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उत्तराखंड में अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त न मानने के कैबिनेट के निर्णय से प्रदेश के सरकारी विद्यालयों के स्थाई शिक्षक अत्यधिक आक्रोशित हैं। इसको लेकर शिक्षक सोशल मीडिया पर भी अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं। शिक्षक संघ के पदाधिकारियों एवं शिक्षकों ने सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है राजकीय शिक्षक संघ के निवर्तमान अध्यक्ष केके डिमरी ने कहा कि कैबिनेट के फैसले की मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार अतिथि शिक्षकों के पदों को रिक्त नहीं माना जा रहा है, जोकि एकदम गलत है। उन्होंने सरकार से तत्काल इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है।

महामंत्री सोहन सिंह माझिला ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस निर्णय को तत्काल वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अन्यथा की स्थिति में संगठन न्यायालय में जाने को बाध्य होगा। राजकीय शिक्षक संघ उत्तरकाशी ने भी प्रांतीय अध्यक्ष एवं मंत्री को पत्र लिखकर इस निर्णय का विरोध किया है। संघ के पूर्व मंडलीय मंत्री शिव सिंह ने भी इस निर्णय का तीव्र विरोध करते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट के इस गलत निर्णय से वर्षों से कार्यरत स्थाई शिक्षक अपने पदोन्नति के अधिकार से वंचित हो जाएंगे। संघ के देहरादून अध्यक्ष सुभाष झल्डियाल एवं टिहरी जिला अध्यक्ष श्याम सिंह सरियाल ने भी इस फैसले को निरस्त करने की मांग की है।

राजकीय शिक्षक संघ के पौड़ी जिला अध्यक्ष जयदीप रावत ने कैबिनेट के इस निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि पौड़ी जनपद कार्यकारिणी इस निर्णय का घोर विरोध एवं निंदा करती है। और इस अन्याय के विरुद्ध रणनीति बनाने के लिए शीघ्र ही जनपदस्तर पर एक खुली बैठक बुलाई जाएगी। संघ के पूर्व प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य राकेश भंडारी, मंडलीय प्रवक्ता जसपाल गुसाई, चंद्र मोहन रावत, पूर्व मंडलीय प्रवक्ता महेंद्र सिंह नेगी, राकेश नैथानी सहित सभी शिक्षकों ने इस निर्णय को निरस्त करने की मांग की है।

संघ के निवर्तमान अध्यक्ष केके डिमरी ने इस निर्णय के विरुद्ध रणनीति बनाने के लिए 12 दिसम्बर को देहरादून में शिक्षकों की एक बैठक बुलाई है।