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नई दिल्ली : उत्तराखण्डी भाषा प्रसार समिति एवं भयात एनजीओ के संयुक्त तत्वावधन में रविवार को डॉ. बिहारीलाल जलन्धरी की लिखित पुस्तक ‘उत्तराखण्ड में हमारे संसाधन हमारे रोजगार’ का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गजेन्द्र सिंह रावत, प्रबंध निदेशक सुप्रीम एडवरटाइजिंग प्रा. लि. एवं हैनक्राफ्स एक्सपो. डिजाइंस प्रा. लि., विशिष्ट अतिथि डॉ. जीतराम भट्ट सचिव, हिन्दी अकादमी और गढ़वाली कुमाउनी जौनसारी अकादमी दिल्ली, डॉ. विनोद बछेती निदेशक डीपीएमआई तथा बीएन शर्मा पूर्व भविष्यनिधि आयुक्त उपस्थित हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तराखण्ड के एक प्रखर समाज सेवी ज्योतिषाचार्य पंडित महिमानन्द द्विवेदी ने की। मंच के प्रथम सत्र का संचालय पृथ्वी सिंह केदरखण्डी ने किया।

पुस्तक के लेखक डॉ. जलन्धरी ने बताया कि उन्हें इस पुस्तक को लिखने की प्रेरणा किस प्रकार और किन कारणों से मिली। उत्तराखण्ड राज्य स्थापित होने के कई वर्षों तक जब उत्तराखण्ड के संसाधनों की ओर प्रदेश सरकारों का ध्यान नहीं गया तब उन्होंने प्रदेश सरकार और परवास में व्यवसाय करने वाले उत्तराखण्डियों का ध्यान उत्तराखण्ड में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले संसाधनों की ओर आक्रषित करने के लिए इस पुस्तक की रचना की।

‘उत्तराखण्ड में हमारे संसाधन हमारे रोजगार’ पुस्तक में उत्तराखण्ड के जिन संसाधनों का उल्लेख किया गया है उनमें सबसे पहले विकास की अवधारणाः मैदानी व पहाड़ी परिपेक्ष में अंतर किया है। उसके बाद हमारे संसाधन व योजनाएं और फिर संसाधन और रोजगार पर चर्चा की गई है। शिक्षा के संबंध में कैसी हो शिक्षा व्यवस्था, फिर कृषि आधारित रोजगार पर मंडुआ, गैथ (कुलथी), पहाड़ी लाल चावल, अदरक की खेती, हल्दी की खेती, मिर्च की खेती, वनस्पति आधरित रोजगार में चीड़, किनगोड़ (दारूहल्दी), नींबू घास (लेमन ग्रास), सपफेद मूसली, जेट्रोपफा की खेती, कौंच बीज, कीड़ा जड़ी, बागवानी फलोत्पादन आधरित रोजगार पर बिच्छू घास कंडाली/सिसौंण, भूरि छरैला छुलरू, टिमरू, अखरोट, आंवला की खेती, मशरूम की खेती, ग्राम पर्यटन आधारित रोजगार, पर्यटन आधारित रोजगार, पर्यटन परिपथ रोजगार योजना, औद्योगिक सहायक इकाई आधारित रोजगार, पशुपालन आधारित योजनोओं से रोजगार, साहसिक पर्यटन, रोजगार का आधर ग्रामीण हाट का विस्तार से उल्लेख किया गया है।

डॉ जलन्धरी ने कहा कि उत्तराखण्ड में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं बसरते उन पर काम किया जाय। उन्होंने उत्तराखण्ड सरकार से मांग की है कि शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों को जो पारंपरिक शिक्षा दी जा रही है उसमें वर्तमान के समय को देखते हुए परिवर्तन की आवश्यकता है। शिक्षा में कम से कम कक्षा 9 से कक्षा 12वीं तक एक इस तरह का विषय हो जिसकी चार वर्ष की पढ़ाई करने पर विद्यार्थी को उस विषय में निपुणता मिल जाय। और उसे उसके नजदीकी उद्योग में रोजगार मिल सके। या फिर वह खुद का रोजगार स्थापित कर सकते हैं। साहित्यकारों की और से हिंदी अकादमी और गढ़वाली कुमाऊनी जौनसारी अकादमी के सचिव डॉ जीतराम भट्ट कै एक अनुरोध पत्र दिया गया।

इस अवसर पर अतिथियों ने अपने विचार रखे, जिसमें उद्योगपति गजेन्द्र सिंह रावत ने किताब के लेखन पर खुशी जताई और कहा कि इस किताब को उत्तराखण्ड के नौजवानों को ज्यादा जरूरत है। यह किताब उतराखण्ड के स्कूल, कालेजों की सभी लाइब्रेरियों में पहुंचाने के लिए मैं मदद कर सकता हूं। डॉ. जीतराम भट्ट संसाधनों के माध्यम से रोजगार के अवसर को एक साधन बताया। डॉ. बिनोद बछेती किताब की विषयवस्तु और संसाधनों के आधार पर रोजगार के संबंध में चर्चा की तथा पचास किताब अपने संस्थान की लाइब्रेरी में रखने के संबंध में कहा।

सूरज रावत ने इस किताब का प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रताप सिंह शाही ने उतराखण्ड के साहसिक पर्यटन पर अपने विचार रखे। डॉ. अंजली थपलियाल ने उतराखण्डी भाषा की मौळ्यार पाठ्य-पुस्तक का जिक्र किया और कहा कि डॉ जलन्धरी पिछले कई वर्षों से उतराखण्ड की समस्याओं के साथ भाषाऔं के समाकलन करने का काम कर रहे हैं। आज हमारे समाज को कुछ लोग मैं गढ़वाली तू, कुमौनी वो जौनसारी के नाम पर में बांट रहे हैं। परंतु डॉ जलन्धरी उतराखण्डी भाषा के रूप में उतराखण्ड को जोड़ने की कोशिश में लगे हैं। हम सभी को मिलकर उनका नाम पदम पुरस्कार के लिए प्रस्तावित करना चाहिए। बीएन शर्मा ने किताब में और भी बहुत सामाग्री जोड़ने के संबंध में अपने विचार रखे।  पं महिमा नंद द्विवेदी ने सभी को आशीर्वचन देकर सत्रा का समापन किया।

लोकार्पण कार्यक्रम में उपस्थित व्यक्तियों में सुरेन्द्र सिंह रावत, देव सिंह रावत, विनोद मनकोटी, सत्येन्द्र रावत, राजेन्द्र कुमार, सीएम पपनै, बचन सिंह नेगी, जीएस पडियार, गीता गुसाईं, हेमा शर्मा, शिवम जलन्धरी, भुवनेश जलन्धरी, गुमान सिंह पंवार, भगवत भंडारी, अर्जुन सिंह रावत, हेमा जोशी, सरोज जोशी, आनंद बल्लभ जोशी, प्रदीप सिंह, दीनदयाल बंदूणी, अनिल कुमार, मोहन चंद जोशी, भगवती प्रसाद जुयाल, जयपाल सिंह रावत, शिवप्रसाद गौड़, गिरीश बिष्ट, महिपाल सिंह रावत, दिनेश ध्यानी, बीरेंद्र नेगी, वीरेंद्र जुयाल, अनोप सिंह नेगी, दान सिंह रावत, रमेश चंद्र घिल्डियाल, दर्शन सिंह रावत, रमेश हितैषी, सुनिता बिष्ट, प्रमोद जलन्धरी, पुष्पा जलन्धरी, महेश नेगी आदि कई लोग उपस्थित हुए।