- कैसे काटूँ तेरे बगैर अपने दिन, तेरी निशानी याद तेरी दिलाती चली गई।
- आईने के सामने बैठी जिस वक्त, शक्ल मेरी सूरत तेरी दिखाती चली गई:- दीपिका पांडेय
हिन्दी दिवस के अवसर पर जागृति लीला फाउंडेशन ने नोएडा के उत्तराखंड पब्लिक स्कूल में आयोजित हिन्दी कवि सम्मेलन में कवियों ने अनेकता में एकता भारत की विशेषता पर कविताओं के माध्यम से हिन्दी भाषा की गौरवशाली विशेषताओं का बखान किया। कवयित्री और शिक्षिका लता दुबे की कविता हमारी मान है हिंदी, हमारी जान है हिंदी। हमारी भावना, वाणी निज सम्मान है, यही श्री राम की भाषा, यही माधव की बोली है, हमारी आत्मा, कल्पना, स्वाभिमान है हिंदी से कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। कवि कुमार पंकज अंतर्योगी ने अपनी रचना शव के भी अपने मजे हैं को कुछ इस अंदाज में बयां किया कविता नहीं, आध्यात्मिक चिंतन है, मृत्यु से भय कैसा..?
वो तो ईश्वर से आलिंगन है, ध्यान से देखो -दोनों हाथ फैलाए, तुम्हारे इंतजार में, भस्म रमाए सजे हैं- शव के भी अपने मज़े हैं।
युवा कवयित्री दीपिका पांडेय की इन पंक्तियों ने कि ‘कैसे काटूँ तेरे बगैर अपने दिन, तेरी निशानी याद तेरी दिलाती चली गई, आईने के सामने बैठी जिस वक्त, शक्ल मेरी सूरत तेरी दिखाती चली गई ने खूब वाहवाही लूटी।
कवयित्री और शिक्षिका पूजा भट्ट ने नर नहीं, नारी हूं मैं, सभी पुरुषों पर भारी हूं मैं, विश्वास है मुझे अपनों पर ,
और देव की सभी शिलाओं पर, देख रही हूं मैं, सहजता से, परख रही हूं मैं, जतनो से, सृष्टि का उद्गार हूं मैं, मानवता की शान हूं मैं, इस युग का कल्याण हूं मैं, अमृत काल की जान हूं मैं, नर नहीं नारी हूं मैं के माध्यम से महिला सशक्तिकरण की बात कही।
हेम पंत ने अपनी कविता में मां भारती का यशोगान करते हुए कहा फूले फले, सजे सुख संवेरे, तेरी कीर्ति हो विश्व महान, मेरो भारत बढ़ो महान। कवयित्री सरला अधिकारी ने अपनी बाल कविता के माध्यम से चिरैया की चहचहाहट और नीले आकाश की अनंतता का सजीव चित्रण किया। कवि सम्मेलन का संचालन वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार प्रदीप कुमार वेदवाल ने किया।
इस अवसर पर जागृति लीला फाउंडेशन की अध्यक्षा कुमू भटनागर जोशी ने सरस्वती वंदना कर मां भारती को नमन करते हुए कहा कि हिन्दी को प्रचार-प्रसार के साथ-साथ लोक व्यवहार में अधिक से अधिक उपयोग में लाने से हिंदी राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भी खूब फूलेगी-फलेगी। संस्था की संरक्षिका रमा पंत सरीन ने कहा कि हिन्दी के दिवंगत साहित्यकार अपने-अपने युग में उत्कृष्ट साहित्य रच गए हैं अब उसी परंपरा को आगे भी उत्कृष्ट साहित्य से सजाना-संवारना आज के साहित्यकारों का दायित्व है। भारतीय धरोहर पत्रिका के संपादक प्रवीन शर्मा ने फेसबुक और सोशल मीडिया के दूसरे माध्यमों पर हिन्दी को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करने के चलन पर आगाह करते हुए कहा कि मानकीकृत हिन्दी के शब्दों के साथ बेवजह की छेडछाड से बचने की जरूरत है।
इस पर उत्तराखंड पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष हरीश पपनै, प्रधानाचार्य मोहिनी नेगी, ग्रेटर नोएडा इंडस्ट्रीज असोसिएशन के अध्यक्ष आदित्य घिल्डियाल, भाजपा नेता गिरीश कोटनाला, उत्तराखंड महाकौथिग के संरक्षक विनोद कबटियाल, दिव्य प्रेम सेवा मिशन के शिवाकांत शर्मा, समाजसेवी सुरेंद्र गैरोला, मौलिक भारत संस्था के अनुज अग्रवाल, राहुल, सचिन राणा, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अमित गौड़, वीओएम से संध्या रावत, ममता रावत, बीना बहुगुणा, रेहाना अली, श्रीमती आशा पोद्दार,रेनू बाला शर्मा, निमिषा नेगी, इन्दू, अंजु, डाक्टर कविता सिंह, सुनीता नयाल, ममता तिवारी, जीतेन्द्र आदि मौजूद थे।