Green Hydrogen Fuel Cell Car

Green Hydrogen fuel cell : देश में अब आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल से निजात मिल सकती है। मौजूदा समय में सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या तेजी के साथ सड़कों पर बढ़ती जा रही है। हाल के दिनों में टाटा, मारुति और हुंडई कंपनियों ने कई गाड़ियों को सीएनजी में लॉन्च किया था। ऐसे ही इलेक्ट्रिक कारों की भी सड़कों पर दस्तक हो चुकी है।

अमेरिकी कंपनी टेस्ला ने कर्नाटक के बेंगलुरु में इलेक्ट्रिक कार बनाने के लिए प्लांट लगाया हुआ है। आने वाले दिनों में टेस्ला की कई गाड़ियां इलेक्ट्रिक वर्जन में लॉन्च होने के लिए तैयार है। ‌

इसी के साथ आज देश में ‘ग्रीन हाइड्रोजन’ (फ्यूल सेल) से चलने वाली कार भी का भी शुभारंभ हो गया है। इसकी शुरुआत केंद्रीय भूतल सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने की। आज सुबह राजधानी दिल्ली से अपने आवास से गडकरी संसद भवन में जाने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन (फ्यूल सेल) से चलने वाली कार से संसद पहुंचे। यानी आज से देश में ग्रीन हाइड्रोजन कार का सफर शुरू हो चुका है। ‌ग्रीन हाइड्रोजन से निर्मित कार के आने से आने वाले दिनों में देशवासी प्रदूषण से भी बहुत हद तक निजात पा सकेंगे।

इस मौके पर नितिन गडकरी ने कहा कि ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन होगा, इसके स्टेशन होंगे और देश का आयात भी बचेगा। इसके कारण नए रोजगार का भी निर्माण होगा। हम हाइड्रोजन का निर्यात करने वाला देश बनेंगे।

आइए अब आपको बताते हैं ग्रीन हाइड्रोजन क्या है। जब पानी से बिजली गुजारी जाती है तो हाइड्रोजन पैदा होती है। इस हाइड्रोजन का इस्तेमाल बहुत सारी चीजों को पावर देने में होता है। अगर हाइड्रोजन बनाने में इस्तेमाल होने वाली बिजली किसी रिन्यूएबल सोर्स से आती है, मतलब ऐसे सोर्स से आती है जिसमें बिजली बनाने में प्रदूषण नहीं होता है तो इस तरह बनी हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है।

क्या है ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन हाइड्रोजन कार कैसे चलती है?

  • ग्रीन हाइड्रोजन पारंपरिक ईंधन का एक विकल्प है जिसे किसी भी वाहन पर इस्तेमाल किया जा सकता है। ग्रीन हाइड्रोजन ईंधन मध्यम से लंबी दूरी की यात्रा के लिए काफी भरोसेमंद मानी जा रही है।
  • ग्रीन हाइड्रोजन एक शून्य-उत्सर्जन ईंधन है। यानी इससे कोई प्रदूषण नहीं होगा।
  • यात्रा के दौरान पानी के अलावा कोई उत्सर्जन नहीं होगा।
  • एक कार में हाइड्रोजन भरने में 3 से 5 मिनट का समय लगेगा जैसे पेट्रोल भरने में लगता है।
  • हाइड्रोजन से चलने वाली कार में, गैस को एक हाई-प्रेशर टैंक में स्टोर किया जाता है। फिर इसे बिजली पैदा करने के लिए फ्यूल सेल में भेजा जाता है। हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच प्रतिक्रिया से बिजली पैदा होती है।

बता दे कि ग्रीन हाइड्रोजन अक्षय ऊर्जा (जैसे सौर, पवन) का उपयोग करके जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा निर्मित होता है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है, ब्राउन हाइड्रोजन का उत्पादन कोयले का उपयोग करके किया जाता है। जहां उत्सर्जन को वायुमंडल में निष्कासित किया जाता है। आपको बता दें कि भारत पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल, ओएनजीसी और एनटीपीसी जैसी भारत की बड़ी कंपनियों ने इस दिशा में काम करना शुरू दिया है। आने वाले दिनों में देश में ग्रीन हाइड्रोजन से वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी आएगी। इससे वायु प्रदूषण में भी राहत मिलेगी।

बता दें कि इसी महीने 16 मार्च को देश में ग्रीन हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलने वाली देश की पहली कार टोयोटा मिराई (Toyota Mirai ) को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने लॉन्च किया था। इस कार को टोयोटा और किर्लोस्कर ने मिलकर तैयार किया है।