अटल उत्कृष्ट स्वामी सच्चिदानंद राजकीय इंटर कॉलेज रुद्रप्रयाग के कक्षा 9 एवं कक्षा 11 के विद्यार्थियों ने समग्र शिक्षा अभियान एवं राष्ट्रीय आविष्कार अभियान के अंतर्गत भराड़ीसैंण (गैरसैण) स्थित विधानसभा भवन का भ्रमण कर आवश्यक जानकारियां प्राप्त की। इसके साथ ही 52 गढ़ों में एक गढ़ चांदपुर गढ़ी का भी भ्रमण किया।
विद्यालय के प्रधानाचार्य राजवीर सिंह भदोरिया द्वारा गठित भ्रमण कमेटी के अध्यक्ष भौतिकी प्रवक्ता नरेश जमलोकी एवं अन्य सदस्य दिनेश कोठारी, समग्र शिक्षा प्रभारी भगत सिंह नेगी, कला शिक्षिका दिव्या नौटियाल, शिक्षक शशि पुरोहित सहित 16 शिक्षक एवं 153 विद्यार्थी भ्रमण मंडल में सम्मिलित थे। प्रवक्ता भौतिक नरेश जमलोकी द्वारा पूर्व में ही विधानसभा के संयुक्त सचिव से अनुमति ले ली गई थी। भराड़ीसैंण पहुंचने पर कार्यालय कर्मी कैलाश सहित अन्य कर्मचारियों ने भ्रमण दल का स्वागत किया एवं विधानसभा भवन का भ्रमण कराया।
संयुक्त सचिव द्वारा विद्यार्थियों को दर्शक दीर्घा में ले जाकर विधान सभा कक्ष दिखाया गया। जहां 13 मार्च को बजट सत्र पर चर्चा होनी है। साथ ही विधानसभा अध्यक्ष के ओएसडी अशोक शाह ने विद्यार्थियों को विधानसभा में पक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों के बैठने का स्थान दिखाया एवं छात्र छात्राओं को अपनी बात रखने का अवसर दिया। कक्षा 11 की छात्र मयंक बंसल सीएम की भूमिका एवं कक्षा नौ की छात्रा नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में दिखे।
मेधावी छात्रा दुर्गा कोठियाल और अनन्या कुंडू ने सदन में अपने विचार रखे। शिक्षकों की ओर से शिक्षक नरेश जमलोकी ने विचार व्यक्त किए। साथ ही भ्रमण दल द्वारा भराड़ीसैंण की खूबसूरत वादियों में सामूहिक एवं व्यक्तिगत फोटोग्राफी की गई। तत्पश्चात भ्रमण दल ने गढ़वाल के पंवार वंश के राजा कनक पाल द्वारा बसाई गई राजधानी चांदपुर गढ़ी की ओर प्रस्थान किया। यह स्थान पौराणिक स्थल आदि बद्री (16 मंदिरों का समूह) के निकट स्थित है। चांदपुर गढ़ी गढ़वाल के 52 गढ़ों में से एक है। जिसके अतीत के सुनहरे दिनों के अवशेष आज भी मौजूद हैं। सड़क से 500 मीटर ऊपर जाकर चांदपुर गढ़ी पहुंचा जा सकता है। यहां आज भी राज महल की कमरे मौजूद हैं। साथ ही चबूतरे में एक मंदिर है। इसके अलावा रसोई घर, स्नानागार, पूजा घर और तीन सभा मंडप भी हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार महल के एक हिस्से से सुरंग है। जो करीब 500 फीट नीचे है। तथा आटागाड़ नामक नदी के किनारे मिलती है। परिसर में दो भाइयों सौरू और भौंरू द्वारा दुर्ग में लाई गई विशाल शिलाओ से बनी दो पत्थर की सीढ़ियां पर्यटकों के मन में काफी कोतवाल उत्पन्न करती हैं। वर्तमान में इस दुर्ग की देखरेख सर्वे ऑफ इंडिया के अधीन है।