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नई दिल्ली: उत्तराखंड के पौराणिक एवं ऐतिहासिक शहर जोशीमठ में पिछले एक महीने से हो रहे भू-धसाव के कारण आई आपदा से अब तक वहां सैकड़ों परिवार प्रभावित हो चुके हैं। आपदा प्रभावितों के पुनर्वास व विस्थापन को लेकर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग है कि उनको स्थायी पुनर्वास और सही मुआवजा दिया जाए। जोशीमठ शहर में पिछले एक महीने से चल रहे प्रदर्शन की गूंज शनिवार को दिल्ली में भी सुनाई दी। दिल्ली में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडियों ने जोशीमठ आपदा प्रभावितों के समर्थन में आवाज बुलंद करते हुए जंतर-मंतर पर धरना दिया। धरना प्रदर्शन में जोशीमठ होकर आए लोगो ने आपबीती बताई।

शनिवार को वाइस आफ माउंटेंस के बैनर तले जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति सहित दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न उत्तराखंडी संगठनों क्रिएटिव उत्तराखंड-म्यार पहाड़, उत्तराखंड युवा प्रवासी समिति, उत्तराखंड जनमोर्चा, गढ जन शक्ति संगठन, उत्तराखंड बचाओ आंदोलन, खुदेड़ डांडी-कांठी साहित्य एवं कला मंच, उत्तराखंड लोकमंच, उत्तराखंड भू कानून संघर्ष समिति, माता पार्वती चैरिटेबल के अलावा सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनितिक एवं मीडिया क्षेत्र से जुड़े लोगों के साथ बड़ी संख्या में दिल्ली में रह रहे उतराखंडवासी दिल्ली के जंतर-मंतर पर पहुंचे और धरने पर बैठे और प्रभावितों के शीघ्र पुनर्वास की मांग की। इसमें कई उत्‍तराखण्‍ड राज्‍य आन्दोलनकारी भी शामिल हुए।

वहीँ जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने बताया कि आपदा के कारण प्रभावित हुए व्यक्तियों को उनके भवनों की उचित मुआवजा राशि स्थायी पुनर्वास दिए जाने को लेकर आंदोलित हैं, परंतु सरकार पूरे मामले पर सिर्फ लीपापोती कर रही है। उन्होंने कहा कि जो कुछ हद तक छोटे-मोटे कार्य होना शुरू हुए हैं, आंदोलनकारियों के दबाव का परिणाम है।

उन्होंने कहा कि जोशीमठ हमारी जन्मभूमि तो है ही, साथ ही आदिगुरु शंकराचार्य की तपस्थली होने के चलते ऐतिहासिक धरोहर है। आज इस ऐतिहासिक नगरी में पड़ी दरारों की तस्वीरें और रोते बिलखते परिवारों की आवाजें दिल्ली जंतर मंतर पर पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि जोशीमठ के प्रभावितों के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा और देश-दुनिया में जो भी व्यक्ति इस न्यायिक लड़ाई में हमारे साथ आएगा, उसका स्वागत किया जाएगा।

धरने पर बैठे सामाजिक संगठनों ने ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक शहर जोशीमठ को बचाने के लिए प्रधानमंत्री को विभिन्न मांगों पर विचार करने के लिए ज्ञापन दिया।

  1. जोशीमठ की वर्तमान तबाही के लिये जिम्मेदार एनटीपीसी द्वारा बनाई जा रही तपोवन – विष्णुगाड़ परियोजना की सुरंग निर्माण की प्रक्रिया में है। इस परियोजना को तत्काल स्थायी रूप से बंद किया जाए। साथ ही जोशीमठ का अस्तित्व संकट में डालने के लिए एनटीपीसी पर परियोजना की लागत का दोगुना जुर्माना लगाया जाए। लगभग बीस करोड़ की इस राशि को परियोजना के कारण उजड़ने वाले लोगों में वितरित किया जाए।
  2. केन्द्र सरकार जोशीमठ के लोगों को घर के बदले घर और जमीन के बदले जमीन देते हुए व अत्याधुनिक जोशीमठ के समयबद्ध नवनिर्माण के लिए उच्च स्तरीय अधिकार संपन्न समिति गठित करे। इसमें ‘जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के जन प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए।
  3. केन्द्रीय रक्षा मंत्रालय द्वारा सेना के लिए 1962 में जोशीमठ के लोगों की जो जमीनें अधिग्रहित की गई थी उसका मुआवजा आज तक लोगों को नहीं मिला है। अब वे जमीनें भी संकट की जद में हैं। इससे पहले कि उन जमीनों का अस्तित्व समाप्त हो, जोशीमठ के लोगों को उन जमीनों का मुआवजा वर्तमान बाजार दर पर दिया जाए।
  4. जोशीमठ के लोग जिस बेनाप भूमि पर वर्षो से काश्तकारी करते रहे हैं, उस जमीन को लोगों के खाते में दर्ज किया जाए ताकि इसका क्षरण होने की दशा में इसके एवज में लोगों को भूमि अथवा मूल्य मिल सके। क्योंकि 1958-84 के बाद कोई भूमि बंदोबस्त न होने के कारण ये भूमि लोगों के खातों में दर्ज नहीं हो पाई है।
  5. उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बन रही और प्रस्तावित सभी जलविद्युत परियोजनाओं, ऑल वेदर रोड और रेल मार्ग की समीक्षा की जाए। पंचेश्वर जैसे विशालकाय बांध हिमालयी क्षेत्र में न बनाए जाएं।
  6. मध्य हिमालय के संवेदनशील इलाके में विकास की दिशा को जनपक्षीय बनाए जाने के लिए एक नई कार्य योजना तैयार की जाए।
  7. यदि यहां से लोगों को कही और विस्थापित किया जाता हे तो यह जमीन मठ को दी जाए क्योंकि जोशीमठ एक मठ है बाद मे यह भूमि किसी बाहरी को न दी जाए ताकि भविष्य मे फिर ऐसा संकट न आए !

धरना प्रदर्शन में वरिष्ठ पत्रकार चारु तिवारी, पुरुषोत्‍म शर्मा, गिरजा पाठक , राजेश बिष्ट, दीपक भाकुनी, चंद्र सिंह रावत, रोशनी चमोली, बृजमोहन उप्रेती, अजय बिष्ट, पवन मैठाणी, जगमोहन जिज्ञासु, प्रदीप वेदवाल, अनिल पंत, अनु पंत, अम्बेश पंत, जगमोहन डांगी, जगत सिंह बिष्ट, सुरेश नौटियाल, उदय ममगांई राठी, दलबीर सिंह रावत, धीरेन्द्र प्रताप, भूपेंद्र सिंह रावत, हेम पन्त, सुनील नेगी, बलवीर सिंह धर्मवाण, खुशहाल सिंह बिष्ट, डॉ. नवीन पाण्डे, दीपा नयाल, किरन तिवारी, गीता रावत, बबली ममगांई, प्रताप थलवाल, हरीश अवस्थी एवं कई उत्‍तराखण्‍ड राज्‍य आन्दोलनकारी सहित सैकड़ों उत्तराखंडी मौजूद थे।