black fungus

Black Fungus Infection: कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर से बुरी तरह जूझ रहे भारत में अब कोविड-19 से उत्पन्न ‘म्यूकोरमाइसिस’ यानी ब्‍लैक फंगस का खतरा तेजी से मंडराने लगा है। अब तक महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, बिहार, कर्नाटक, तेलंगाना तथा हरियाणा समते देश के कई राज्यों में इसके मरीज मिले हैं। खबर आ रही है कि उत्तराखंड में इस बीमारी ने दस्तक दे दी है। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अनुसार ब्लैक फंगस एक दुर्लभ बीमारी है, जो शरीर में बहुत तेजी से फैलती है और यह उन लोगों में ज्यादा देखने को मिल रही है, जो कोरोना वायरस से संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त थे या फिर जिन लोगों की इम्यूनिटी बेहद कमजोर है। इस बीमारी में रोगियों की आंखों की रोशनी जाने और जबड़े व नाक की हड्डी गलने का खतरा रहता है। ये इतनी गंभीर बीमारी है कि इसमें मरीज को सीधे आईसीयू में भर्ती करना पड़ रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अकेले महाराष्ट्र में ब्लैक फंगस के करीब 2000 मामले हैं। जबकि राज्य में ब्लैक फंगस से पीड़ित 8 मरीजों को एक आंख से दिखाई देना बंद हो गया है। वहीँ यूपी में अब तक ब्लैक फंगस से चार से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है। बढ़ रहे मामलों को देखते हुए योगी सरकार ने लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है। सरकार ने लोगों को बताया कि ब्लैक फंगस क्या है, उसके लक्षण क्या हैं और उससे बचाव के लिए क्या सावधानियां रखें।

क्या है ब्लैक फंगस?

यह एक ऐसा फंगल इंफेक्शन है जिसे कोरोना वायरस ट्रिगर करता है। कोविड-19 टास्क फोर्स के एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये उन लोगों में आसानी से फैल जाता है, जो पहले से किसी ना किसी बीमारी से जूझ रहे हैं और जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। इन लोगों में इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता कम होती है।

कितना खतरनाक है ब्लैक फंगस

कोरोना महामारी के बीच ब्लैक फंगस इन्फेशन जानलेवा साबित हो रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो आंखों की रोशनी जाने के अलावा मरीज की मौत भी हो सकती है। यह इन्फेक्शन साइनस से होते हुए आंखों को अपनी चपेट में लेता है। इसके बाद शरीर में फैल जाता है। इसे रोकने के लिए डॉक्टर को सर्जरी करके इन्फेक्टेड आंख या जबड़े का ऊपरी एक हिस्सा निकालना पड़ता है।

ब्लैक फंगस कैसे बनाता है शिकार

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हवा में फैले रोगाणुओं के संपर्क में आने से व्यक्ति फंगल इंफेक्शन का शिकार हो सकता है। ब्लैक फंगस मरीज की स्किन पर भी विकसित हो सकता है। स्किन पर चोट, रगड़ या जले हुए हिस्सों से ये शरीर में दाखिल हो सकता है।

ब्लैक फंगस के लक्षण

  • बुखार आ रहा हो
  • सर दर्द हो रहा हो
  • खांसी हो या सांस फूल रही हो
  • आंखों में लालपन या दर्द
  • आंख में दर्द हो
  • आंख फूल जाए, एक चीज दो दिख रही हों या दिखना बंद हो जाए
  • चेहरे में एक तरफ दर्द हो, सूजन हो या सुन्न हो
  • दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दांत दर्द करे
  • उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आए

किसे हो सकता है ब्लैक फंगस?

कोविड के दौरान गंभीर मरीजों जिन्हें स्टेरॉयड्स-मसलन डेक्सामिथाजोन, मिथाइल, प्रेडनिसोलोन आदि दी गई हों, जिनकी कैंसर, किडनी, ट्रांसप्लांट आदि की दवाएं चल रही हों उन्हें ब्लैक फंगस होने की संभावना रहती है।

ब्लैक फंगस से बचने का तरीका

  • धूल वाली जगहों पर मास्क पहनकर रहें।
  • मिट्टी, काई या खाद जैसी चीजों के नजदीक जाते वक्त जूते, ग्लव्स, फु स्लीव्स शर्ट और ट्राउजर पहनें।
  • साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • डायबिटीज पर कंट्रोल, इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग ड्रग या स्टेरॉयड का कम से कम इस्तेमाल करें
  • खुद या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टरों, दोस्तों, मित्रों, रिश्तेदारों के कहने पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू न करें।
  • स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 5 से 10 दिनों के लिए देते हैं, वह भी बीमारी शुरू होने के 5 से 7 दिनों बाद, केवल गंभीर मरीजों को। इससे पहले बहुत सी जांच होना जरूरी हैं।
  • स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें।