संपूर्ण गांधी वांग्मय के प्रधान संपादक, दूरदर्शन के पूर्व संपादक, साहित्यकार, नाटककार और उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी राजेंद्र धस्माना को उनकी छठवीं पुण्यतिथि पर याद किया गया। गाजियाबाद के मोहननगर में ‘केइएन सभागार’ में बुरांस साहित्य एवं कला केंद्र ने राजेन्द्र धस्माना के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए प्रेस क्लब आफ इंडिया के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार उमाकांत लखेड़ा ने कहा कि राजेंद्र धस्माना ने अपने जीवन में कभी भी अपने जीवन-मूल्यों और सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। पत्रकार लखेड़ा ने कहा कि अपने पत्रकारिता के करियर के शुरूआती सालों में उनका राजेन्द्र धस्माना से परिचय हुआ जो समय के साथ-साथ प्रगाढ़ता में बदलता गया और धस्माना जी के अंतिम समय तक बना रहा। उन्होंने कहा कि राजेंद्र धस्माना एक स्पष्टवादी विचारक थे जिनकी करनी और कथनी की एकरूपता ताउम्र बनी रही।
राजेन्द्र धस्माना को याद करते हुए वरिष्ठ पत्रकार चारू तिवारी ने राजेंद्र धस्माना के साथ अपनी यात्राओं के संस्मरण साझा करते हुए कहा कि धस्माना जी हिमालय के सवालों पर मुखर भाव से डटकर काम करते थे।
साहित्यकार रमेश चंद्र घिल्डियाल ने राजेंद्र धस्माना के साथ अपने 1950,1960 के दिनों को याद करते हुए कहा कि साहित्यिक गोष्ठियों के आयोजन में राजेंद्र धस्माना बड़ी शिद्दत से करते थे।
साहित्यकार और पत्रकार प्रदीप वेदवाल ने उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी के तौर पर राजेंद्र धस्माना को याद करते हुए कहा कि मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे में पुलिसिया दमन की जांच करने के लिए उत्तराखंड मूल के पत्रकारों की राजेन्द्र धस्माना की अगुवाई में एक फैक्ट फाइंडिग कमेटी बनी थी। इस कमेटी ने घटनास्थल पर जाकर तथ्य जुटाने का काम किया था। लोगों से बात कर पुलिसिया दमन की पराकाष्ठा का पता लगाया था और पुलिसिया दमन की शिकायत की थी।
इस मौके पर निगम पार्षद अनिल राणा, लेखिका बीना नयाल, राजेंद्र धस्माना के कनिष्ठ पुत्र इंदीविजल धस्माना, इंदू देवरानी, साहित्यकार पृथ्वी सिंह नेगी केदारखंडी, चंदन सिंह गुसाईं ने राजेंद्र धस्माना के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अपने विचार व्यक्त किए। परिचर्चा में अतुल देवरानी, किरन तिवारी, अमित चौहान, विकास शाह, सुभाष देवरानी, दिनेश बिष्ट, कैलाश पांडेय आदि मौजूद थे।