Sparsh Himalaya Festival 2025: स्पर्श हिमालय और हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में लेखक गांव, देहरादून स्थित गंगा पंडाल में गढ़वाली भाषा एवं संस्कृति पर एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ रहे। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि मातृभाषाओं का संरक्षण और संवर्धन आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

सत्र के प्रथम वक्ता गढ़वाली गीतकार और कवि गिरीश सुंदरियाल ने ‘सोशल मीडिया और गढ़वाली भाषा’ विषय पर अपने विचार रखे। कवि धर्मेंद्र नेगी ने ‘नई पीढ़ी और गढ़वाली भाषा’ पर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया। गढ़वाली साहित्यकार एवं रंगकर्मी मदन मोहन डुकलाण ने ‘गढ़वाली भाषा और रंगमंच’ विषय पर विस्तार से अपनी बात रखी, जबकि लेखक व भाषा चिंतक रमाकांत बेंजवाल ने गढ़वाली भाषा के मानक रूप की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।

युवा शोधार्थी और गढ़वाली साहित्यकार आशीष सुंदरियाल ने कृत्रिम मेधा (AI) के माध्यम से गढ़वाली भाषा के संरक्षण की आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किए।

कार्यक्रम के बीच गढ़वाली कथाकार कमल रावत के उपन्यास ‘देवलगढ़’ का विमोचन मुख्य अतिथि डॉ. निशंक के करकमलों से हुआ। साथ ही, कमल रावत को उनके इस उपन्यास के लिए ‘टीकाराम गौड़ साहित्य सम्मान’ से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार लगभग चालीस वर्ष बाद पुनः प्रारंभ किया गया है।

कमल रावत ने बताया कि ‘देवलगढ़’ उपन्यास को पूरा करने में उन्हें लगभग छह वर्ष लगे। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने सत्र के सार को समेटते हुए मातृभाषा के संरक्षण की दिशा में निरंतर प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया।

सत्र के उपरांत आयोजित काव्य गोष्ठी में मदन मोहन डुकलाण, गिरीश सुंदरियाल, धर्मेंद्र नेगी, कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’, शांति अमोली बिंजोला, अमन रतूड़ी, कांता घिल्डियाल, सचिन रावत, भारती आनंद, प्रिया देवली और मीना देवली सहित अनेक कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया।

काव्य गोष्ठी में राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन गणेश खुगशाल ‘गणी’ ने किया।