remdesivir-injection-black-marketing

सीएमओ ऑफिस गौतमबुद्धनगर के एक संविदा कर्मचारी व एम्स दिल्ली में लैब टेक्निशियन की पायी गयी संलिप्तता

ग्रेटर नोएडा : देशभर में महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस के संक्रमण से ग्रसित मरीजों के लिए जीवनदायी साबित हो रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन व दवाइयों की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही है। गौतमबुद्ध नगर जिले के नॉलेज पार्क कोतवाली पुलिस ने बुधवार को कैलाश अस्पताल के बाहर रेमडेसिविर की कालाबाजारी कर रहे चार लोगों को धर दबोचा,जबकि मुख्य आरोपी समेत दो अभी फरार हैं। अभियुक्तों के कब्जे से दो रेमडेसिविर इंजेक्शन, 49,600 रूपये नगद व घटना में प्रयुक्त कार बरामद हुई है।

इस गिरोह में सीएमओ ऑफिस के एक संविदा कर्मचारी व एम्स दिल्ली में लैब टेक्निशियन की संलिप्तता पायी गयी है। पुलिस दोनों की तलाश कर रही है। एडीसीपी विशाल पांडेय ने बताया कि नॉलेज पार्क कोतवाली पुलिस को सूचना मिली कि कैलाश अस्पताल के बाहर कुछ लोग रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे हैं। इस पर पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुंची और चार लोगों को धर दबोचा,जबकि दो मौके से फरार हो गए। गिरफ्तार अभियुक्तों की पहचान शुभम गोयल निवासी चौधरी वाड़ा बुलंदशहर, वैभव शर्मा, शिवम शर्मा और योगेंद्र सिंह निवासी मुरादनगर के रूप में है। सभी वर्तमान में ग्रेटर नोएडा के सेक्टर सिग्मा में रह रहे थे। एडीसीपी ने बताया कि गिरोह का सरगना विकास कौशिक व सुमित अभी फरार हैं। गिरफ्तार अभियुक्तों से पूछताछ में पता चला कि गिरोह का सरगना विकास कौशिक सीएमओ ऑफिस गौतमबुद्धनगर में संविदा कर्मचारी है तथा सुमित एम्स दिल्ली में लैब टेक्निशियन है। गिरोह के सरगना विकास ने ही रेमडेसिविर इंजेक्शन के कालाबाजारी की योजना बनाई थी। कालाबाजारी कर एक इंजेक्शन 30 से 50 हजार रूपये में बेच रहे थे, जबकि बाजार में इसकी कीमत 2200 रूपये है।

वैभव व शिवम करते थे रेकी- पुलिस के मुताबिक ग्रेटर नोएडा के सेक्टर अल्फा-1 में रहने वाला वैभव शर्मा व शिवम अस्पताल के बाहर रेकी करते थे। वहां वह जिसको बात करते हुए सुनने थे कि उसके किसी जानने वाले को रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत है तो आरोपी उससे तुरंत कहते थे कि वह इंजेक्शन दिलवा देंगे। कीमत सुनकर लोगों के होश उड़ जाते थे,लेकिन मरीज की जान बचाने के लिए लोग 30 से 50 हजार रूपये में इंजेक्शन खरीद रहे थे।