पौड़ी: पौड़ी गढ़वाल के राजकीय इंटर कॉलेज उज्याड़ी में राजनीति विज्ञान के प्रवक्ता केशर सिंह असवाल को आखिरकार पांच साल के संघर्ष के बाद शैलेश मटियानी पुरस्कार मिल गया है। जनपद एवं मंडल से सर्वाधिक 82 अंक हासिल कर पहले स्थान पर रहे शिक्षक केशर सिंह असवाल को इसके लिए लम्बी लड़ाई लड़नी पड़ी। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड सरकार की ओर से शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए शिक्षकों को प्रत्येक वर्ष प्रतिष्ठित शैलेश मटियानी पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।
परन्तु वर्ष 2017 में पौड़ी जनपद में दिये गए शैलेश मटियानी पुरस्कार पर विवाद हो गया था। उस समय जनपद व मंडल से पहले स्थान पर रहे शिक्षक के बजाय दूसरे स्थान पर रहे शिक्षक को यह पुरस्कार प्रदान किया गया था।
बता दें कि वर्ष 2017 में शैलेश मटियानी पुरस्कार के लिए पौड़ी जनपद से शिक्षक केशर सिंह असवाल सहित तीन शिक्षकों ने आवेदन किया था। जनपद स्तर पर गठित शिक्षा विभाग की चयन समिति ने सभी शिक्षकों के आवेदनों का मूल्यांकन करने के बाद जीआईसी उज्याड़ी में राजनीति विज्ञान के प्रवक्ता केशर सिंह असवाल को सर्वाधिक 82 अंक प्रदान किए थे। जबकि दूसरे स्थान पर रहे शिक्षक पुष्कर सिंह नेगी को 79 अंक मिले थे। जिला स्तरीय समिति ने इसकी आख्या मंडलीय कार्यालय पौड़ी को भेजी। जहाँ से मंडलीय चयन समिति के मूल्यांकन के बाद आवेदन पत्र शिक्षा निदेशालय को भेजे गए।
लेकिन जब वर्ष 2019 में पुरस्कारों की घोषणा की गई तो दूसरे नंबर पर रहे शिक्षक पुष्कर सिंह नेगी को यह पुरस्कार प्रदान किया गया। जिसके बाद पहले स्थान पर रहे शिक्षक केशर सिंह असवाल ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए इस मामले को विभाग के उच्चाधिकारियों के सम्मुख रखा। लेकिन फैसला उनके पक्ष में नहीं आया। जिसके बाद में शिक्षक ने लोक सेवा प्राधिकरण में मामले की शिकायत दर्ज की।
अभिकरण ने अगस्त 2021 में जनपद पौड़ी के वर्ष 2017 के शैलेश मटियानी पुरस्कार को स्थगित किए जाने का फैसला सुनाते हुए शिक्षा सचिव को पुर्न मूल्यांकन के निर्देश दिए थे। लोक सेवा अभिकरण के फैसले के बाद शिक्षा सचिव के पुनर्मूल्यांकन में शिक्षक केशर सिंह असवाल को पुरस्कार का असल हकदार पाया गया है। सचिव शिक्षा के पुनर्मूल्यांकन व आदेश के बाद शीर्ष अंक पाए जाने पर मुख्य शिक्षा अधिकारी पौड़ी ने जीआईसी उज्याड़ी में राजनीति विज्ञान के प्रवक्ता केशर सिंह असवाल को वर्ष 2017 का शैलेश मटियानी पुरस्कार दिए जाने के आदेश जारी कर दिए हैं। इस संबंध में शिक्षक असवाल व जीआईसी उज्याड़ी के प्रधानाचार्य को सूचना दे दी गई। आखिरकार शिक्षक केशर सिंह असवाल को पांच साल बाद न्याय मिल गया।