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श्रीनगर: मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय प्रोद्यौगिकी संस्थान (एनआईटी) श्रीनगर के छात्रों को एनआईटी जयपुर स्थानांतरित करने का फैसला लिया गया है। उत्तराखंड सरकार द्वारा अब तक श्रीनगर स्थित राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान (एनआईटी) के अस्थायी कैंपस का हल नहीं निकाल पाने के कारण अब केंद्र सरकार ने एनआईटी श्रीनगर के छात्रों को एनआईटी जयपुर में शिफ्ट करने का फैसला लिया है। करीब 500 छात्रों को एनआईटी जयपुर शिफ्ट किया जायेगा, जिसमें प्रथम, द्वितीय व तृतीय वर्ष के छात्र शामिल है। जबकि पीएचडी व बीटेक आखिरी वर्ष के छात्र श्रीनगर के अस्थायी कैंपस में ही पढ़ाई करेंगे। छात्रों को एनआईटी श्रीनगर की ही डिग्री मिलेगी।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की मंगलवार शाम को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। एनआईटी जयपुर कैंपस में एनआईटी श्रीनगर का सैटेलाइट कैंपस बनाया जाएगा। इसी कैंपस में बीटेक पहले, दूसरे व तीसरे वर्ष के 500 से अधिक छात्र श्रीनगर से शिफ्ट किए जाएंगे। बीटेक आखिरी वर्ष के छात्रों को तैयारी बाधित होने से बचाने और पीएचडी के छात्रों की शिफ्ट करने में गाइड की समस्या के चलते उन्हें रोका जा रहा है।

बतादें कि बीते 4 अक्टूबर से एनआईटी के स्थाई परिसर के निर्माण, सड़क दुर्घटना में घायल छात्रा के इलाज एवं अस्थाई कैंपस के स्थानांतरण की मांग को लेकर छात्र आंदोलित थे। छात्रों के आंदोलन को देखते हुए एमएचआरडी ने एनआईटी प्रशासन को अस्थाई कैंपस के लिए उपयुक्त स्थान तलाशने के निर्देश दिए थे। एनआईटी प्रशासन ने आईडीपीएल ऋषिकेश में जगह भी ढूंढ ली थी, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद एनआईटी को ऋषीकेश शिफ्ट नहीं किया गया। इस बात से आक्रोशित छात्र 27 नवंबर से दिल्ली के जंतर-मंतर पर अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हो गए। छात्रों के उग्र आंदोलन को देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आंदोलित छात्रों को एनआईटी जयपुर शिफ्ट करने के निर्देश एनआईटी श्रीनगर के डायरेक्टर को दिये है।

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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा एमएचआरडी का मेल

एनआईटी के छात्रों को जयपुर शिफ्ट करने का मेल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें साफ तौर पर लिखा है कि एनआईटी जयपुर में एक सैटेलाइट कैंपस का निर्माण किया गया है। परिसर में बीटेक प्रथम, द्वितीय, तृतीय वर्ष एवं एमटेक प्रथम वर्ष के अधिकतम 500 छात्र आगामी 3 सालों के लिए अध्यन करेंगे। ताकि एनआईटी उत्तराखण्ड के छात्रों को बेहतर सुविधायें उपलब्ध हो सके। सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हों रहे मेल के बाद अब स्थानीय लोगों में राज्य व केन्द्र सरकार को लेकर भी आक्रोश पनप रहा है।

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