नई दिल्ली: सार्वभौमिक सोशल कल्चर एजुकेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट एवं जयंती फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में उत्तराखंड सदन, चाणक्यपुरी में ‘मूल की पुकार (Roots Calling)’ कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रतिलोम पलायन, घस्यारी नीति निर्धारण, वानप्रस्थ योजना तथा वीर भड़ माधोसिंह भण्डारी सम्मान–2025 जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर उपस्थित प्रबुद्ध जनों ने विस्तृत चर्चा, सुझाव और भविष्य की कार्ययोजना पर मार्गदर्शन दिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ ट्रस्ट के संस्थापक अजय सिंह बिष्ट के उद्बोधन से हुआ। उन्होंने रिवर्स माइग्रेशन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि पहाड़ों के पुनर्जीवन हेतु सामूहिक प्रयास अनिवार्य हैं। उन्होंने उपस्थित विशेषज्ञों व गणमान्य लोगों से अपने विचार साझा करने का आग्रह किया।

मुख्य वक्ता एवं प्रतिभागी

कार्यक्रम में व्यवसायी संजय जोशी, गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करा चुके गोपाल उप्रेती, कर्नल यशपाल नेगी (रिटायर्ड) – निर्विरोध प्रधान, ग्राम बिरगणा (पौड़ी गढ़वाल), सीएम मीडिया सलाहकार मदन मोहन सती, डॉ. प्रकाश उप्रेती, डॉ. प्रेम बहुखण्डी, एसआई संजय शर्मा, एडवोकेट बद्री प्रसाद अन्थवाल, क्षेत्र पंचायत सदस्य देवप्रयाग श्रीमती रोशनी चमोली, ग्राम प्रधान जयानन्द ध्यानी (सल्ट) तथा ग्राम प्रधान बिरगणी, टिहरी युद्धवीर सिंह रावत सहित बड़ी संख्या में पत्रकार, साहित्यकार, कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता एडवोकेट संजय दरमोड़ा द्वारा की गई। संचालन सुभाष गुसाईं ने किया।

कार्यक्रम के प्रमुख निर्णय

  1. घस्यारी नीति निर्धारण हेतु प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित।
  2. उत्तराखंड की वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराने का सामूहिक आह्वान।
  3. सभी लोगों को परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज कराने की अपील।
  4. गांवों को गोद लेकर, सरकार व स्थानीय निकायों के सहयोग से प्रतिलोम पलायन हेतु अनुकूल वातावरण तैयार करने का निर्णय।
  5. सेवानिवृत्त व्यक्तियों से अपील कि वे गांव लौटकर युवाओं को पहाड़ों में रोजगार के अवसरों के लिए प्रेरित करें।
  6. हर व्यक्ति साल में कम से कम 10–20 दिन अपने गांव में बिताए, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले।
  7. अपनी आयकर राशि का 10 प्रतिशत गांव के विकास में खर्च करने का आग्रह।
  8. ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं की जानकारी देने हेतु क्लस्टर बनाने का निर्णय।

सम्मान समारोह

इस अवसर पर उन 11 महानुभावों को, जिन्होंने बड़े शहरों को छोड़कर अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है, “वीर भड़ माधोसिंह भण्डारी सम्मान–2025” से सम्मानित किया गया। साथ ही पाँच विशिष्ट व्यक्तियों को “मुख्य प्रेरक सम्मान” प्रदान किया गया।

कार्यक्रम ने उत्तराखंड में प्रतिलोम पलायन, ग्रामीण उत्थान और सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव को लेकर एक सशक्त संदेश दिया तथा भविष्य के लिए ठोस कार्ययोजना निर्धारित की।