ग्रेटर नोएडा : कोरोना महामारी के चलते पैदा हुए वर्तमान हालात ने प्रकृति संतुलन, निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिकों का ध्यान सहित कई अहम मुद्दों पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। प्रकृति अपना संतुलन किस तरह बनाए रख सकती है। इन मुद्दों पर परिचर्चा करने और भविष्य की रणनीति बनाने के लिए गौतमबुद्ध विविद्यालय द्वारा वास्तुविद एवं नगर नियोजकों का एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। ऑनलाइन माध्यम से हुए सम्मेलन में देश विदेश के जाने माने वास्तुविद, प्राध्यापक और नीति संयोजक शामिल हुए। जीबीयू के कुलपति प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा ने उपभोग के साधन और उन पर निर्भरता को सीमित करने का आह्वान किया, जिससे प्रकृति अपना परिस्थितिक संतुलन बनाए रख सके। प्रो. शर्मा के अनुसार मानव उपभोग को कम से कम करना पृथ्वी ग्रह पर मानव अस्तित्व के लिए एक मात्र तरीका है। वहीं चंडीगढ़ वस्तुविद् सुरिंदर बहुगा ने श्रमिकों के पलायन की समस्या का कारण आंकड़ों की जानकारी का अभाव बताया, जिससे समस्या की गंभीरता का अनुमान नहीं था। उन्होंने आगामी दिनों में वास्तुकला और निर्माण उद्योग के लिए चुनौतियों और उनके समाधान पर प्रकाश डाला। चंडीगढ़ जैसे शहर नियोजन उदाहरणों से पता चलता है कि कैसे शहर के योजनाकारों और नीति निर्माताओं ने निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले गरीब श्रमिकों को आवास देने के बारे में सोचा नहीं था। कोविड-19 महामारी में उचित आवास और भोजन के बिना श्रमिकों को अपने गांवों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि वर्तमान हाउसिंग टाइपोलॉजी में घर से काम करने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है। लंदन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर इलान केल्मन ने डिजास्टर के सभी खतरों को मानव निर्मित बताया। उनका कहना है कि हम जितने कमजोर हैं, उसका एक समुदाय पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। एक भूकंपीय क्षेत्र में भवन निर्माण के संदर्भ में आर्किटेक्ट और विशेषज्ञों को अपनी आवाज उठानी चाहिए, ताकि दिशा निर्देशों को जमीन पर लागू किया जा सके। वहीं सीपीडब्ल्यूडी के पूर्व एडीजी वास्तुविद् प्रभाकर के. वर्मा ने मानव बस्तियों के साथ जल निकायों के संबंध पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भूजल और वृहद जलवायु पर तालाबों का प्रभाव और इसका प्रभाव शहरों के साथ ग्रामीण बस्तियों के लिए भी एक बड़ी चुनौती है। एक बेहतर टिकाऊ भविष्य के लिए प्राकृतिक पारिस्थितिक विशेषता को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है और वास्तुकारों, योजनाकारों और नीति निर्माताओं की इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका है। दुबई के वास्तुविद् और शहरी डिजाइनर बिनॉय पैनिकर ने ‘बैक टू एनवायरमेंटल प्लॉनिंग’ के विषय में बात की। अंतरराष्ट्रीय वेबिनार में अभिषेक सिंह, अनंत कुमार, माधुरी अग्रवाल आदि शामिल हुए।
सीएल मौर्य की रिपोर्ट