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वैश्विक महामारी का रूप ले चुके कोरोना वायरस की चपेट में आज दुनियाभर के लाखों लोग आ चुके हैं। जिससे हमारा प्रदेश एवं हमारा देश भी अछूता नहीं रहा है। भारत में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए बीते मार्च महीने से देशभर में लॉकडाउन किया हुआ है। लॉकडाउन की वहज से कई लोगों की नौकरियां चली गई हैं तो कई लोगों के काम धन्धे चौपट हो गए हैं। संकट की इस घड़ी में मध्यम वर्गीय परिवारों को बच्चों की स्कूल फ़ीस चुकाना भारी पड़ रहा है। लॉकडाउन के चलते आज हर कोई परेशान है। कामकाज ठप पड़ा है, ऐसे में स्कूलों की तरफ से फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है। इसी को लेकर ग्रेटर नोएडा-नोएडा-गाजियाबाद अभिभावक महासंघ के पदाधिकारियों प्रकाश कोटिया, हेम चंद तिवारी, अनिल पुंडीर, योगेश भगौर, चन्जीत, दुर्गेश, रजनीश, अमित अरोड़ा आदि ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर लॉकडाउन पीरियड में बच्चों की स्कूल फीस माफ करने की मांग की है। इसके अलावा इस संबंध में महासंघ के पदाधिकारी आगामी शनिवार को जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपेंगे तथा आगामी 14 जून को क्षेत्र में प्राइवेट स्कूलों की फीस माफी की मांग को लेकर एक शांतिपूर्ण  मार्च निकाला जाएगा।

हेम चंद तिवारी का कहना है कि वर्तमान में मध्यमवर्गीय परिवारों द्वारा कोरोनावायरस के चलते समय-समय पर सरकार द्वारा दिए गए आदेशों का पालन भी किया गया। साथ ही मजदूरों के पलायन के वक्त उन्हें भोजन पानी एवं अन्य जरूरी साधनों का भी सहयोग भी मध्यम वर्ग के परिवारों द्वारा किया गया। इसके अलावा प्रधानमंत्री राहत कोष, मुख्यमंत्री राहत कोष एवं जिलाधिकारी राहत कोष में भी मध्यम वर्गीय परिवारों द्वारा अपने सामर्थ्य के अनुसार सहयोग राशि भी जमा कराई गई। परंतु इतना सब करने के बावजूद भी सरकारों द्वारा मध्यमवर्गीय परिवारों की हितों की रक्षा की अनदेखी की गई एवं सरकार द्वारा घोषित राहत में कहीं भी मध्यम वर्गीय परिवारों का कोई भी जिक्र नहीं किया गया। उन्होंने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि वर्तमान में देश के सभी मध्यम वर्ग के परिवार घोर आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं बहुत सारे लोगों की नौकरियां भी चली गई है आय के सारे स्रोत बंद होते जा रहे हैं ऐसी स्थिति में स्कूलों द्वारा परिवारों को प्रताड़ित किया जा रहा है कि बच्चों की फीस समय पर ना भरने के कारण बच्चों को स्कूल से निष्कासित करने की धमकियां भी दी जा रही है। अतः अगर सरकार द्वारा मध्यम वर्गीय परिवारों की चिंता को ध्यान में रखते हुए अप्रैल से जून माह तक की फीस माफी की घोषणा की जाए तो मध्यमवर्गीय परिवारों को थोड़ी राहत मिलेगी एवं साथ ही बच्चों का भविष्य भी खराब नहीं होगा।