विश्व पुस्तक मेला : दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में 3 मार्च 2023 को हॉल नंबर 4 के सेमिनार कक्ष संख्या 2 में गढ़वाली भाषा में ‘गढ़वाली भाषा और नरेंद्र सिंह नेगी’ विषय पर एक संवाद आयोजित किया जा रहा है। इस संवाद में उत्तराखंड के प्रसिद्ध लोक गायक लोक रचनाकार नरेंद्र सिंह नेगी वीज व्याख्यान देंगे। नरेंद्र सिंह नेगी उत्तराखंड के ऐसे संजीदा रचनाकार हैं जिन्होंने गढ़वाली भाषा में लालित्य पैदा किया उनके अभ्युदय के साथ ही गढ़वाली भाषा के प्रति लोगों में अनुराग और भाषा के प्रति सम्मान का भाव पैदा हुआ।
नरेन्द्र सिंह नेगी के गीत उत्तराखंड की धरती में बहुत ही लोकप्रिय हैं। उनके गीतों की के प्रति लोगों के भाव और भावना को इस तरह से भी समझा जा सकता है कि उनके गाए गीत लोगों को हंसाते और रुलाते ही नहीं हैं मट्ठियां भींचकर आंदोलित कर सड़कों पर उतार लाते हैं। वे ऐसे लोक रचनाकार और गायक हैं जिनके गीत उत्तराखंड आंदोलन में लोगों को सड़कों पर उतार लाने में कामयाब रहे। उत्तराखण्ड में नरेन्द्र सिंह नेगी की स्वीकार्यता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि उनके गीतों ने उत्तराखंड में सत्ताएं बदल दी।
विश्व पुस्तक मेला किसी भी भाषा के लिए एक बहुत बड़ा मंच है इस मंच पर पहली बार उत्तराखंड की भाषा गढ़वाली में संवाद आयोजित किया जा रहा है। जिसमें उत्तराखंडी भाषाओं के रचनाकारों को साहित्यकारों को और भाषा के एक्टिविस्टों को आमंत्रित किया गया है। यह कार्यक्रम 3 मार्च 2023 को अपराहन 6:00 बजे से 7:30 बजे तक आयोजित होगा।
इस कार्यक्रम में जहां नरेंद्र सिंह नेगी से संवाद होगा वहीं नरेंद्र सिंह नेगी की तीन सद्य प्रकाशित पुस्तकें लोकार्पित की जाएंगी। उनकी कविताओं की पुस्तक जो अब जबकि नाम से प्रकाशित की गई है यह नेगी जी की कविताओं की पुस्तक है। दूसरी पुस्तक ‘तेरी खुद तेरे ख्याल’ है। जिसमें नेगी जी द्वारा गढ़वाली फिल्मों के लिए लिखे गए गीत संकलित किए गए हैं और तीसरी पुस्तक उनके 101 गीतों की पुस्तक है जिसका नाम है ‘तुम दगड़ि यह गीत राला’ इस पुस्तक में पाठकों को उनके जनगीत भी पढ़ने को मिलेंगे। इसी पुस्तक में उनका चर्चित गीत ‘नौछमी नारैण’ भी प्रकाशित किया गया है। गढ़वाली भाषा में यह संवाद विनसर पब्लिकेशन और गढ़वाली मासिक पत्रिका धाद द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।