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आज हिंदी दिवस पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। लेकिन आज भी लोगों में राष्ट्रभाषा और राजभाषा को लेकर असमंजस की स्थिति रहती है। कई बार लोग राजभाषा के स्थान पर राष्ट्रभाषा तो राष्ट्र भाषा के स्थान पर राजभाषा का प्रयोग करते हैं। कई बार परीक्षाओं में भी यह प्रश्न पूछा जाता है। हालांकि दोनों शब्द हमारी हिंदी भाषा से जुड़े हुए हैं।

आइए जानते हैं पहले राष्ट्रभाषा को लेकर। ऐसी भाषा जो समस्त राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करती हो तथा देश की अधिकांश जनता के द्वारा बोली और समझी जाती हो, ‘राष्ट्रभाषा कहलाती है। एक तरह से देखा जाय तो किसी देश की राजभाषा ही राष्ट्रभाषा होती है। लेकिन यह हमेशा और पूर्ण रूप से सत्य नहीं है। वास्तव में राष्ट्रभाषा का शाब्दिक अर्थ ही है समस्त राष्ट्र में प्रयुक्त होने वाली भाषा। अतः राष्ट्रभाषा आमजन की भाषा होती है और किसी राष्ट्र के प्रायः अधिकांश या बड़े भूभाग और जनसंख्या के द्वारा बोली और समझी जाती है।

एक राष्ट्रभाषा किसी राष्ट्र की बहुसंख्य आबादी की न केवल रोजमर्रा की भाषा होती है बल्कि यह समूचे राष्ट्र में संपर्क भाषा का भी काम करती है। देश की भाषा की जब भी बात होती है तो अकसर कुछ बाते चर्चा में आ जाती हैं जैसे राजभाषा क्या है, राष्ट्रभाषा किसे कहते हैं? क्या राजभाषा और राष्ट्र भाषा एक ही चीज है ? यदि नहीं तो राजभाषा और राष्ट्रभाषा में क्या अंतर है? हिंदी राजभाषा है या राष्ट्रभाषा, यदि राजभाषा है तो हिंदी राष्ट्रभाषा क्यों नहीं है आदि। दूसरी ओर वास्तव में राजभाषा का शाब्दिक अर्थ ही होता है राजकाज की भाषा। अतः वह भाषा जो देश के राजकीय कार्यों के लिए प्रयोग की जाती है “राजभाषा” कहलाती है। राजभाषा किसी देश या राज्य की मुख्य आधिकारिक भाषा होती है जो समस्त राजकीय तथा प्रशासनिक कार्यों के लिए प्रयुक्त होती है। राजाओं और नवाबों के ज़माने में इसे दरबारी भाषा भी कहा जाता था। राजभाषा का एक निश्चित मानक और स्वरुप होता है और इसके साथ छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता। राजभाषा एक संवैधानिक शब्द है। राजभाषा किसी राज्य के आम जनमानस की भाषा होती है जिसे राज्य या देश की अधिकांश जनता समझती है और सामान्य बोलचाल में प्रयोग करती है।

राष्ट्रभाषा और राजभाषा में अंतर

राष्ट्रभाषाराजभाषा
राष्ट्रभाषा सरकारी व्यवस्था और प्रयास से नहीं, बल्कि आम जनता के प्रयोग से स्वत: विकसित होती है।राजभाषा मुख्यत: सरकारी व्यवस्था और प्रयास पर निर्भर करती है । यह आम जनता के प्रयोग द्वारा स्वत: विकसित नहीं होती।
राष्ट्रभाषा का उपयोग आम जनता करती है।राजभाषा का उपयोग मुख्यत: सरकारी कर्मचारी करते हैं।
आम जनता अपने सामान्य कामकाज के लिए राष्ट्रभाषा का उपयोग करती है। अत: इसमें बोलचाल के सामान्य प्रचलित शब्दों का उपयोग होता है।सरकारी कर्मचारी शासकीय कार्य के लिए इसका उपयोग करते हैं। अत: इसमें शासकीय कार्य से संबंधित विशेष शब्दों का उपयोग अधिक होता है
आम जनता से संबंधित होने के कारण इसमें सरलता होती है।सरकारी कामकाज से संबंधित होने के कारण इसमें विशिष्टता होती है।
राष्ट्रभाषा में बोलचाल के ऐसे शब्दों का भी उपयोग होता है जिनका एक से अधिक अर्थ हो सकता है।राजभाषा में अर्थ की स्पष्टता बनाए रखना आवश्यक होता है। अत: शब्दों का सामान्यत: एक ही अर्थ होता है।
राष्ट्रभाषा के माध्यम से आमतौर पर सामान्य कार्य ही सम्पन्न किए जाते हैं।राजभाषा के माध्यम से सामान्यत: विशिष्ट कार्य संपन्न किए जाते हैं, जिनमें तकनीकी और कानूनी कार्य भी शामिल हैं।
राष्ट्रभाषा में आमतौर पर शब्दों की एकरूपता बनाए रखना आवश्यक नहीं होता है। इसमें स्थानीय शब्दों के उपयोग की पूरी छूट होती है। अत: राष्ट्रभाषा की कई शैलियाँ विकसित हो जाती हैं, जैसे- बम्बईया हिंदी, कलकतिया हिंदी आदि।राजभाषा में शब्दों की, विशेषकर तकनीकी, प्रशासनिक एवं कानूनी शब्दावली में, एकरूपता आवश्यक होती है। इसमें स्थानीय शब्दों के उपयोग की छूट नहीं होती है। अत: हर स्थान के व्यक्ति को शब्दों की एकरूपता का निर्वहन करना आवश्यक होता है।
राष्ट्रभाषा के अधिकांश शब्दों का अर्थ संदर्भ से ही स्पष्ट होता है, इसलिए राष्ट्रभाषा सरल प्रतीत होती है।राजभाषा के अधिकांश शब्द पारिभाषिक होते हैं इसका अर्थ केवल संदर्भ से स्पष्ट नहीं होता। पारिभाषिक शब्दों के अर्थ सीखने ही पड़ते हैं, जिसके बिना वे कठिन प्रतीत होते हैं
राष्ट्रभाषा के उपयोग का क्षेत्र व्यापक है, क्योंकि वह देश की बहसंख्यक जनता के व्यवहार एवं सम्पर्क की ऐसी भाषा है जो उन्हें राष्ट्रीयता का अहसास कराती है।राजभाषा के उपयोग का क्षेत्र मुख्यत: सरकार के कार्यों तक सीमित है।
राष्ट्रभाषा का सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष महत्व होता है।राजभाषा का सरकारी कामकाज की दृष्टि से विशेष महत्व होता है।

 

हिंदी राष्ट्रभाषा है या राजभाषा?

भारत में अधिकांश लोग हिंदी को राष्ट्रभाषा मानते हैं. देश की सर्वाधिक जनसंख्या हिंदी समझती है और अधिकांश हिंदी बोल लेते हैं. लेकिन यह भी एक सत्य है कि हिंदी इस देश की राष्ट्रभाषा है ही नहीं. भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है, हिंदी एक राजभाषा है यानि कि राज्य के कामकाज में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा। भारतीय संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला हुआ है। बतादें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा 1917 में भरुच (गुजरात) में सर्वप्रथम राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी को मान्यता प्रदान की गई थी। तत्पश्चात 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एकमत से हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिए जाने का निर्णय लिया तथा 1950 में संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के द्वारा हिन्दी को देवनागरी लिपि में राजभाषा का दर्जा दिया गया।