नई दिल्ली : पर्वतीय संकृति मण्डल विकासपुरी नई दिल्ली द्वारा देश के प्रथम प्रमुख सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत उनकी धर्मपत्नी श्रीमती मधुलिका रावत एवं 11 सैन्य अधिकारियों के तमिलनाडु हेलिकॉप्टर दुर्घटना में आकस्मिक निधन पर आज एक श्रधांजलि सभा आयोजित की गई।

शोक सभा में उपस्थित पर्वतीय संकृति मण्डल के सदस्यों द्वारा दिवंगत आत्माओं को शांति प्रदान करने एवं शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करने की कामना करते हुए 2 मिनट का मौन रखकर अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

संस्था अध्यक्ष एमएस चौहान तथा महासचिव डॉ. जितेन्द्र गुसाईं ने दिवंगत आत्माओं को अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा शहीद जनरल बिपिन रावत एक राष्ट्रभक्त सैन्य अधिकारी थे। जनरल बिपिन रावत का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है। देश की सेना एवं सीमाओं की रक्षा के लिए जनरल बिपिन रावत के योगदान को देश हमेशा याद रखेगा।

बता दें कि बीते 8 दिसम्बर को भारत ने अपने पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत और 11 सैन्य अधिकारी व  सुरक्षाकर्मियों को हवाई दुर्घटना में खो दिया। जिसके कारण संपूर्ण राष्ट्र शोकाकुल है सभी देशवासियों के मन में भारी पीड़ा है।

जनरल रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के सैणा गांव में हुआ था। उनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से रिटायर हुए। बिपिन रावत की शुरुआती पढ़ाई देहरादून में, कैंब्रियन हॉल स्कूल, शिमला में सैंट एडवर्ड स्कूल से की। उसके बाद उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) देहरादून से स्नातक उपाधि हासिल की। आईएमए में उन्हें असाधारण कौशल के लिए स्वोर्ड ऑफ आनर से भी सम्मानित किया गया था। जनरल रावत पहली बार मिजोरम में 16 दिसंबर 1978 को मात्र 20 वर्ष की उम्र में 11वीं गोरखा रायफल की 5वीं बटालियन में कमीशंड अफसर के तौर पर शामिल हुए थे।

वे पहले लेफ्टिनेंट, फिर कैप्टन, फिर मेजर और सन 2007 में ब्रिगेडियर बने। और ठीक 10 साल बाद 01 जनवरी 2017 में उनको थल सेना अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया। अपने 43 वर्षों की सेवा में उन्होंने कई उपलब्धियां हासिल कर भारत देश का गौरव बढ़ाने का हर संभव प्रयास किया। उनकी कार्य कुशलता और बॉर्डर इलाकों में तजुर्बे की दक्षता को देखते हुए भारत सरकार ने जनरल रावत को 2019 में तीनों सेना का प्रमुख यानी चीफ डिफेन्स ऑफ़ स्टाफ (सीडीएस) बनाया। परन्तु 8 दिसम्बर के मनहूस दिन ने हम सब भारतवासियों से देश का सबसे जांबाज योद्धा छीन लिया।