10वीं और 12वीं में फेल होने के बाद भी हिम्मत नहीं हारी… आज भारतीय सेना में कैप्टन बन देश की शान बढ़ा रहे हैं।
अगर किसी की मार्कशीट ही उसकी जिंदगी तय करती, तो आज पौड़ी गढ़वाल के कैप्टन विकास रावत भारतीय सेना में वर्दी की शान नहीं बनते। उनकी कहानी उन सभी युवाओं के लिए उदाहरण है जो असफलता के बाद खुद को खो देते हैं। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के मनियारस्यूँ पट्टी के ग्राम देवल निवासी विकास रावत पढ़ाई में लगातार चुनौतियों से जूझते रहे। राजकीय इंटर कॉलेज पुरियाडांग के छात्र रहे विकास पहले दसवीं में फेल हुए, फिर 12 में भी फेल हुए। लेकिन हार मानने की बजाय उन्होंने संघर्ष चुना और भारतीय सेना की राह पकड़ ली। वे वर्ष 2010 में गढ़वाल राइफल में बतौर सिपाही भर्ती हो गए। यहीं से उनकी जिंदगी ने करवट ली और मेहनत, अनुशासन और जुनून ने उनके भाग्य को नया रूप दिया।
फ़ौज में भर्ती होने के बाद भी उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई भी जारी रखी। पहले उन्होंने ओपन स्कूल से 12वीं पास किया। और उसके बाद Indira Gandhi National Open University (IGNOU) से ग्रेजुएशन किया और उसके बाद IGNOU से ही पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन (MA) भी किया।
खेलों में भी दिलचस्पी रखने वाले विकास रावत ने गढ़वाल राइफल में बॉक्सिंग को चुना और बॉक्सर बन गए। हालाँकि भाग्य को कुछ और ही मंजूर था, कुछ समय बाद चोट लगने के कारण उन्हें बॉक्सिंग छोडनी पड़ी और वे आर्मी क्लर्क के पद पर सेवा देने लगे। वे चार साल स्पेशल फोर्स कमांडो भी रहे।
इस दौरान उन्होंने सेना में डिपार्टमेंटल एक्साम दिया। और अपने पहले ही प्रयास में SSB क्लियर कर लिया। जिसके बाद वे 25 नवम्बर 2023 को IMA देहरादून से पासआउट होकर लेफ्टिनेंट बन गए। उसके 2 साल बाद बीते 25 नवम्बर को विकास रावत भारतीय सेना में कैप्टेन बन गए हैं। वर्तमान में वे भारतीय सेना में कैप्टेन के रूप में बेंगलुरु में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
देवल गाँव के बेहद साधारण परिवार से आने वाले विकास रावत की माँ आंगनबाड़ी कार्यकत्री हैं जबकि पिता उमा शंकर रावत घंडियाल में मेडिकल स्टोर चलाते हैं। विकास के बड़े भाई विवेक रावत अपना व्यवसाय चलाते हैं। जबकि छोटा भाई भी भारतीय सेना में अपनी सेवा दे रहे हैं।
सेना में विकास का गौरवशाली सफर:
- गढ़वाल राइफल्स में भर्ती हुए
- गढ़वाल राइफल्स में बॉक्सर रहे
- आर्मी क्लर्क के पद पर सेवा की
- चार साल स्पेशल फोर्स कमांडो के रूप में देश की सुरक्षा की
- पहले प्रयास में कमीशन परीक्षा (SSB) पास कर सेना में अधिकारी बने
- आज भारतीय सेना में कैप्टन के रूप में बेंगलुरु में तैनात हैं।
कैप्टन विकास रावत का जीवन बताता है कि डिग्री और मार्क्स नहीं बल्कि संकल्प, साहस और निरंतर मेहनत ही सफलता का असली रास्ता बनाते हैं। विकास आज दो बच्चों के गर्वित पिता और एक जिम्मेदार पति भी हैं। उनकी सफलता हर युवा को यह संदेश देती है कि “फेल होना गलत नहीं… हार मान लेना गलत है।”
जगमोहन डांगी



