीजों को लाभ मिल सके। साथ ही उन्होंने अपील की कि मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्व दिया जाए।मनोचिकित्सा विभागाध्यक्ष डॉ. मोहित सैनी ने बताया कि आत्महत्या की प्रवृत्ति को समय रहते पहचाना जाए तो दवाइयों और अन्य आधुनिक तकनीकों जैसे ईसीटी (ECT) और आरटीएमएस (RTMS) के माध्यम से प्रभावी रूप से रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि समाज में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी तकनीक भी सहायक हो सकती है।
मनोरोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पार्थ दत्ता ने आत्महत्या के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अवसाद, तनाव, नशे की लत और सामाजिक अलगाव इसके मुख्य कारक हैं। हर साल लगभग 7 लाख लोग आत्महत्या के कारण अपनी जान गंवा देते हैं, यानी हर 40 सेकंड में दुनिया का एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। उन्होंने परिवार और मित्रों से अपील की कि यदि किसी व्यक्ति में निराशा, अवसाद या आत्महत्या की प्रवृत्ति दिखाई दे तो तुरंत विशेषज्ञ की मदद लें।
कार्यक्रम में डॉ. सतीश कुमार, डॉ. इंदिरा, डॉ. विक्की बक्शी, डॉ. रॉकी, डॉ. रिदा, डॉ. सोनाली, नर्सिंग ऑफिसर, मेडिकल छात्र और अस्पताल कर्मचारी उपस्थित रहे। सभी ने संकल्प लिया कि समाज में आत्महत्या रोकथाम हेतु जनजागरूकता फैलाने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।