नई दिल्ली : सामाजिक संस्था उत्तराखंड लोकमंच की 25वीं वर्षगाँठ पर नई दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में शनिवार को दो दिवसीय उत्तराखंड लोकपर्व का शानदार शुभारंभ हो गया है। लोकपर्व कार्यक्रम के पहले दिन आज उत्तराखंड के पारम्परिक लोक वाद्ययंत्र ढोल-दमौ एवं मसकबीन के साथ उत्तराखंड की संस्कृति, सांस्कृतिक कार्यक्रम, उत्तराखंड के खानपान एवं वस्त्रों की झलक देखने को मिली। लोकपर्व कार्यक्रम को देखने दिल्ली-एनसीआर दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ी।
लोकपर्व की शुरुआत आज दोपहर उत्तराखंड के वरिष्ठ रंगकर्मी खुशाल सिंह बिष्ट के निर्देशन में “खुला मंच” कार्यक्रम से हुई। खुला मंच कार्यक्रम की विशेषता यह थी कि इसमें दर्शकों में कोई भी मंच पर आकर अपने हुनर का प्रदर्शन कर सकता था। जिसमे दर्शक दीर्घा में उपस्थित कई प्रतिभाओं ने अपने हुनर का जलवा बिखेरा। खुला मंच के बाद अपनी लोक भाषा व संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तराखंड के वरिष्ठ कवियों द्वारा गढ़वाली-कुमाऊनी कवि सम्मेलन का मंचन किया गया। जिसमें उत्तराखंड के वरिष्ठ कवियों ललित केशवान, पूरण चन्द्र कांडपाल, मदन डुकलान, डॉ. सतीश कलेश्वरी, दिनेश ध्यानी, जयपाल रावत, रमेश हितैषी आदि ने अपनी कविताओं में पलायन के दर्द को उजागर किया। वहीं कवि नीरज बावड़ी ने धाध लगा पहाड़ की पीड़ा को बताया। इसके अलावा कुछ युवा कवियों ने भी अपनी रचनाओं से सबका ध्यान अपनी और खींचा।
आज के लोकपर्व कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा केदारघाटी के गुप्तकाशी व रुद्रप्रयाग से आचार्य कृष्णानंद नौटियाल व बीपी बमोला की टीम द्वारा पांडव शैली में कौरवों द्वारा रचित चक्रव्यू (कमलव्य) का सुंदर मंचन रहा। उसके बाद देर शाम उभरते युवा कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में अपनी खूबसूरत प्रस्तुतियां पेश कर उपस्थित दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस बीच लोगो ने उत्तराखंड के व्यंजनों का भी लुफ्त उठाया। इस अवसर पर अधिवक्ता संदीप शर्मा द्वारा उत्तराखंड की चार विभूतियों को उत्तराखंड गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया।