Greater Noida Authority

ग्रेटर नोएडा : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में 17 साल पहले हुई भर्ती में हुए घोटाले में फंसे 15 कर्मचारियों व अधिकारियों को बर्खास्तगी के नोटिस भेजे गए हैं। कार्रवाई से पहले सभी से उनका पक्ष मांगा गया है कि उन्हें क्यों न बर्खास्त किया जाए। आरोप है कि नियमों के विपरीत भर्ती प्रक्रिया में भाग लेकर तथ्यों को छुपाकर नौकरी हासिल की है। दूसरे राज्यों के प्रमाण पत्र लगाए गए थे। शैक्षिक योग्यता को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। ज्ञात हो कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में वर्ष 2003-04 में हुई भर्ती में 58 कर्मचारियों/अधिकारियों को नौकरी पर रखा गया था। आरोप है कि नियमों को ताक पर रखकर कुछ खास लोगों को नौकरी दिए जाने पर तत्कालीन विधायक एवं भाजपा नेत नवाब सिंह नागर ने भर्ती में घोटाले का गंभीर आरोप लगाया था। भर्ती मैनेजर, अस्सिटेंट मैनेजर से लेकर चपरासी आदि पदों के लिए निकाली गई थी। इनमें पंजाब, जम्मू कश्मीर, मणिपुर समेत दूसरे राज्यों के लोगों को मैनेजर आदि की पोस्ट पर नौकरी दी गई। दूसरे राज्यों के लोगों को नियम के विपरीत उत्तर प्रदेश में एससी-एसटी आरक्षण का लाभ दिया गया। भर्ती में घोटाले का आरोप लगने पर तत्कालीन सीईओ ने जांच कर नियुक्तियों को अवैध करार दिया था और बर्खास्तगी की सिफारिश की थी। बाद में शासन रिटार्यड आईएएस अधिकारी आरएस माथुर से जांच कराई। उन्होंने भी नियुक्तियों को फर्जी करार दिया। भाजपा नेता नवाब सिंह नागर की मांग पर सरकार ने विधान परिषद की आासन समिति से जांच कराई। वर्ष 2018-19 में शासन ने इस मामले में कार्रवाई करके ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से रिपोर्ट मांगी थी। केंद्रीय नियमावली लागू होने के कारण प्राधिकरण को केवल चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को ही हटाने का अधिकार है। भर्ती घोटाले में अब शासन ने नोटिस जारी किए हैं। शासन ने जिन कर्मचारियों व अधिकारियों को नोटिस भेजा है,उनमें प्रबंधक से लेकर क्लर्क तक के कर्मचारी शामिल हैं। सभी से उनका पक्ष मांगा गया है। कहा गया है कि क्यों न उन्हें बर्खास्त कर दिया जाए। जवाब के बाद शासन अपनी कार्रवाई करेगा। प्राधिकरण के सीईओ नरेंद्र भूषण ने नोटिस की पुष्टि की है।