नई दिल्ली : दिल्ली महिला आयोग (DCW) की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने भारत सरकार के गृह सचिव को एक पत्र लिखकर खराब जांच और मुकदमे में समस्याओं से संबंधित उन मुद्दों की जांच करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति की मांग की है, जिसके कारण सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के छावला में 19 साल की लड़की के सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में दोषियों को बरी कर दिया।
आयोग की अध्यक्ष ने पत्र में कहा है कि जब फोरेंसिक साक्ष्य में आरोपी व्यक्तियों को दोषी ठहराया, तब भी विभिन्न प्रक्रियाओं का पालन करने के तरीकों से एक संदेह का एक तत्व पैदा हुआ, जिससे अंतत: आरोपी व्यक्तियों को लाभ हुआ और उन्हें बरी कर दिया गया था। उन्होंने आगे कहा है कि इस मामले का चल रहे बलात्कार के मामलों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा और सुप्रीम कोर्ट द्वारा बताए गए पण्रालीगत मुद्दों को ठीक किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, उन्होंने कहा है कि हाल के एक मामले में दिल्ली पुलिस ने पीड़िता के विसरा नमूने जमा करने में देरी की है जो 2 महीने पहले एकत्र किए गए थे। प्रीत विहार के एक स्पा में रहस्यमयी परिस्थितियों में एक महिला की मौत हुई थी लेकिन अभी तक मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई ! दुर्भाग्य से, पुलिस द्वारा फोरेंसिक नमूनों को फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजने में लंबी देरी नियमित है न कि अपवाद।
आयोग की अध्यक्ष ने सिफारिश की है कि दिल्ली पुलिस, फोरेंसिक प्रयोगशाला के साथ-साथ ट्रायल कोर्ट के कामकाज को मजबूत करने के लिए व्यापक सुधारों का सुझाव देने के लिए गृह सचिव, पुलिस आयुक्त, दिल्ली महिला आयोग अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित एक उच्च स्तरीय समिति का तत्काल गठन किया जाए। इसके अलावा, दिल्ली पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी किया जाना चाहिए कि फोरेंसिक नमूने संग्रह के 48 घंटे के भीतर प्रयोगशाला में भेजे जाएं और यदि समय सीमा पार हो जाती है, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।