Diwakar Bhatt, passed away: उत्तराखंड क्रांति दल के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष व पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट का आज निधन हो गया। 79 वर्षीय भट्ट लंबे समय से बीमार थे। आज शाम को उन्होंने अपने आवास पर अंतिम सांस ली। दिवाकर भट्ट उत्तराखंड राज्य आंदोलन के अग्रणी कार्यकर्ताओं में रहे हैं। उन्होंने राज्य आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें श्रीयंत्र टापू और खैट पर्वत पर किए गए अनशन शामिल हैं। उनके निधन से उत्तराखंड में शोक की लहर है।
उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) के संस्थापकों में से एक थे। उन्होंने लंबे समय तक इसी दल के सदस्य रहकर राज्य स्थापना आंदोलन का नेतृत्व किया। बाद में वह भाजपा में शामिल हुए थे। वे विधायक भी रहे हैं। इसके बाद वह वापस यूकेडी में लौटे थे।
आंदोलन में रही अहम भूमिका
दिवाकर भट्ट उत्तराखंड आंदोलन की उन ऐतिहासिक शख्सियतों में रहे, जिन्होंने युवावस्था से ही अपना संपूर्ण जीवन अलग राज्य की मांग और जनहानि-जनविरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष को समर्पित कर दिया। वर्ष 1968 से सक्रिय राजनीति और आंदोलन में कूद चुके भट्ट उन शुरुआती नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने पहाड़ की समस्याओं को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1979 में जब उत्तराखंड क्रांति दल का गठन हुआ, तब वे इसके संस्थापक सदस्यों में थे और संगठन को जन–जन तक पहुंचाने में उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई।
1995 में श्रीनगर में हुए श्रीयंत्र टापू आंदोलन का नेतृत्व करते हुए उन्होंने सरकार का ध्यान विस्थापन और जनहित मुद्दों की ओर खींचा। टिहरी जिले की सबसे ऊंची चोटी खैट पर्वत और बाद में पौड़ी में आमरण अनशन करके उन्होंने राज्य निर्माण आंदोलन को नई दिशा दी। उनके खैट अनशन के बाद केंद्र सरकार को वार्ता का निमंत्रण देना पड़ा था।
सीएम धामी ने जताया शोक
भट्ट के निधन पर सीएम धामी भी शोक व्यक्त किया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट लिखते हुए कहा- उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ आंदोलनकारी एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री दिवाकर भट्ट जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। राज्य निर्माण आंदोलन से लेकर जनसेवा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्य सदैव अविस्मरणीय हैं।
उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ आंदोलनकारी एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री दिवाकर भट्ट जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। राज्य निर्माण आंदोलन से लेकर जनसेवा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए कार्य सदैव अविस्मरणीय हैं।



