नई दिल्ली : ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और पर्वतीय लोकविकास समिति द्वारा बैसाखी, विखोत, बिहू और पुलंथू पर्व के अवसर पर नई दिल्ली के प्रेस क्लब में राष्ट्रगौरव सम्मान अर्पण समारोह का आयोजन किया गया। समारोह का विषय प्रवर्तन करते हुए अति विशिष्ट अतिथि नागरी लिपि परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री और ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के पदाधिकारी डॉ. हरि सिंह पाल ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिकता हमारी राष्ट्रीय एकता की पहचान है। हमारे पर्व त्योहार अलग नामों से जाने जाते हैं लेकिन इनके पीछे सोच कहीं न कहीं परंपरा और प्रकृति से जुड़ती दिखती है।

वरिष्ठ पत्रकार और पर्वतीय लोकविकास समिति के उपाध्यक्ष सुनील नेगी ने कहा कि समिति प्रतिवर्ष विखोत पर्व पर विशेष आयोजन करती है, इस बार लोकभाषा संरक्षण और लोकपर्वों की मान्यता पर फोकस है। पहाड़ की विडंबना ये है कि दिल्ली की सरकार तक ने यहां गढ़वाली, कुमाऊनी और जौनसारी भाषा अकादमी खोल दी, लेकिन उत्तराखंड में इन लोकभाषाओं के लिए कुछ होता नहीं दिखता।

समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात प्रवासी लेखक और उद्यमी डॉ. बिनय सिंह ने कहा कि सात समंदर पार यदि भारतवंशी आज भी अपनी जड़ों से जुड़े हैं तो यह भारत से मिले संस्कारों का ही सुफल है। लोक संस्कृति से जुड़े उत्सवों से हमारी संस्कृति सुदृढ़ होती है और लोक भाषाओं के माध्यम से वैश्विक हिन्दी सशक्त होती है ।

समारोह के अतिविशिष्ट अतिथि श्री लाल बहादुर शास्त्री केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष एवं वास्तु विभाग के प्रमुख और भारत संस्कृत परिषद के राष्ट्रीय आयाम प्रमुख प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि बैसाखी, बैशाख मास और बिसाखा नक्षत्र से निसृत है, यह प्रकृति और ऋतु से जुड़ी अवधारणा है। भारतीय सूर्य और चंद्र दोनों के अनुसार चलते हैं,चाहे संस्कृत भाषा हो या ज्योतिष दोनों ही वैज्ञानिक हैं, हमें अपनी स्थापनाओं और मान्यताओं पर दृढ़ रहना होगा।

वरिष्ठ साहित्यकार और मेरठ यूनिवर्सिटी के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. नवीन चंद्र लोहानी ने कहा कि भाषा, संस्कृति, साहित्य अथवा कला जनमानस के अपनाने और स्वीकार्यता से मान्यता पाते हैं, किसी सरकारी घोषणा या प्रमाणपत्र से नहीं। आज कई क्षेत्रीय भाषाएं आठवीं अनुसूची में सम्मिलित होने की मांग करती हैं, पहले हम उनकी स्थिति देखें जो इस अनुसूची में शामिल हैं।

अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ  अधिवक्ता एडवोकेट नवीन कुमार जग्गी ने कहा कि भाषाओं के विवाद में पड़ने के बजाय राष्ट्रवाद का भाव मजबूत करना होगा। सभी लोककलाओं और लोक उत्सवों को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की यह अच्छी शुरुआत है।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए शीर्ष शिक्षाविद, लेखक और ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के महासचिव डॉ. शिवशंकर अवस्थी ने कहा कि विकसित देशों में लेखक के अधिकारों, उनकी रॉयल्टी से लेकर कॉपीराइट सबकी चिंता की जाती है, भारत जैसे देश में अभी वहां तक पहुंचने में समय लगेगा। हिन्दी भाषा अपनी ताकत से वैश्विक बन रही है, उसमें सिनेमा, मीडिया, बाजार, सोशल मीडिया और सभी तत्व सहयोग कर रहे हैं।

समारोह में डॉ. बिनय सिंह को राष्ट्र गौरव सम्मान प्रदान किया गया। साहित्य,समाजसेवा और पत्रकारिता के लिए राजेंद्र अवस्थी सम्मान क्रमशः डॉ. मनोज कुमार कैन, जसमिंदर सिंह साहनी और किशोर जी को प्रदान किए गए। डॉ. नरेंद्र कोहली सृजन, शिक्षा और समाजसेवा सम्मान क्रमशः कवि प्रदीप वेदवाल, बीपी ध्यानी और अमित कुमार शर्मा को प्रदान किए गए। समाज, शिक्षा और पत्रकारिता के लिए डॉ. वेद प्रताप वैदिक सम्मान क्रमशः श्यामलाल मजेड़ा, मान सिंह और हरीश लोहनी को प्रदान किए गए।

समारोह का संचालन करते हुए ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य और पर्वतीय लोकविकास समिति के संयोजक सूर्य प्रकाश सेमवाल ने कहा कि महानगरों में लोक उत्सवों की चर्चा प्रकृति की महत्ता को याद दिलाने के लिए आवश्यक है। ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के मंच पर यदि भिलंगना घाटी के विखोत, असम के बिहू या तमिलनाडु के पुलंथु पर चर्चा हो रही है तो यह एक भारत श्रेष्ठ भारत की धमक का शुभ संकेत है।