श्रीनगर: राजकीय इंटर कॉलेज स्वीत मे स्पीक मैंके संस्था द्वारा आयोजित नृत्य कार्यशाला मे प्रसिद्ध नृत्यांगना अभिषिक्ता मुखोपाध्याय ने शानदार प्रस्तुति देकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में प्रधानाचार्य महेन्द्र सिंह नेगी ने स्पीक मैके दल का स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया। उन्होंने अशा व्यक्त करते हुए कहा कि छात्र-छात्रायें इस कार्यशाला से कत्थक नृत्य के बारे में अधिकाधिक जानकारी हासिल करेंगे।

इस अवसर पर प्रसिद्ध नृत्यागना अभिषिक्ता मुखोपाध्याय ने छात्र-छात्राओं को शास्त्रीय नृत्य कत्थक के सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक ज्ञान से रूबरू करवाया एवं उन्हें कत्थक नृत्य की बारीकियाँ समझायी।

इस मौके पर प्रवक्ता प्रवीण भट्ट, डा० शिवराज रावत, नरेन्द्र कुमार तिवाड़ी, महेश्वर प्रासद उनियाल, जयलाल सिंघवाण, डी के रावत, डीके घिल्डियाल, अब्बल पुंडीर, पुष्पा दानू, मनवीर पंवार, राहुल लिंग्वाल, वरिष्ठ सहायक कृष्णा घिल्डियाल, परिचारक सीता देवी, कृष्णा देवी, रीता देवी, दिनेश पंवार, प्रयोगशाला सहायक अमित मुयाल एवं विद्यालय की छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अंग्रेजी प्रवक्ता राकेश मोहन कंडारी ने बताया कि अभिषिक्ता मुखोपाध्याय ने दुर्गा कला मंदिर में मनीषा भट्टाचार्य के संरक्षण में तीन वर्ष की उम्र में कत्थक सीखना शुरु कर दिया था।

बाद में असीमबंधु भट्टाचार्य कि निर्देशन में जयपुर और लखनऊ घराने में कठोर प्रशिक्षण लिया। वर्तमान में वह मधुमिता राय के मार्गदर्शन में अपनी उन्नत शिक्षा पूरी कर रही हैं। उन्हें वर्ष 2011 में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से जूनियर सीसीआरटी छात्रवृति मिली। वे दूरदर्शन दिल्ली की B ग्रेड आर्टिस्ट हैं। उन्होंने उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय पुरी बीच महोत्सव, जयपुर कत्थक समारोह, सिंधु महोत्सव, मुम्बई अल्वा फाउंडेशन, में विश्व विरासत, मंगलोर शिशु किशोर उत्सव, पश्चिम बंगाल पंडित अर्जुन मिश्रा पुण्यतिथि अंन्तर्राष्ट्रि नृत्य, संगीत महोत्सव, एशियाई युवा महोत्सव आदि में भाग लिया। एवं नृत्यप्रभा, कत्थक मैराथन, मालाश्री द्वारा प्रेरणा नृत्य महोत्सव, कत्थक युवा महोत्सव, बनारस बनारस में घाट सन्ध्या एचसीएल संगीत समारोह, जैसे विभिन्न समारोहों में एकूल गायन प्रस्तुतियाँ भी दी। उन्होंने प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद, से डिप्लोमा कोर्स पूरा किया। वर्तमान में कोलकाता में स्थित आराधना सेंटर फॉर डांस नामक अपना स्वयं का संस्थान चलाती हैं।