Uttarakhhand Mahakauthig 2024 :  नोएडा स्टेडियम में चल रहे 14वें उत्तराखंड महाकौथिग के चौथे दिन गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी को सुनने के लिए प्रवासी उत्तराखंडियों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। शाम के सत्र में बतौर मुख्य अतिथि पधारे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कार्यक्रम में शिरकत की. इस मौके पर सीएम धामी ने इस भव्य महाकौथिग के आयोजन के लिए महाकौथिग टीम को बधाई देते हुए आभार प्रकट किया. इस दौरान महाकौथिग की टीम द्वारा मुख्यमंत्री को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेट कर सम्मानित किया गया.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि हमारी सरकार राज्य में सशक्त भू-कानून लागू करने के प्रति कृत संकल्प है. और हम जल्दी ही उत्तराखंड में एक सख्त भू-कानून लागू करेंगे. कहा कि यूसीसी कानून लाने वाला देश में उत्तराखंड पहला राज्य होगा. उसके पहले हमारी सरकार ने घ्रणित मानसिकता वाले लव जिहाद, लैंड जिहाद और थूक जिहाद पर कड़ी कार्रवाई करते हुए धर्मांतरण रोधी और दंगा रोधी कानून भी राज्य के अन्दर लागू किया है।

इस दौरान स्वर कोकिला कल्पना चौहान ने मुख्यमंत्री की फरमाइश पर अपनी सुरीली आवाज में एक खुबसूरत लोक गीत ‘मि घास कटुलू तु पुवा बाँधी दे..’ सुनाया.

इससे पहले शाम के सत्र का शुभारम्भ मांगल ग्रुप के ओनर ने किया. उसके बाद गढ़रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी ने अपने सुप्रसिद्ध लोक गीतों ठंडो रे ठंडो मेरा पहाड़े की हवा.., भाभर जयोला…, जय बद्री केदार..से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया. उनके अलावा लोकगायिका प्रतीक्षा बमराड़ा ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर का गाया एक खूबसूरत गढ़वाली लोकगीत मन भरमै गे मेरी सुध बुध ख्वे गे.. गाया. लोक गायक भुवन रावत और लोक गायक अमित गोस्वामी ने भी एक से बढ़कर एक लोक गीतों की प्रस्तुति दी. उसमे बाद उत्तराखंड के प्रसिद्ध अभिनेता एवं फिल्म निर्माता राकेश गौड़ तथा अभिनेत्री कोमल राणा नेगी ने “मेरी बमणी बामणी..” गीत पर एक नृत्य नाटिका शानदार प्रस्तुति पेश की. कार्यक्रम का संचालन प्रशांत गगोडिया ने किया.

सुबह का सत्र रहा गढ़वाली-कुमाउनी कवि सम्मेलन के नाम

इससे पहले चौथे दिन सुबह के सत्र का शुभारम्भ मुख्य अतिथि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के ACO सौम्य श्रीवास्तव और उनकी धर्मपत्नी सुरभि श्रीवास्तव ने रिबन काट कर किया। जिसके बाद विधिवत रूप से कवि सम्मेलन आयोजित की गयी।

जिसके बाद विधिवत रूप से उत्तराखंड के कवियों द्वारा शानदार गढ़वाली-कुमाउनी कवि सम्मेलन किया गया। जिसमें कवियों द्वारा समाज के हर वर्ग को जागरूक करती हुई, पहाड़ की पीड़ा को व्यक्त करती हुई कविताओं का पाठ किया। कई कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से पहाड़ में बंद पड़े घरों को आबाद करने का आव्हान किया।

युवा कवियत्री किरण पंत ने पलायन पर चोट करती एक सुंदर रचना “ऐजा लोगोँ लौटी पहाड़ा..” से कवि सम्मेलन की शुरुआत की. उसके बाद वरिष्ठ कवि डॉक्टर पृथ्वी सिंह केदारखंडी ने उत्तराखंड राज्य के शहीद आंदोलनकारियों को समर्पित मार्मिक कविता अमर शहीदों नमन तुमते इसके अलावा अपने अपनी दूधबोली,(गढ़वाली, कुमाऊनी, जौनसारी)बोली को बचाने के लिए व भ्रष्टाचार पर भी चोट का आह्वाहन किया।

रघुवर दत्त शर्मा राघव की ने एक खूबसूरत कुमाऊंनी कविता का पाठ किया।

रमेश चंद्र घिल्डियाल जी ने समलौण (बचपन की यादों को ताजा करती हुई)एक खूबसूरत कविता का पाठ किया।

जयपाल सिंह रावत छिपडू दा मेरी जुन्याली बांद मॉडर्न पत्नी पीड़ित पुरुष की दास्तां पर एक बेहतरनी कविता का पाठ किया।

दिनेश ध्यानी जी ने अपने समाज की विसंगतियों पर चोट करती कविता सुनाई

(न्यूक्लियर परिवार) पहली पसंद बनती जा रही है साथ ही चकबंदी पहाड़ मा खेती का दिन बोड़ी जंदा चकबंदी जु हवे जादी

राजेंद्र भंडारी कुमाऊनी कविता पलायन पर कविता सुनाई।

कुंज बिहारी मुंडेपी बचपन को याद करती हुई जन्मभूमि पर एक खुबसूरत कविता सुनाई।

रमेश हितैषी की द्वारा चौहान दंपति को समर्पित कविता सुनाई (धन्य छो तुमन शहर मा पहाड़ बसे)

बिहारी लाल जलंधरी ने उत्तराखंडी बोली भाषा पर कविता पाठ किया।

भगवती प्रसाद जुयाल लायु छौ भाग वहीं बृजमोहन शर्मा वेदवाल ने संस्कृति संस्कारो के साथ अपने देवताओं का आह्वाहन किया व नई पीढ़ी पर कटाक्ष की। उदयराम राठी द्वारा महाकौथिग मेले के मनोरंजन पर कविता सुनाई गई।

आज के मुख्य कवियों मे बृजमोहन शर्मा वेदवाल, दिनेश ध्यानी, रमेश घिल्डियाल, बिहारी लाल जालंधरी, पृथ्वी सिंह केदारखंडी, राजेंद्र भंडारी, भगवती जुयाल गढ़देशी, कुंजविहारी मुंडेपी, जयपाल सिंह रावत छिपडु, किरण पंत, रमेश हितैषी, रघुवर दत्त शर्मा “राघव” आदि रहे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कवि बृजमोहन शर्मा वेदवाल तथा आयुषी जुयाल ने किया.

महाकौथिग में पहाड़ी उत्पादों, आभूषणों एवं पोशाकों के अलावा पहाड़ी खानपान के करीब 150 स्टाल लगे हैं। जहाँ पर आज लोगों ने जमकर खरीददारी की। खानपान का मुख्य आकर्षण संजय चौहान की “पहाड़ी घरात” रहा। लोगों ने झंगोरे की खीर, मंडवे की रोटी, झंगोरा, घर्या चावल का भात, तोर की दाल सहित कई ठेठ पहाड़ी व्यंजनों का जमकर लुफ्त उठाया। कुल मिलाकर आज का दिन स्टाल मालिकों के लिए भी पैसा वसूल का रहा। कल महाकौथिग के अंतिम दिन भी क्रिसमस की छुट्टी के चलते भारी भीड़ का अनुमान लगाया जा रहा है।