नई शिक्षा नीति में उत्तराखंड को शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम मिलने जा रहे हैं। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों से पलायन का एक प्रमुख कारण अच्छी शिक्षा (क्वालिटी एजुकेशन) का न होना भी माना जाता है। ऐसे में अगर उत्तराखंड के दूरस्त ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्रीय विद्यालय खुल जाते हैं तो पहाड़ों से पलायन पर कुछ हद तक रोक लग सकती है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का दावा है कि नई शिक्षा नीति के तहत उत्तराखंड के हर ब्लॉक में केंद्रीय विद्यालय खोले जायेंगे। यह बात डॉ. निशंक ने अमर उजाला डॉट कॉम से खास बातचीत में के दौरान कही।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति के तहत उत्तराखंड में सभी 95 ब्लॉकों में केंद्रीय विद्यालय खोलने पर सहमत है। हर ब्लॉक में केंद्रीय विद्यालय खुलने की स्थिति में यह ऑलवेदर रोड प्रोजेक्ट के बाद उत्तराखंड के लिए मोदी सरकार की दूसरी सबसे बड़ी सौगात है। हमारी मुख्यमंत्री से लगातार इस पर चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री ने हर ब्लॉक में केंद्रीय विद्यालय के लिए जमीन और जरूरी छात्र संख्या मुहैया कराने की बात कही है। केंद्र सरकार भी केंद्रीय विद्यालय खोलने की अपनी योजना की शुरुआत देवभूमि उत्तराखंड से करेगी। स्वयं प्रधानमंत्री इसे प्रोत्साहित कर रहे हैं।
नई शिक्षा नीति की तैयारी को लेकर अमर उजाला के सवालों के जवाब में डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति को ‘नीति से रणनीति’ की अवधारणा के आधार पर लागू किया जाएगा। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से बात करने के बाद विस्तृत रणनीति तैयार की जाएगी। कुछ सिफारिशें अगले वर्ष लागू होंगी और कुछ बाद में लागू की जाएंगी। नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा से जुड़े 117 और स्कूली शिक्षा से जुड़े 150 मामलों में सिफारिशें की गई है। फिलहाल टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी कि कौन सी सिफारिशें कब लागू होगी। कई मामलों में हम राष्ट्रीय स्तर पर पायलट प्रोजेक्ट चलाएंगे। कुछ आआईटी और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एकैडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट के माध्यम से शत प्रतिशत सुरक्षित रखने की योजना है।
एनआईटी श्रीनगर (सुमाड़ी) को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में डॉ. निशंक ने कहा कि करीब दस साल की मेहनत के बाद एक राष्ट्रीय संस्थान अब उत्तराखंड में स्थापित हो रहा है। एनआईटी श्रीनगर (सुमाड़ी) के निर्माण में करीब एक हजार करोड़ की लागत आएगी और करीब 310 एकड़ जमीन पर कैंपस का निर्माण किया जाएगा। करीब 203 एकड़ जमीन की पहचान कर ली गई है।