Delhi Sports University : खेलों में सर्वोच्च पुरस्कार (राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार) से सम्मानित भारत की पहली ओलंपिक मेडल विजेता महिला कर्णम मल्लेश्वरी को दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली खेल विश्वविद्यालय (Delhi Sports University) का पहला कुलपति नियुक्त किया गया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को इसकी घोषणा की। केजरीवाल ने कहा कि वह मल्लेश्वरी से मिले हैं और इस बारे में उनके साथ विस्तार से चर्चा की। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘‘दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी शुरू हो रही है। हमारा बहुत बड़ा सपना पूरा हुआ। मुझे यह कहते हुए बेहद गर्व है कि ओलंपिक पदक विजेता कर्णम मल्लेश्वरी पहली कुलपति होंगी। आज उनके साथ मुलाक़ात हुई और विस्तार से चर्चा हुई। बता दें कि दिल्ली विधानसभा ने 2019 में दिल्ली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी (DSU) स्थापित करने के लिए एक विधेयक पारित किया था। इस यूनिवर्सिटी में क्रिकेट, फुटबॉल और हॉकी के अलावा अन्य खेलों में ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और डॉक्टरेट की डिग्री दी जाएगी। अब उन्हें स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाया गया है।
वर्तमान में हरियाणा के यमुनानगर की रहने वाली वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी ने सिडनी ओलंपिक में वेट लिफ्टिंग में देश के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रचा। उनका यह रिकॉर्ड आज भी बरकरार है, क्योंकि भारत की किसी भी महिला ने अभी तक ओलंपिक में वेट लिफ्टिंग में कोई मेडल नहीं जीता है।
मल्लेश्वरी ने 25 साल की उम्र में सितंबर 2000 में सिडनी ओलंपिक में कुल 240 किलोग्राम में स्नैच श्रेणी में 110 किलोग्राम और क्लीन एंड जर्क में 130 किलोग्राम भार उठाया और ओलंपिक में पदक (कांस्य) जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इसके बाद उनकी ऐतिहासिक उपलब्धियों की वजह से उन्हें जनता ने ’द आयरन लेडी’ नाम दिया।
‘द आयरन लेडी’ के नाम से मशहूर कर्णम मल्लेश्वरी को 1994 में अर्जुन पुरस्कार और 1995 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह 1999 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित की गईं थीं। कर्णम मल्लेश्वरी मूलरूप से आंध्रप्रदेश की रहने वाली है। वर्ष 1997 में उनकी शादी हुडा सेक्टर-18 निवासी राजेश त्यागी से हुई। वह भी राष्ट्रीय स्तर के भारोत्तलन रहे हैं। कर्णम मल्लेश्वरी फिलहाल दिल्ली में एफसीआई की चीफ जनरल मैनेजर के पद हैं। और परिवार के साथ जगाधरी के सेक्टर 18 में रहती हैं।
कर्णम मल्लेश्वरी मूलरूप से आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव वोसवानिपेटा हैमलेट की रहने वाली हैं। वह 12 साल की उम्र से खेल के मैदान में उतर गई थीं। उस समय उनके पिता कर्णम मनोहर फुटबॉल खिलाड़ी थे, जबकि उनकी चार अन्य बहनें भारोत्तोलक खिलाड़ी थी। कर्णम मल्लेश्वरी बचपन से बेहद कमजोर थीं इसलिए उन्हें भारोत्तोलक (वेट लिफ्टिंग) से दूर रहने को कहा गया। लेकिन वह वेटलिफ्टर ही बनना चाहती थी, तब उनकी मां आगे आईं और उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने कर्णम को यह विश्वास दिलाया कि वह यह कर सकती हैं। 1990 में कर्णम की जिंदगी में एक बड़ा बदलाव तब आया जब एशियाई खेल से पहले राष्ट्रीय कैंप लगा। इसमें कर्णम अपनी बहन के साथ एक दर्शक के रूप में गई थीं और खिलाड़ी के तौर पर इसका हिस्सा नहीं थीं, लेकिन इसी दौरान विश्व चैंपियन लियोनिड तारानेंको की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने तुरंत ही कर्णम की प्रतिभा को पहचान लिया और कुछ स्किल्स देखने के बाद उन्हें बैंगलोर स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में भेज दिया। यहां से कर्णम ने अपनी प्रतिभा दिखानी शुरू की और उसी साल अपना पहले जूनियर राष्ट्रीय वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 52 किग्रा भार वर्ग में नौ राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दिए। इसके एक साल बाद उन्होंने पहला सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप का खिताब भी जीत लिया।
साल 1997 में उन्होंने अपने साथी वेटिलिफ्टर राजेश त्यागी से शादी कर ली। 2001 में उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया। इसके बाद वो 2002 के कॉमनवेल्थ गेम्स से खेलों में फिर से अपनी वापसी करना चाहती थी, लेकिन पिता की मौत के कारण वो इन खेलों का हिस्सा नहीं बन सकीं। इसके बाद 2004 के एथेंस ओलंपिक में मेडल नहीं जीत पाने के बाद उन्होंने वेटलिफ्टिंग से संन्यास का ऐलान कर दिया था।