श्रीनगर गढ़वाल: हिमालय साहित्य एंव कला परिशद् श्रीनगर द्वारा स्वतंत्रता दिवस के आगमन की बेला पर रविवार को काब्य व सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया। इस साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम में रचनाकारों व संस्कृति कर्मियों ने आजादी के 75वें महोत्सव को हर्षोल्लास से मनाया।

वीरेंद्र रतूड़ी बिट्टू भाई के निर्देशन में प्रतिभावान शालिनी बहुगुणा तथा वसुधा गौतम ने राष्ट्रीय प्रेम के गीत गाकर सभागार को तालियों की गडगड़ाहट से गुंजायमान बनाए रखा। वहीँ वरिष्ठ रंगकर्मी विमल बहुगुणा, कृष्णा नंद मैठाणी, डॉ. प्रकाश चमोली, श्रीमती आरती रावत पुंडीर, युवा कवि सुधांशू बडोनी, श्रीमती पूनम रतूड़ी, जय कृष्ण पैन्यूली, शम्भू प्रसाद भट्ट स्नेहिल, श्रीमती माधुरी नैथानी, जेश जैन, प्रख्यात कवयित्री डॉ. ऋतु सिंह, विद्वान साहित्यकार डॉ. दीपक द्विवेदी ने अपनी प्रभावशाली प्रस्तुति देकर साहित्यिक समारोह‌ को चरमोत्कर्ष पर पहुंचा दिया।

श्रोताओं ने डॉ. प्रकाश चमोली  द्वारा प्रस्तुत जन जागरण गीत के बोल में अपने स्वर सम्मिलित कर जब समवेत स्वर में गायन प्रारम्भ किया तो सभागार देश भक्ति के सागर में हिलोरें लेने लगा। शालिनी बहुगुणा ने जब गीतकार प्रदीप द्वारा लिखित व लता मंगेशकर द्वारा गाया गाना..

  •  ‘ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी
  • जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी ——‘

का मार्मिक स्वर में गायन किया तो उपस्थित श्रोतागणों के आंखे नम हो गयीं।

वसुधा गौतम ने फिल्मी देश भक्ति गीत-

  • ‘है प्रीत जहां की रीत सदा
  • मैं गीत वहां के गाता हूं
  • भारत का रहने वाला हूं
  • भारत के गीत सुनाता हूं’

कृष्ण नंद मैठाणी जी ने पुराने श्रीनगर गढ़वाल की स्मृतियों को ताजा करते हुए उस काल में निकलने वाली प्रभात फेरी में गाए जाने वाले जनजागरण गीत सुनाया.

  • ‘उठ जाग मुसाफिर भोर भयी
  • अब रैन कहां जो सोवत है
  • जो सोवत है सो खोवत है
  • जो जागत है सो पावत है।’

कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था की प्रमुख प्रोफेसर उमा मैठाणी ने तथा संचालन नीरज नैथानी ने किया।

इस अवसर पर विभिन्न समाचार पत्र समूहों के पत्रकार, लेखक, साहित्यकार व साहित्य प्रेमी के साथ ही व्यवसायी (राम ज्वैलर्स, राजीव बिश्नोई), रंगकर्मी सतेंद्र मिश्रा, केशवा नंद डंगवाल, आर पी कपरवाण, रोटेरियन दिनेश उनियाल, वेद व्रत शर्मा, श्रीमती मीनाक्षी चमोली, केपी काला, जमुना काला, डॉ. बिमला चमोला, अंकित रावत, गढ़ कवि देवेंद्र उनियाल आदि उपस्थित रहे।