नई दिल्ली: दिल्ली के पांडव नगर इलाके में बीते शनिवार को उत्तराखंड मूल की 4 साल की मासूम बच्ची के साथ हुई रेप की घटना को लेकर दिल्ली में उत्तराखंड के सबसे बड़े प्रतिनिधि संगठन गढ़वाल हितैषिणी सभा के तत्वावधान में विभिन्न सामाजिक राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों, लेखकों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा मंगलवार को गढ़वाल भवन में एक बैठक की गई। बैठक में चार साल की बच्ची के साथ हुई हैवानियत की घटना को लेकर किस तरह से कानूनी और सामाजिक रूप से कैसे आगे बढ़ा जाए ताकि आरोपी को जल्द से जल्द कठोर सजा हो और पीड़ित बच्ची और उसके माता-पिता को न्याय मिल सके, इसके लेकर सभी ने अपने अपने विचार रखे।

 ये है वह शर्मनाक घटना

देश की राजधानी दिल्ली के पांडव नगर इलाके में शनिवार शाम को एक 4 साल की मासूम बच्ची के साथ रेप की घटना को अंजाम दिया गया। जानकारी के मुताबिक पीड़ित बच्ची ट्यूशन पढ़ने के लिए आरोपी अरमान की बहन के घर जाती थी। शनिवार को मासूम कोचिंग सेंटर पहुंची तो वहां पर महिला टीचर नहीं थी। लेकिन उसका आरोपी भाई वहां पर मौजूद था। आरोप है कि महिला के 34 वर्षीय भाई ने मासूम के साथ दुष्कर्म किया। बाद में उसे किसी को कुछ भी बताने पर जान से मारने की धमकी देकर घर भेज दिया। इसीबीच रात को बच्ची की तबीयत बिगड़ने लगी। जिस पर परिवार के लोग उसे नजदीकी डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर ने दुष्कर्म की बात कहकर मासूम को लाल बहादुर अस्पताल भेज दिया। बाद में बच्ची की हालत बिगड़ने पर उसे एम्स रेफर कर दिया गया।

घटना की जानकारी मिलने पर आरोपी के घर के बाहर लोगों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई। भीड़ आरोपी के घर में घुसने का प्रयास करने लगी। गुस्साई भीड़ ने आरोपी की दुकान में तोड़फोड़ कर उसकी दुकान का सारा सामान होलिका दहन वाली जगह रख दिया था. जिसकी सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने भीड़ को हटाया। मंडावली थाना पुलिस ने आरोपी अरमान के खिलाफ दुष्कर्म और पॉक्सो की धाराओं में मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया।

इस शर्मनाक घटना को लेकर मंगलवार को गढ़वाल भवन में हुई अहम बैठक में दिल्ली और एनसीआर के अलग-अलग हिस्सों से लोग शामिल हुए और अपने विचार व्यक्त किये।

वरिष्ठ अधिवक्ता संजय दरमोड़ा ने इस शर्मनाक घटना पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए पोस्को एक्ट पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए इस केस को लड़ने और इसे तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए अपनी मुफ्त कानूनी सेवा की पेशकश की।

दिल्ली भाजपा के प्रदेश मंत्री डॉ. विनोद बछेती ने गढ़वाल हितैषिणी सभा की पहल की सराहना करते हुए कहा कि एक प्रतिनिधिमंडल को तुरंत स्थानीय पुलिस स्टेशन के SHO और ।O सहित मामले से निपटने वाले डीसीपी से मिलना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मामले का कानूनी पहलू मजबूत हो। और दोषियों को कानून की कड़ी धाराओं के तहत दंडित किया जा सके।

उत्तराखंड लोक मंच के अध्यक्ष बृजमोहन उप्रेती ने सभी से अपने संकीर्ण राजनीतिक मतभेदों को त्यागने और कम से कम कुछ समय के लिए अपनी राजनीतिक संबद्धताओं और विचारधाराओं को त्यागकर एकजुट ताकत के रूप में आगे आने का आग्रह करते हुए अपने पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।

शिक्षाविद् और मयूर पब्लिक स्कूल के मालिक एम।एस।रावत ने इस मुद्दे को प्राथमिकता से उठाने और बैठक बुलाने के लिए गढ़वाल हितैषिणी सभा का आभार व्यक्त किया। उन्होंने गढ़वाल हितैषिणी सभा के अध्यक्ष अजय सिंह बिष्ट से इस मामले में शामिल पत्रकारों की सेवाएं लेने और पुलिस अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए एलजी, दिल्ली पुलिस आयुक्त, एनएचआरसी और अन्य अर्ध न्यायिक निकायों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर ज्ञापन देने का आग्रह किया।

