दिल्ली सरकार की अनुमति के बगैर निजी स्कूल अपने शिक्षकों/कर्मचारियों को नौकरी से नहीं निकाल सकते। दिल्ली स्कूल ट्रिब्यूनल ने यह फैसला देते हुए निजी स्कूल द्वारा एक शिक्षिका को नौकरी से बर्खास्त किए जाने को गैर कानूनी बताया है। इसके साथ ही शिक्षिका को दोबारा से बहाल करने का आदेश दिया है। ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा है कि स्कूल प्रबंधन ने शिक्षिका को पिछले 10 सालों में कामकाज में कमी को लेकर कभी भी पत्र जारी नहीं किया। लेकिन जब उसने अपने वेतन का मुद्दा उठाया तब स्कूल ने उसके कामकाज संतोषजनक नहीं होने के कारण नौकरी से निकाल दिया।
ट्रिब्यूनल के पीठासीन अधिकारी दिलबाग सिंह पूनिया ने दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और दिल्ली स्कूल शिक्षा नियम के प्रावधानों का विस्तार से हवाला देते हुए कहा कि शिक्षकों/कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के लिए सरकार/शिक्षा निदेशालय की अनुमति अनियार्य है। उन्होंने कहा है कि मौजूदा मामले में स्कूल प्रबंधन ने तय कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर ही शिक्षिका सरिका डबास को नौकरी से निकाल दिया है।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि ऐसे शिक्षिका को बर्खास्त करने के लिए स्कूल प्रबंधन द्वारा अक्तूबर, 2019 में जारी आदेश को रद्द किया जाता है। ट्रिब्यूनल ने इसके साथ ही, मार्डन चाइल्ड पब्लिक स्कूल, पंजाबी बस्ती नांगलोई को याचिकाकर्ता सरिका डबास को 4 सप्ताह के भीतर दोबारा से बहाल करने का आदेश दिया है। साथ ही पूरा वेतना व भत्ता देने का भी आदेश दिया है। इतना ही नहीं, ट्रिब्यूनल ने कहा कि स्कूल के जिस प्रबंधक ने शिक्षिका को स्कूल से निकालने का फैसला लिया, वह इस तरह के आदेश पारित करने के लिए सक्षम नहीं थे और न ही उन्होंने मामले की जांच की और न बर्खास्तगी के लिए किसी बैठक के मसौदे का हवाला दिया।
क्या था मामला
दिल्ली के एक निजी स्कूल में एक दशक से भी अधिक समय से कार्यरत शिक्षिका सरिका डबास को स्कूल प्रबंधन ने अवैध रूप से छुट्टी करने के आरोप में अक्तूबर 2019 में नौकरी से हटा दिया था। इसके खिलाफ शिक्षिका ने अधिवक्ता अनुज अग्रवाल के माध्यम से ट्रिब्यूनल में याचिका दाखिल कर कहा कि नौकरी से निकालने के स्कूल ने तय मानकों और कानून का पालन नहीं किया। उन्होंने दिल्ली स्कूल शिक्षा अधिनियम और नियम के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि स्कूल प्रबंधन ने इसके लिए न तो जांच की और न ही नौकरी से निकालने के लिए सरकार की अनुमति ली। शिक्षिका ने अपने अधिवक्ता अनुमज अग्रवाल के माध्यम से कहा कि उसे अपने आंख की सर्जरी करानी थी, और इसके लिए छुट्टी ली गई थी। साथ ही कहा कि डॉक्टर के सलाह पर छुट्टी की अवधि बढ़ाने को लेकर भी उसने स्कूल प्रबंधन को ई-मेल कर दिया था। इस बारे में उन्होंने साक्ष्य भी पेश किया। जिसके बाद ट्रिब्यूनल ने कहा कि शिक्षिका को बर्खास्त करने के लिए स्कूल प्रबंधन द्वारा अक्तूबर, 2019 में जारी आदेश को रद्द किया जाता है। ट्रिब्यूनल ने याचिकाकर्ता सरिका डबास को 4 सप्ताह के अंदर बहाल करने के साथ ही पूरा वेतना व भत्ता देने का भी आदेश दिया है।