देहरादून: गढ़वाली भाषा के संरक्षण और संवर्धन में योगदान देने के लिए उत्तराखंड के दो आईटी पेशेवरों ने एक वेबसाइट विकसित की है जो पहाड़ी भाषाओं का पहला AI (Artificial intelligence) है जो कि जनता के प्रयोग के लिए अब उपलब्ध है।  पहाड़ी.एआई वेबसाइट (https://www.pahadi.ai) का शुभारंभ उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री और भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने रविवार को देहरादून में किया। अब आप एक क्लिक में चैट जीपीटी की तरह गढ़वाली, इंग्लिश या दुनिया की किसी भी भाषा में अपने प्रश्न पूछकर उनका उत्तर गढ़वाली में ले सकते हैं। संभवतः यह विश्व का पहला एआई है जो किसी विलुप्तप्राय भाषा का संरक्षण करने में सक्षम बना है। यदि इस मॉडल को वैश्विक स्तर पर अपनाया जाए, तो अनगिनत भाषाओं को नया जीवन मिल सकता है।

इस कदम की सराहना करते हुए, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा, “गढ़वाली भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए इन एआई इंजीनियरों का कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण है। भाषा मंत्री ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बात बहुत से लोग कर रहें हैं, लेकिन इन दो युवा एआई इंजीनियरों ने यह काम करके दिखा दिया और बड़े वैज्ञानिक तरीके से किया है। इस कार्य में उत्तराखंड भाषा विभाग और एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय मिलकर सॉफ्टवेयर को पूर्ण रूप से विकसित करेंगे।”

बतादें कि जय आदित्य नौटियाल और सुमितेश नैथानी लंदन में एआई विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने उत्तराखंड की लुप्तप्राय गढ़वाली और अन्य भाषाओं के प्रचार के लिए एक एआई वेबसाइट विकसित करने का विचार बनाया। उसके बाद वापस उत्तराखंड आकर उन्होंने गाँव-गाँव जाकर स्थानीय बोलियों, उच्चारणों, ध्वनियों और भाषायी पैटर्न का गहन अध्ययन किया। इस परियोजना में लगभग डेढ़ साल का समय लगा। जहां उनके साथ डॉ अदिति नौटियाल भी जुड़ीं जो अब पहाड़ी AI क्रिएटिव हेड हैं और मेडिकल ट्रेनिंग और वेलिडेशन की चीफ भी। अब यह वेबसाइट ऑनलाइन और निःशुल्क उपयोग के लिए उपलब्ध है।

एआई वेवसाईट का लोकार्पण करते हुए इस कार्यक्रम में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के प्रतिनिधि प्रो. मोहन पंवार ने कहा कि मातृभाषा गढ़वाली और उत्तराखण्ड की अन्य भाषाओं के संरक्षण, संवर्धन में यह एआई वेवसाईट कारगर साबित होगा। गढ़वाल विश्वविद्यालय का लोक कला और संस्कृति निष्पादन केन्द्र इस कृत्रिम मेधा के साथ कार्य कर रहा है।

उत्तराखंड के लोक गायक नरेंद्र सिंह नेगी भी इस अवसर पर उपस्थित थे और उन्होंने कहा, “नई तकनीक नई पीढ़ी को अपनी भाषा से जुड़ने में मदद करेगी। मेरा मानना ​​है कि युवाओं को अपनी भाषा के प्रति आकर्षित करने के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।”

इस लोकार्पण समारोह में शिक्षाविद् डॉ नन्द किशोर हटवाल,प्रो. प्रभाकर बडोनी, डॉ विजयकांत पुरोहित, कीर्ति नवानी, डॉ ईशान पुरोहित, राजू गुसाईं, रामचरण जुयाल, सोहन चौहान, कविलाश नेगी तथा गणेश खुगशाल गणी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन गणेश खुगशाल गणी ने किया।

ऐप कैसे उपयोग करें:

1.⁠ ⁠https://pahadi.ai पर जाएँ और निःशुल्क लॉग-इन करें

2.⁠ ⁠“चैट करा” बटन दबाएँ – चैटGPT जैसा इंटरफ़ेस खुल जाएगा

3.⁠ ⁠माइक्रोफ़ोन से बोलें या टेक्स्ट बार में अपना प्रश्न लिखें

4.⁠ ⁠Pahadi.ai पहाड़ी भाषा में जवाब देगा जो आप स्क्रीन में देख सकोगे

5.⁠ ⁠स्पीकर बटन से उत्तर को आवाज़ में सुना जा सकता है

6.⁠ ⁠सभी चैट्स बाएँ पैनल में स्वतः सेव रहती हैं