प्रसिद्ध समाज सेविका और सर्च माई चाइल्ड फाउंडेशन की प्रमुख कुसुम कंडवाल भट्ट ने पीड़ित परिवार को शीघ्र न्याय सुनिश्चित करने के लिए इस संघर्ष में अपना पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया और सभी से एकजुट होने और अन्याय के खिलाफ अपनी लड़ाई में प्रतिबद्ध होने का आग्रह किया ताकि अपराधी को कड़ी सजा की गारंटी दी जा सके।

वरिष्ठ पत्रकार चारू तिवारी ने कहा कि सभी सामाजिक संगठनों, राजनीतिक प्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं को अपने व्यक्तिगत मतभेदों और राजनीतिक संबद्धताओं और विचारधाराओं को भूलकर इस वास्तविक मुद्दे , मामले का पहलू को उठाने के लिए एकजुट होकर आगे आना चाहिए और कानूनी मजबूती के साथ-साथ एक मजबूत सामाजिक गति भी पैदा करनी चाहिए।

वरिष्ठ पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश नौटियाल ने इस बैठक के आयोजकों और उपस्थित लोगों को आगाह किया कि वे अपने संकीर्ण राजनीतिक विचारों और वैचारिक संबद्धता को छोड़ दें और राजनीति को इसमें लाकर ऐसे कारणों को कमजोर करने के बजाय इस संघर्ष को आगे बढ़ाने में ईमानदार, निष्पक्ष और पारदर्शी रहें ताकि न्याय के तार्किक निष्कर्ष तक पहुँच सकें ।

उत्तराखंड जर्नलिस्ट्स फोरम के अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार, कार्यकर्ता सुनील नेगी ने नजफगढ़ और वसंत विहार की निर्भया सहित अंकिता भंडारी के मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि ऐसे मामलों का कानूनी हिस्सा बहुत महत्वपूर्ण है और इन्हें बहुत सावधानी से निपटाया जाना चाहिए। सटीक, सामाजिक राजनीतिक मोर्चे पर भी ऐसे मुद्दों को शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक आंदोलनों के माध्यम से आगे बढ़ाया जाना चाहिए और पुलिस और सरकारों पर दबाव बनाने के लिए मीडिया में प्रकाश डाला जाना चाहिए। सुनील नेगी ने कहा कि मामले में गति बढ़ाने के लिए जमीनी स्तर पर लोगों को एकजुट करना बेहद जरूरी है।

गढ़वाल हितैषिणी सभा के अध्यक्ष अजय बिष्ट और महासचिव मंगल सिंह नेगी ने मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए एक कानूनी समिति का गठन किया और समिति की घोषणा की। उन्होंने सभी को आश्वासन दिया कि यह आंदोलन पांडव नगर की पीड़िता और उसके पीड़ित परिवार को राजनीतिक जुड़ाव और राजनीतिक मेलजोल से दूर रखकर पूरी तरह से न्याय सुनिश्चित करेगा।

प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता चंदन सिंह गुसाईं ने कहा कि कोई किसी भी पार्टी में हो या अपना राजनीतिक एजेंडा चला रहा हो, लेकिन ऐसे में उन्हें राजनीति, अपने राजनीतिक हित और संकीर्ण राजनीति को छोड़ देना चाहिए, तभी हम पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाने में सफल होंगे। चंदन गुसाईं ने कहा कि मामले का कानूनी पहलू बहुत महत्वपूर्ण है और इसे बेहद सटीकता से निपटाया जाना चाहिए।

प्रेमा धोनी ने कहा कि संकीर्ण राजनीतिक विचारों को छोड़ देना चाहिए और सभी को इस उद्देश्य के लिए ईमानदारी और पूर्ण समर्पण के साथ आगे आना चाहिए।

गढ़वाल हितैषिणी सभा की सांस्कृतिक सचिव संयोगिता ध्यानी ने कहा कि फिलहाल इसे राजनीतिक रंग देने या इस पर आंदोलन करने की जरूरत नहीं है। हमें मामले के कानूनी पहलू को बारीकी से और बेहद निपुणता के साथ मजबूत करना चाहिए।

अधिकांश वक्ताओं ने कहा कि पीड़िता को सिर्फ उत्तराखंड की बेटी तक सीमित रखने की बजाय भारत की बेटी कहा जाना चाहिए। सभी ने दोषियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिए जल्द से जल्द फांसी की सजा देने की मांग की।

अंत में सभी प्रतिभागियों ने गढ़वाल भवन के परिसर में एक मौन कैंडल मार्च निकाला, जो इस मुद्दे के प्रति एकजुटता व्यक्त करने का प्रतीक था और इस शर्मनाक कृत्य के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देकर पीड़ित सहित पीड़ित परिवार के लिए न्याय की मांग की।