Kamdhenu Ramlila third day: कामधेनु रामलीला समिति की ओर पूर्वी दिल्ली के वेस्ट विनोद नगर स्थित रासविहार रामलीला मैदान (डीडीए पार्क) में आयोजित रामलीला में आज तीसरे दिन का मुख्य आकर्षण सीता स्वयंवर तथा परशुराम-लक्ष्मण संवाद का शानदार मंचन रहा. आज की लीला जनकपुरी में विश्वमित्र के साथ दोनों राजकुमार राम और लक्ष्मण के प्रवेश के साथ आरंभ होती है.
जनकपुर में सीता स्वयंवर की शोभा देखते ही बन रही है, पूरे शहर में चहल पहल है, सभी ओर खुशी का माहौल है जगह – जगह तोरण द्वार सजे हुए है पूरा जनकपुर फूलों से सजा है, विभिन्न राज्यों और देशों से सजे धजे राजकुमार पधारे हुए है, सभी इस आस में आये है कि वे अनुपम सुंदर सीता को अवश्य ही स्वयंवर में जीत लेंगे..हर ओर हर्ष का माहौल है.
यहीं पुष्प वाटिका में सीता अपनी सखियों के साथ माँ भगवती की पूजा हेतु फूल लेने आई हुई है, जहाँ राम और सीता पहली बार एकदूसरे को देखते है.
तद्पश्चात स्वंयवर स्थल का दृश्य खुलता है, जहाँ कई राजकुमार शिव के धनुष पर चिल्ला चढ़ाकर सीता को अपना बनाना चाहते है, लेकिन अचंभा है कि जिस शिव धनुष को सीता जी द्वारा आसानी से एक जगह से दूसरी जगह रख दिया जाता है, उस धनुष को स्वयंवर में आये हुए कोई भी राजा महाराजा हिला तक भी नही पाते है. रावण का प्रवेश भी स्वयंवर में होता है, लेकिन बाणासुर के रोकने पर वह धनुष की ओर नही जा पाता.
इससे निराश होकर राजा जनक उपस्थित सभी क्षत्रिय राजाओं को धिक्कारते है, और उन्हें स्वंयवर से जाने को कहते है. इससे स्वंयवर में बैठे लक्ष्मण क्रोधित हो जाते है, जिसके बाद वह राजा जनक को क्षत्रिय समाज को धिक्कारने के लिये खूब खरी खोटी सुनाते है. इसे देख ऋषि विश्वामित्र राम को कहते है कि – हे राधव उठो, और जनक के साथ ही राजकुमारी सीता की चिंता का निवारण करो.
गुरु की आज्ञा पाकर अयोध्या के राजकुमार दशरथ नंदन राम भगवान शिव की स्तुति करते हुए शिव धनुष को प्रणाम करते है, और पल भर में जैसे ही राम धनुष को उठाते है, शिव धनुष गर्जना के साथ खंडित हो जाता है, शिव धनुष खंडित होते ही राज्यसभा में जय घोष होता है, और आसमान से देवताओं द्वारा पुष्प वर्षा होती है. इस प्रकार श्री राम स्वंयवर में सीता को अपना बना लेते है. धूमधाम से राम – जानकी का विवाह संपन्न होता है.
वही शिव धनुष खंडन की गर्जना सुन, शिव भक्त परशुराम को संसय होता है कि शिव धनुष को अवश्य ही क्षति पहुँची है, और वह क्रोधित हो जनकपुर में प्रकट हो जाते है. वहाँ शिव धनुष को खंडित देख वे भयंकर क्रोध में आते है. सभा मे उपस्थित सभी राजाओं पर अपना क्रोध करते है.. इस पर वहाँ बैठे राम लक्ष्मण उन्हें अनायास ही धनुष टूट जाने के बारे में बताते है, जिस के बाद लक्ष्मण और परशुराम के मध्य जबरदस्त तर्क वितर्क और संवाद होते है. जिसका पटाक्षेप श्री राम करते है. वे परशुराम का भ्रम दूर करते है, जिस पर परशुराम स्वयं विष्णुजी को राम के रूप में देख धन्य हो जाते है और उनसे क्षमा मांग वापस अपने धाम को प्रस्थान करते है.
उसके बाद अयोध्या में श्री राम के विवाह का समाचार भेजा जाता है, तब अयोध्या से राजा दशरथ अपने अन्य पुत्रों, तीनो रानियों, गुरुओं एवं अयोध्या वासियों सहित गाज़ो बाजों के साथ बारात लेकर जनकपुर की ओर प्रस्थान करते है, अंततः जनकपुर में राम जानकी का विवाह पूरे रीति रिवाज और परंपरा के साथ संपन्न होता है.
आज की लीला में राम-सीता का प्रथम मिलन का दृश्य बहुत ही सुंदर था. स्वंयवर में राजा जनक-लक्ष्मण, रावण-बाणासुर और लक्ष्मण-परशुराम संवाद आज की लीला के विशेष आकर्षण थे. इन सभी पात्रों ने इन दृश्यों में अपना सर्वस्व देकर आज की लीला को दर्शकों के लिये अविस्मरणीय बना दिया. पूरे साल राम भक्त दर्शक कामधेनु रामलीला के इस स्वयंवर को नही भूल पाएंगे.
इन पात्रों में रावण और बाणासुर के पात्रों में जगमोहन सिंह बुगाणा और तुषार धस्माना ने जान डाली, लक्ष्मण और परशुराम के अभिनय को अपने अभिनय से पुष्कर रावत और अजय रावत ने निखारा, राम की भूमिका में पंकज पुरोहित और सीता के पात्र में ऋतु बिष्ट के रूप में दर्शकों को राम-जानकी के ही साक्षात्कार हुए. जनक के रूप में महेंद्र रावत, सुनैना बनी राधा उप्रेती, अन्य राजाओं / गुरुओं में, गणेश पांडे, हरीश कपर्वान, सुमित रावत, गौरी, संजय, कार्तिक ध्यानी, हितेश, मोहित, विशाल, निखिल, सुमित, मुकेश, और विजय ने भी अपने अभिनय से दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खींचा.