Sangeet Natak Akademi Awards

Sangeet Natak Akademi Awards: गुरुवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में संगीत अकादमी की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशभर से चयनित प्रख्यात संगीतकारों, नर्तकों, लोक एवं आदिवासी कलाकारों और रंगकर्मियों को उनके विशिष्ट योगदान के लिए वर्ष 2019, 2020, 2021 के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया। इसीक्रम में उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल निवासी प्रख्यात संस्कृतिकर्मी और शिक्षाविद प्रो दाता राम पुरोहित को भी सम्मानित किया गया है। प्रो दाता राम पुरोहित को उत्तराखंड की लोक कलाओं के संवर्धन में अमूल्य योगदान के लिए साल 2021 का संगीत नाटक अकादमी सम्मान प्रदान किया गया है। कोरोना संक्रमण के कारण पिछले तीन सालों से पुरस्कार वितरण कार्यक्रम नहीं हुआ था।

उल्लेखनीय है कि संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भारत में प्रदर्शन कला वर्ग में दिए जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार है। देश के इस प्रतिष्ठित पुरस्कार वितरण की परंपरा 1952 से चली आ रही है, जिसके तहत हर साल संगीत, नृत्य, रंगमंच, पारंपरिक कलाओं, कठपुतली कला और अन्य विविध प्रदर्शन कला के क्षेत्र में कलाकारों द्वारा दिए गए विशिष्ट योगदान के लिए उन्हें रत्न सदस्यता और अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज प्रो डीआर पुरोहित के अलावा शास्त्रीय गायक छन्नू लाल मिश्र, लोक गायिका तीजन बाई, भजन गायक अनूप जलोटा समेत देश के कई प्रतिष्ठित कलाकारों को भी सम्मानित किया। अकादमी फेलो के सम्मान में तीन लाख की पुरस्कार राशि दी जाती है, जबकि अकादेमी पुरस्कार में एक ताम्रपत्र के अलावा एक लाख रुपये की नकद राशि दी जाती है।

प्रो. डीआर पुरोहित ने अपना पूरा जीवन उत्तराखंड की लोक संस्कृति एवं उसके कलाकारों के संवर्धन के लिए समर्पित किया है। उत्तराखंड की लोक कलाओं को अपने शोध कार्यों के माध्यम से पूरी दुनिया में एक अलग पहचान दिलाने के लिए प्रो पुरोहित ने जर्मनी की प्रतिष्ठित हाइडेलबर्ग यूनिवर्सिटी से लेकर अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी तक दुनियाभर की दर्जनभर विश्वविद्यालयों और संस्थानों में व्याख्यान दिए।

प्रो. पुरोहित ने उत्तराखंड की ढोल वाद्य शैली, पंडवाणी, भड़वार्ता, जागर, रम्माण, नंदा के गीत और बादी बदीणों के गीतों पर शोध कर उनके अकादमिक प्रचार प्रसार में अहम भूमिका निभाई है। श्रीनगर के हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र की अवधारणा एवं उसे मूर्त रूप देने का श्रेय भी प्रो डीआर पुरोहित को जाता है। प्रो पुरोहित अभी भी उत्तराखंड में लोक नाट्य कलाओं की जड़े सींचने के लिए निरंतर स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध कार्यों, लेखन, निर्देशन एवं नए कलाकारों के मार्गदर्शन में अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

इससे पहले नवम्बर 2022 में प्रो. डीआर पुरोहित को उत्तराखंड की लोक संस्कृति को देश विदेश के महत्वपूर्ण अकादमिक मंचों पर सशक्त माध्यम से प्रचारित प्रसारित करने और उनके संरक्षण में योगदान के लिए साल 2022 के गढ़रत्न सम्मान से नवाजा जा चुका है।

प्रो. पुरोहित एक अनुभवी लोक शोधकर्ता है, जो पिछले 2 दशकों से गढ़वाल की लोक परंपराओं जैसे की थिएटर कलाओं को खत्म होने से बचाने के लिए अथक काम कर रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तरों के लिए संगीत और रंगमंच के कई पारंपरिक रूपों का उत्पादन किया है जिसमे “चक्रव्यूह” और “बूढदेवा” सबसे उल्लेखनीय है।