ग्रेनो के नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय में महिला सशक्तिकरण और कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए पॉश (प्रिवेंशन ऑफ सेक्सुअल हैरेसमेंट) प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन पुलिस, क्राइम कंट्रोल एंड सोशल डेवलपमेंट संस्थान एवं शारदा स्कूल ऑफ ने किया। कार्यक्रम की मुख्य अथिति अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त प्रीति यादव, कविता रावत पॉश ट्रेनर एवं डीन शारदा स्कूल ऑफ़ लॉ डॉ ऋषिकेश दवे विषय मुख्य वक्ता रहे । इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए संवेदनशीलता और जागरूकता बढ़ाना था।
कार्यक्रम में अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त प्रीति यादव ने अपने वक्तव्य में पॉश एक्ट की महत्वपूर्ण धाराओं पर विस्तार से चर्चा की और इसे प्रभावी रूप से लागू करने के उपायों पर प्रकाश डाला।पुलिस के कार्यों की महत्व को बताया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से प्रत्येक कर्मचारी को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों की जानकारी होनी चाहिए ताकि वे सुरक्षित कार्य वातावरण में अपना योगदान दे सकें। पॉश अधिनियम यौन उत्पीड़न को प्रत्यक्ष या निहित आचरण के रूप में परिभाषित करता है, चाहे वह शारीरिक, मौखिक या लिखित हो। इस प्रकार के व्यवहार की विशिष्ट विशेषता यह है कि यह अवांछनीय और अप्रिय है। यौन उत्पीड़न के रूपों में क्विड प्रो क्वो यौन उत्पीड़न है, जो यौन ब्लैकमेल का एक रूप है। क्विड प्रो क्वो उत्पीड़न का एक विशिष्ट परिदृश्य सत्ता में एक व्यक्ति द्वारा किसी कर्मचारी पर पदोन्नति या प्रतिकूल रोजगार कार्रवाई की धमकी के बदले में यौन एहसान के लिए दबाव डालना शामिल है।
शारदा स्कूल ऑफ लॉ की प्रोफसर डॉ रितु गौतम ने बताया की कार्यक्रम में संकाय सदस्यों और करीब 250 छात्रों ने इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी समझ को गहरा किया। कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त ने प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए सवालों के उत्तर दिए। शारदा विश्वविद्यालय और एनजीओ द्वारा इस पहल की सभी ने सराहना की, जो कार्यस्थल पर महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।