नई दिल्ली: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में महिलाओं की सुरक्षा और घास काटने के दौरान घस्यारियों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं को लेकर सर्वभौमिक सोशल, कल्चरल, एजुकेशनल एंड चारिटेबल ट्रस्ट ने राज्य सरकार से ठोस नीति बनाने की मांग की है।

गुरुवार को संस्था के अध्यक्ष अजय सिंह बिष्ट की अगुआई में सार्वभौमिक संस्था की एक टीम ने दिल्ली स्थित स्थानीय आयुक्त कार्यालय में घस्यारियों के लिए ठोस निति निर्धारण करने हेतु उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तथा महिला एवं बाल कल्याण मंत्री ने नाम ज्ञापन दिया.

संस्था के पदाधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री और महिला एवं बाल कल्याण मंत्री को भेजे पत्र में कहा कि पलायन की मार झेल रहे लगभग 1700 गांव पहले ही भूतहा हो चुके हैं, वहीं शेष बचे गांवों में महिलाएं आज भी जीवन जोखिम में डालकर घास काटने को विवश हैं।

बीती 26 अक्टूबर 2025 को उत्तरकाशी जिले के अंतरगत डुंडा तहसील के रनाड़ी गांव के पास जंगलों में घास काट रही 58 वर्षीय महिला की पहाड़ी से गिरे पत्थर की चपेट में आने से दर्दनाक मौत हो गई थी। मृतका के पीछे छोटे-छोटे बच्चे और परिवार असहाय स्थिति में हैं। संस्था ने कहा कि यह कोई एक घटना नहीं, बल्कि इस तरह की दुर्घटनायें राज्य में अक्सर सुनने को मिलती हैं।

अजय सिंह बिष्ट ने मांग की है कि उत्तराखंड सरकार घस्यारी महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षण और बेहतर जीवन के लिए स्थायी नीति बनाए। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसी नीति में घायल होने की स्थिति में ₹5 लाख और मृत्यु की स्थिति में ₹10 लाख की आर्थिक सहायता का प्रावधान किया जाए।

स्थानीय आयुक्त को ज्ञापन देने वालों मे अजय बिष्ट, प्रताप थलवाल, जय लाल नवानी, सुभाष नौटियाल और बिजेन्द्र रावत मौजूद थे।